




भारत में लागू हुए वस्तु एवं सेवा कर (GST) को आठ साल से अधिक का समय हो चुका है। इसकी शुरुआत देशभर में कर संरचना को सरल बनाने और “एक राष्ट्र, एक टैक्स” की अवधारणा को साकार करने के लिए की गई थी। लेकिन अब भी व्यवसायियों और छोटे कारोबारियों की शिकायतें सामने आती रहती हैं कि GST का अनुपालन (Compliance) जटिल और समय लेने वाला है।
इसी पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अधिकारियों और नीति-निर्माताओं से कहा—
“GST में कुछ काम कीजिए, सुनिश्चित कीजिए कि अनुपालन आसान हो।”
यह बयान आने वाले समय में GST ढांचे में सुधार और व्यापार जगत को राहत देने की दिशा में एक बड़ा संकेत माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने साफ किया कि GST केवल राजस्व संग्रह का माध्यम नहीं है, बल्कि यह देश की आर्थिक प्रगति और कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने का साधन भी होना चाहिए।
उन्होंने जोर दिया कि:
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GST फाइलिंग को सरल बनाया जाए।
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छोटे और मध्यम कारोबारियों को तकनीकी कठिनाइयों से बचाया जाए।
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टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता और विश्वास बढ़ाया जाए।
2017 में लागू GST को आज़ादी के बाद के सबसे बड़े कर सुधारों में से एक माना गया। इसने वैट, एक्साइज, सर्विस टैक्स जैसे कई करों को खत्म कर एकीकृत प्रणाली दी।
फिर भी, इसके लागू होने के बाद से ही कई समस्याएँ और चुनौतियाँ सामने आईं:
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समय पर रिटर्न फाइल करने में मुश्किल
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IT सिस्टम से जुड़ी तकनीकी बाधाएँ
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छोटे कारोबारियों पर अनुपालन का बोझ
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टैक्स दरों और स्लैब्स में जटिलता
यही कारण है कि बार-बार GST काउंसिल और केंद्र सरकार को इसमें संशोधन करने पड़े।
प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान का स्वागत उद्योग जगत ने किया है।
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फिक्की (FICCI) और एसोचैम (ASSOCHAM) जैसे व्यापारिक संगठनों ने कहा कि इससे छोटे उद्योगों को राहत मिलेगी।
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कारोबारी वर्ग चाहता है कि GST रिटर्न फाइलिंग की समयसीमा और प्रक्रियाओं को और लचीला बनाया जाए।
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साथ ही, डिजिटल इंडिया की दिशा में आगे बढ़ते हुए यूज़र-फ्रेंडली पोर्टल और मोबाइल एप्स विकसित किए जाएँ।
भारत में 6 करोड़ से अधिक MSMEs (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं।
इन कारोबारियों के लिए GST अनुपालन की जटिलता अब तक एक बड़ी चुनौती रही है।
प्रधानमंत्री का यह निर्देश इन उद्यमों को राहत दे सकता है, क्योंकि वे लंबे समय से सरल रिटर्न प्रक्रिया, कम दस्तावेज़ीकरण और कम टैक्स दरों की मांग कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री के इस निर्देश के बाद अब नज़रें GST काउंसिल पर टिकी हैं। काउंसिल में केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं और यही संस्था GST में सुधार के निर्णय लेती है।
संभावना है कि आने वाली बैठकों में:
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रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया को सरल बनाया जाए।
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छोटे कारोबारियों के लिए विशेष छूट या रियायतें दी जाएँ।
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टैक्स स्लैब्स को सरल किया जाए।
GST अनुपालन को आसान बनाने से केवल कारोबारियों को ही नहीं, बल्कि पूरे आर्थिक तंत्र को फायदा होगा:
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कर संग्रह बढ़ेगा क्योंकि लोग आसानी से रिटर्न भर पाएँगे।
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काले धन और कर चोरी पर अंकुश लगेगा।
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कारोबार करने की सुगमता (Ease of Doing Business) में भारत की रैंकिंग और बेहतर होगी।
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डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
जहाँ उद्योग जगत प्रधानमंत्री के इस बयान का स्वागत कर रहा है, वहीं विपक्ष का कहना है कि मोदी सरकार को यह पहल बहुत पहले करनी चाहिए थी।
कांग्रेस और अन्य दलों का तर्क है कि GST लागू करने में जल्दबाज़ी की गई थी और इसकी जटिलताओं ने छोटे कारोबारियों को नुकसान पहुँचाया।
हालांकि, सरकार का मानना है कि यह एक “ईवॉल्विंग सिस्टम” है, जिसे समय-समय पर और बेहतर बनाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का “GST अनुपालन आसान बनाने” का निर्देश यह दर्शाता है कि सरकार अब कर सुधारों के अगले चरण की ओर बढ़ रही है।
अगर वाकई GST फाइलिंग और कर संरचना को सरल बनाया गया तो यह न केवल छोटे कारोबारियों को राहत देगा, बल्कि देश की आर्थिक विकास दर को भी मजबूती प्रदान करेगा।
आने वाले महीनों में GST काउंसिल के फैसले यह तय करेंगे कि प्रधानमंत्री की इस दृष्टि को किस तरह अमल में लाया जाएगा और भारत के व्यापार जगत को कितना लाभ मिलेगा।