




महाराष्ट्र में सरकारी नौकरी पाने का सपना देख रहे सैकड़ों युवाओं के लिए एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। नागपुर पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसने बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों रुपये ठग लिए। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि आरोपियों ने महाराष्ट्र के मंत्रालय (Mantralaya) के भीतर ही फर्जी इंटरव्यू आयोजित किए और मुंबई के जेजे अस्पताल में मेडिकल टेस्ट भी करवाए। पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी लॉरेन्स हेनरी को गिरफ्तार कर लिया है और उससे पूछताछ जारी है।
गिरोह ने बेरोजगार युवाओं को यह विश्वास दिलाया कि मंत्रालय के भीतर उनका इंटरव्यू होगा और उन्हें जल्द ही सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र मिलेगा। इसके लिए युवाओं से मोटी रकम वसूली गई। युवाओं को मंत्रालय में प्रवेश कराने के लिए फर्जी पहचान पत्र और लेटर जारी किए गए। इंटरव्यू की प्रक्रिया बिल्कुल आधिकारिक ढंग से कराई गई, ताकि उम्मीदवारों को शक न हो। इतना ही नहीं, मेडिकल फिटनेस जांच के नाम पर उन्हें मुंबई के जेजे अस्पताल भी भेजा गया। इस पूरी प्रक्रिया ने उम्मीदवारों को यह यकीन दिला दिया कि वे सचमुच सरकारी नौकरी पाने वाले हैं।
नागपुर निवासी राहुल तायडे नामक एक युवक ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। राहुल ने बताया कि जूनियर क्लर्क की नौकरी का झांसा देकर उससे लाखों रुपये लिए गए थे। कई महीनों तक इंतजार करने के बावजूद उसे नियुक्ति पत्र नहीं मिला। शक होने पर उसने पुलिस का दरवाजा खटखटाया। जांच में सामने आया कि यह एक संगठित गिरोह है, जिसने नागपुर, चंद्रपुर और वर्धा जिलों के दर्जनों युवाओं को इसी तरह ठगा था।
पुलिस की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि इस गिरोह ने अब तक करीब 200 से अधिक युवाओं से ठगी की है। प्रत्येक उम्मीदवार से 3 से 5 लाख रुपये तक वसूले गए। इस तरह ठगी की कुल रकम करोड़ों में पहुँचने का अंदेशा है।
नागपुर के हुडकश्वर पुलिस थाने में मामला दर्ज होते ही पुलिस की विशेष टीम ने जांच शुरू की। सबूत इकट्ठा करने के बाद मुख्य आरोपी लॉरेन्स हेनरी को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस का कहना है कि गिरोह में और भी लोग शामिल हो सकते हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। जांच अधिकारी ने बताया कि यह गिरोह बेरोजगार युवाओं की मजबूरी का फायदा उठाकर पूरी तरह योजनाबद्ध तरीके से काम करता था।
यह मामला मंत्रालय की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। आखिर कैसे आरोपियों ने मंत्रालय के भीतर फर्जी इंटरव्यू आयोजित कर लिया? क्या इसमें किसी अंदरूनी कर्मचारी की मदद ली गई?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मंत्रालय और अस्पताल जैसी जगहों पर इस तरह की फर्जीवाड़ा गतिविधियाँ हो सकती हैं, तो यह सिस्टम की बड़ी खामियों को उजागर करता है।
महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में बेरोजगारी पहले से ही एक गंभीर समस्या है। ऐसे में सरकारी नौकरी का सपना दिखाकर युवाओं से ठगी करना न केवल अपराध है, बल्कि उनके भविष्य के साथ एक बड़ा क्रूर मज़ाक भी है। कई पीड़ित छात्रों ने कहा कि उन्होंने अपनी जमीन तक बेचकर पैसे दिए थे, लेकिन बदले में उन्हें धोखा मिला।
यह खुलासा सरकार और प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है। विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है और सरकार पर सुरक्षा चूक तथा बेरोजगार युवाओं के साथ अन्याय का आरोप लगाया है।
नागपुर में सामने आया यह फर्जीवाड़ा केवल धोखाधड़ी का मामला नहीं, बल्कि बेरोजगार युवाओं की उम्मीदों और सपनों के साथ खिलवाड़ है। मंत्रालय के भीतर इंटरव्यू और सरकारी अस्पताल में मेडिकल टेस्ट जैसी गतिविधियों ने इस घोटाले को और भी गंभीर बना दिया है।
पुलिस की जांच जारी है और आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं। यह देखना अहम होगा कि सरकार इस मामले में कितनी सख्ती दिखाती है और क्या पीड़ित युवाओं को न्याय मिल पाता है।