




भारत के उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों के बाद देश की राजनीति में नई हलचल मच गई है। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने रविवार को संकेत दिए कि इस चुनाव में क्रॉस-वोटिंग (Cross-Voting) हुई है। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से दावा किया कि विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक के कुछ सांसदों ने सत्तारूढ़ गठबंधन के उम्मीदवार को समर्थन दिया।
रिजिजू ने मीडिया से बातचीत में कहा,
“हम INDIA ब्लॉक के उन सांसदों को धन्यवाद देना चाहते हैं जिन्होंने अंतरात्मा की आवाज़ पर मतदान किया और सही उम्मीदवार का समर्थन किया। यह लोकतंत्र की ताकत है।”
उनका यह बयान न केवल सत्तापक्ष का आत्मविश्वास दिखाता है बल्कि विपक्षी खेमे में असंतोष और अनुशासनहीनता की ओर भी इशारा करता है।
रिजिजू ने सीधे तौर पर संख्या का ज़िक्र नहीं किया, लेकिन इशारों में यह साफ कर दिया कि कुछ सांसदों ने पार्टी लाइन से हटकर वोट डाला। भारतीय राजनीति में यह कोई नई बात नहीं है, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव जैसे उच्च संवैधानिक पद के लिए यह घटनाक्रम बेहद अहम है।
इस बयान के बाद INDIA ब्लॉक के भीतर खलबली मच गई है। विपक्षी नेताओं ने दावा किया है कि उनके सांसद एकजुट रहे, लेकिन रिजिजू के संकेत ने संदेह और आंतरिक कलह की चर्चा को हवा दे दी है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर वास्तव में विपक्षी सांसदों ने क्रॉस-वोटिंग की है, तो यह INDIA ब्लॉक की एकजुटता पर सवाल खड़ा करता है।
भाजपा लंबे समय से विपक्षी एकता को चुनौती देती रही है। रिजिजू के बयान को कई लोग भाजपा की एक रणनीतिक सफलता मान रहे हैं। क्रॉस-वोटिंग की स्थिति में यह स्पष्ट है कि विपक्षी खेमे में असंतोष और दरार मौजूद है, जिसे सत्तापक्ष भुनाने में पीछे नहीं हटेगा।
रिजिजू ने अपने बयान में खासतौर पर “अंतरात्मा की आवाज़” शब्द का प्रयोग किया। यह संदेश स्पष्ट है कि उन्होंने INDIA ब्लॉक के सांसदों को जनता के हित में और व्यक्तिगत ईमानदारी के आधार पर मतदान करने का श्रेय दिया। भारतीय संसदीय राजनीति में ऐसे बयानों का उपयोग अक्सर विपक्ष को असहज करने के लिए किया जाता है।
हालांकि, विपक्षी नेताओं ने रिजिजू के दावे को सिरे से खारिज किया। कांग्रेस और अन्य दलों ने कहा कि रिजिजू का बयान महज राजनीतिक प्रचार है और भाजपा असल मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है।
उपराष्ट्रपति चुनाव का महत्व सिर्फ संवैधानिक पद भरने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सत्ता और विपक्ष की संसदीय ताकत और रणनीतिक स्थिति को भी दर्शाता है। रिजिजू का यह बयान भविष्य की राजनीति पर गहरा असर डाल सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर रिजिजू का दावा सच है तो यह INDIA ब्लॉक की बड़ी हार है। क्रॉस-वोटिंग से स्पष्ट संकेत जाता है कि विपक्ष में अनुशासन की कमी है और भाजपा अपनी पकड़ बनाए रखने में सफल रही है
किरण रिजिजू का यह बयान आने वाले दिनों में और राजनीतिक बहस को जन्म देगा। उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों ने जहां सत्तापक्ष का मनोबल बढ़ाया है, वहीं विपक्षी खेमे में एकता और विश्वास की चुनौती और गहरी हो गई है।