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    सांस्कृतिक पुनर्जागरण की ओर भारत: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत ने ‘ज्ञान भारतम’ मिशन की दी जानकारी

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         केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गुरुवार को कहा कि हमारा देश वर्तमान समय में सांस्कृतिक पुनर्जागरण के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने यह बात देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कही। शेखावत ने बताया कि इस दिशा में सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल ‘ज्ञान भारतम’ मिशन की परिकल्पना की है, जिसका मुख्य उद्देश्य हमारी प्राचीन पाण्डुलिपि विरासत को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करना है।

    मंत्री गजेंद्र शेखावत ने कहा कि ‘ज्ञान भारतम’ मिशन का मुख्य लक्ष्य पाण्डुलिपियों और अन्य प्राचीन दस्तावेजों को डिजिटल और भौतिक रूप में संरक्षित करना है। उन्होंने बताया कि यह मिशन देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ इसके महत्व को विश्व स्तर पर प्रस्तुत करने का भी काम करेगा।

    शेखावत ने आगे कहा कि पाण्डुलिपियां न केवल हमारे इतिहास की पहचान हैं, बल्कि इनमें निहित ज्ञान, विज्ञान, कला, दर्शन और संस्कृति की गहन समझ भी मौजूद है। उनका संरक्षण इसलिए आवश्यक है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को यह विरासत समझ में आए और वे इसके महत्व को जान सकें।

    केंद्रीय मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि भारत वर्तमान में सांस्कृतिक पुनर्जागरण के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय संस्कृति, कला और साहित्य के विभिन्न पहलुओं को नई ऊर्जा और पहचान मिली है। सरकारी योजनाओं और मिशनों के माध्यम से न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय संस्कृति का प्रभाव बढ़ा है।

    शेखावत ने यह भी कहा कि ‘ज्ञान भारतम’ मिशन के जरिए पाण्डुलिपियों की डिजिटलाइजेशन और संरक्षण के प्रयास और अधिक प्रभावी होंगे। यह पहल न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी हमारे सांस्कृतिक मूल्य और ज्ञान को उजागर करेगी।

    पाण्डुलिपियां भारतीय सभ्यता की अमूल्य धरोहर हैं। ये केवल पुराने दस्तावेज नहीं हैं, बल्कि इनमें वैदिक, बौद्ध, जैन, उपनिषद, विज्ञान और दर्शन संबंधी ज्ञान संग्रहित है। शेखावत ने कहा कि यदि इन पाण्डुलिपियों का संरक्षण नहीं किया गया तो आने वाली पीढ़ियां इस अमूल्य ज्ञान से वंचित रह जाएंगी।

    ‘ज्ञान भारतम’ मिशन के तहत पाण्डुलिपियों को डिजिटल प्रारूप में संग्रहित करने के साथ-साथ उनका भौतिक संरक्षण भी सुनिश्चित किया जाएगा। मंत्री ने बताया कि इसके लिए उच्च तकनीक उपकरणों और विशेषज्ञों की टीम तैयार की जा रही है, ताकि पाण्डुलिपियों की सुरक्षा और लंबी उम्र सुनिश्चित हो सके।

    केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने यह भी कहा कि यह मिशन युवाओं और शोधकर्ताओं के लिए ज्ञान के नए स्रोत खोलने का अवसर प्रदान करेगा। डिजिटल पाण्डुलिपियां ऑनलाइन उपलब्ध होंगी, जिससे छात्र, शिक्षक और शोधकर्ता इन तक आसानी से पहुंच सकेंगे। उन्होंने जोर दिया कि इससे भारत में शोध और शिक्षा के क्षेत्र में नई क्रांति आएगी।

    शेखावत ने कहा कि ‘ज्ञान भारतम’ मिशन सिर्फ पाण्डुलिपियों तक सीमित नहीं है। इसके तहत भारतीय संस्कृति, कला, संगीत, नृत्य और साहित्य के विभिन्न पहलुओं का संरक्षण भी किया जाएगा। मंत्री ने कहा कि आने वाले वर्षों में इस मिशन के तहत सांस्कृतिक जागरूकता और शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाएगा।

    उन्होंने उम्मीद जताई कि इस पहल के माध्यम से भारत विश्व स्तर पर अपनी सांस्कृतिक पहचान को और मजबूत करेगा। मंत्री ने कहा कि यह मिशन केवल सरकारी प्रयास नहीं, बल्कि पूरे समाज की सहभागिता से ही सफल होगा। उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि वे इस मिशन में सहयोग करें और देश की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में मदद करें।

    केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने कहा कि हमारी पौराणिक और सांस्कृतिक धरोहरें हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक हैं। ‘ज्ञान भारतम’ मिशन इन धरोहरों को संजोकर रखने और उन्हें भविष्य की पीढ़ियों तक पहुँचाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि यह मिशन भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में एक ठोस प्रयास है और इसके परिणामस्वरूप हमारा देश वैश्विक स्तर पर अपनी सांस्कृतिक छवि और भी प्रखर बनाएगा।

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