




भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान कार्यक्रम तेजस Mk1A ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। देश को अब अमेरिकी इंजन का तीसरा सेट प्राप्त हो चुका है। यह उपलब्धि न केवल भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूती देगी, बल्कि भविष्य में इस परियोजना को और भी गति प्रदान करेगी। इसके साथ ही इस साल के अंत तक अमेरिका से 12 और इंजन मिलने का रास्ता भी साफ हो गया है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इन इंजनों के आने के बाद भारतीय वायुसेना की ताकत में गुणात्मक वृद्धि होगी और पड़ोसी पाकिस्तान को केवल बयानबाजी और “मंजन घिसने” तक ही सीमित रहना पड़ेगा।
तेजस Mk1A, भारत की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित चौथी पीढ़ी का हल्का लड़ाकू विमान है। इसे पूरी तरह स्वदेशी डिजाइन और तकनीक से तैयार किया गया है। हालांकि इसके लिए इंजन अमेरिका से आयात किए जाते हैं।
तेजस विमान की खासियत इसकी अत्याधुनिक एवियोनिक्स, मल्टी-रोल क्षमता और उच्च गतिशीलता है। यह एक साथ हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार करने वाले मिशनों को अंजाम देने में सक्षम है।
अमेरिका से मिला यह तीसरा इंजन GE-404 सीरीज का है, जिसे विशेष रूप से तेजस Mk1A विमानों के लिए आपूर्ति किया जा रहा है। इन इंजनों की डिलीवरी समय पर होना भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग की मजबूती को दर्शाता है।
तीसरे इंजन के आने से तेजस कार्यक्रम में तेजी आएगी और भारतीय वायुसेना को समय पर नए लड़ाकू विमान मिलने का भरोसा मजबूत होगा।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस साल के अंत तक अमेरिका से कुल 12 और इंजन भारत पहुंच जाएंगे। इसका मतलब है कि HAL तेजस Mk1A विमानों का उत्पादन अब बिना किसी रुकावट के जारी रहेगा। यह खबर वायुसेना के लिए राहत की तरह है क्योंकि भारतीय वायुसेना को समय पर नए विमान मिलने से उसकी ऑपरेशनल क्षमता में इजाफा होगा।
भारत के तेजस कार्यक्रम में लगातार हो रही प्रगति से पाकिस्तान में बेचैनी बढ़ना तय है। पाकिस्तान की वायुसेना अब भी चीन के सहयोग से बने JF-17 विमानों पर निर्भर है।
विशेषज्ञों का मानना है कि तेजस Mk1A, JF-17 की तुलना में कहीं अधिक आधुनिक और सक्षम है। तेजस के पास बेहतर रडार और एवियोनिक्स सिस्टम है। इसकी मारक क्षमता और गतिशीलता JF-17 से कहीं आगे है। भारतीय वायुसेना को लगातार नई स्क्वॉड्रन मिल रही हैं, जिससे पाकिस्तान की तुलना में भारत का हवाई दबदबा और मजबूत होगा। यही कारण है कि पाकिस्तान की स्थिति “घिसे मंजन” जैसी हो गई है, यानी बयानबाजी करने के अलावा उसके पास कोई ठोस विकल्प नहीं है।
तेजस कार्यक्रम में अमेरिकी इंजनों की आपूर्ति भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग को भी दर्शाती है। हाल के वर्षों में अमेरिका भारत को आधुनिक हथियारों और तकनीक का भरोसेमंद साझेदार मान रहा है। दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में अरबों डॉलर के समझौते हुए हैं। अमेरिका अब भारत को रणनीतिक सहयोगी के रूप में देख रहा है, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में। इस साझेदारी से भारत न केवल अपने रक्षा क्षेत्र को आधुनिक बना रहा है, बल्कि स्वदेशी तकनीक में भी आत्मनिर्भरता हासिल कर रहा है।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) पर तेजस कार्यक्रम को समय पर पूरा करने की बड़ी जिम्मेदारी है। HAL का लक्ष्य है कि आने वाले कुछ वर्षों में भारतीय वायुसेना को दर्जनों नए Mk1A विमान सौंपे जाएँ। वायुसेना पहले ही पुराने पड़ चुके MiG-21 विमानों को धीरे-धीरे रिटायर कर रही है। तेजस Mk1A इनकी जगह लेगा और वायुसेना को नई ताकत देगा।
विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर HAL समय पर उत्पादन और आपूर्ति करती है, तो भारत का लड़ाकू विमान बेड़ा और भी मजबूत होगा।
तेजस Mk1A की सफलता के बाद भारत की नजर अब अगले चरण पर है। तेजस Mk2 विमान और AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) प्रोजेक्ट पहले से ही विकासाधीन हैं। आने वाले दशक में भारत पूरी तरह से अपने स्वदेशी फाइटर जेट पर निर्भर होना चाहता है।
Mk1A इंजनों की सफल आपूर्ति और उत्पादन भारत को इस बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगी।
तेजस Mk1A को तीसरे अमेरिकी इंजन की डिलीवरी भारत की रक्षा यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। आने वाले महीनों में 12 और इंजनों के मिलने से भारतीय वायुसेना की ताकत में जबरदस्त वृद्धि होगी।
यह कदम न केवल पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के लिए चिंता का सबब बनेगा, बल्कि यह भी साबित करेगा कि भारत अब रक्षा उत्पादन और तकनीक में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में मजबूती से बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान और वैश्विक रणनीतिक साझेदारियों का यह बेहतरीन उदाहरण है। तेजस Mk1A आने वाले वर्षों में भारतीय वायुसेना की रीढ़ की हड्डी साबित होगा और देश की सुरक्षा को और भी अजेय बनाएगा।