




कांग्रेस पार्टी ने केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) द्वारा राहुल गांधी की विदेश यात्राओं के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल उल्लंघन को लेकर भेजे गए पत्र को लेकर केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी ने इसे केवल सुरक्षा का मुद्दा न मानते हुए इसे सुनियोजित धमकी और राजनीतिक दवाब का हिस्सा बताया है।
सीआरपीएफ ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजे पत्र में बताया कि राहुल गांधी की विदेश यात्राओं के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन सही तरीके से नहीं किया गया। पत्र में यह चेतावनी दी गई कि इस तरह की अनियोजित यात्राओं और सुरक्षा नियमों की अनदेखी से उनके जीवन और सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इस पत्र को केंद्र सरकार की ओर से एक राजनीतिक धमकी बताते हुए कहा, “क्या यह सिर्फ सुरक्षा उल्लंघन का मुद्दा है या एक सुनियोजित प्रयास है राहुल गांधी को डराने का? केंद्र सरकार इस तरह की कार्रवाइयों के माध्यम से लोकतांत्रिक नेताओं पर दबाव डाल रही है।”
सीआरपीएफ के पत्र में राहुल गांधी की इटली, वियतनाम, दुबई, कतर, लंदन और मलेशिया जैसी यात्राओं का उल्लेख किया गया है। इन यात्राओं में सीआरपीएफ का कहना है कि उन्हें पूर्व सूचना नहीं दी गई, जिससे सुरक्षा में खलल पैदा हुआ। सुरक्षा बल ने इस मामले को गंभीर मानते हुए कहा कि अगर भविष्य में भी इस तरह की अनियोजित गतिविधियां जारी रहती हैं तो उन्हें अतिरिक्त सतर्कता बरतनी पड़ेगी।
राहुल गांधी वर्तमान में जेड प्लस सुरक्षा के तहत हैं, जिसमें लगभग 55 सुरक्षाकर्मी शामिल हैं। इस सुरक्षा कवच के तहत उनके हर कदम और यात्रा पर सीआरपीएफ, रॉ और स्थानीय पुलिस की टीम निगरानी रखती है। सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन ऐसे मामलों में खतरे की संभावना बढ़ा देता है।
कांग्रेस का कहना है कि यह पत्र केवल सुरक्षा का मसला नहीं है, बल्कि राजनीतिक रूप से उन्हें परेशान करने का एक प्रयास है। पार्टी ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार की ओर से सुरक्षा बलों के माध्यम से ऐसे पत्र भेजना लोकतांत्रिक संस्थाओं और राजनीतिक नेताओं के लिए अस्वीकार्य है।
इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। कांग्रेस ने इसे केंद्र सरकार द्वारा राहुल गांधी को डराने का प्रयास बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। वहीं, भाजपा ने इस पत्र को सुरक्षा प्रोटोकॉल उल्लंघन का मामला बताते हुए राहुल गांधी से स्पष्टीकरण मांगा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह विवाद सुरक्षा प्रोटोकॉल से लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तक फैल गया है। विदेशी यात्राओं के दौरान सुरक्षा नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है, लेकिन इस मामले में कांग्रेस इसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रही है।
इस मामले ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि भारत में सुरक्षा बलों और राजनीतिक नेताओं के बीच समन्वय अत्यंत महत्वपूर्ण है। विदेशी यात्रा पर जाने वाले उच्च स्तरीय नेताओं के लिए सुरक्षा नियमों का पालन करना अनिवार्य है, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सुरक्षा उपाय राजनीतिकरण न हों।
कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि यदि केंद्र सरकार इस मुद्दे को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करती रही, तो पार्टी इसे संसद और अन्य लोकतांत्रिक मंचों पर उठाएगी। पार्टी ने मांग की है कि राहुल गांधी की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और किसी भी तरह के दबाव या धमकी की नीति का विरोध किया जाए।
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला भारत में राजनीतिक और सुरक्षा व्यवस्था के बीच संतुलन के लिए एक चुनौती पेश करता है। जेड प्लस सुरक्षा कवच का उद्देश्य नेताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, न कि उन्हें डराने या धमकाने का माध्यम।
इस पत्र को लेकर सोशल मीडिया पर भी चर्चा का बाजार गर्म है। कई लोग इसे केंद्र सरकार द्वारा लोकतांत्रिक नेताओं को डराने का प्रयास मान रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसे सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन मानते हुए उचित कार्रवाई मान रहे हैं।
कुल मिलाकर यह मामला केवल राहुल गांधी की सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की राजनीतिक और सुरक्षा व्यवस्थाओं के बीच संतुलन, लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता और राजनीतिक नेतृत्व की सुरक्षा जैसे व्यापक मुद्दों को सामने ला रहा है। आगामी दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र और कांग्रेस इस विवाद पर किस तरह प्रतिक्रिया देते हैं और क्या समाधान निकाला जाता है।