




नेपाल, जो 2008 में राजतंत्र को समाप्त कर एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य बना था, अब 2025 में फिर से राजतंत्र की बहाली की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन देख रहा है। यह घटनाएँ नेपाल की राजनीति में एक नया मोड़ दर्शाती हैं, जहां अराजकता और अस्थिरता ने राजतंत्र की वापसी की संभावना को जन्म दिया है।
2025 में, नेपाल में राजतंत्र की बहाली की मांग को लेकर कई बड़े प्रदर्शन हुए। 9 मार्च को काठमांडू के तिंकुने क्षेत्र में हजारों लोगों ने पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह के नेतृत्व में हिन्दू राजतंत्र की बहाली की मांग की। इस आंदोलन का नेतृत्व राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) ने किया, और इसके प्रमुख नेता नवराज सुबेदी ने ‘संविधान 1991’ की बहाली की मांग की।
19 फरवरी 2025 को, पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह ने एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने वर्तमान सरकार की अस्थिरता और भ्रष्टाचार पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने नागरिकों से एकजुट होने और देश की प्रगति के लिए समर्थन देने की अपील की। हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर राजतंत्र की वापसी की बात नहीं की, लेकिन उनके संदेश को संकेत के रूप में देखा गया।
28 मार्च 2025 को काठमांडू में राजतंत्र समर्थकों और गणराज्य समर्थकों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। पुलिस ने आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया, जबकि प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया और वाहनों को आग लगा दी। इस संघर्ष में कई लोग घायल हुए और कई को गिरफ्तार किया गया।
नेपाल सरकार ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों की संख्या घटा दी गई, और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई। काठमांडू नगर निगम ने उन्हें पर्यावरणीय नुकसान के लिए जुर्माना भी लगाया।
हिमालमीडिया द्वारा 2024 में कराए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग आधे नेपाली नागरिक देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को पलटकर हिन्दू राज्य की बहाली के पक्ष में हैं। यह दर्शाता है कि जनता में असंतोष और बदलाव की इच्छा गहरी है।
नेपाल की राजनीति में यह उथल-पुथल कई सवाल खड़े करती है। क्या नेपाल फिर से राजतंत्र की ओर लौटेगा? क्या वर्तमान सरकार अस्थिरता को नियंत्रित कर पाएगी? और क्या जनता की इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए कोई स्थायी समाधान निकाला जा सकेगा?
नेपाल की वर्तमान स्थिति दर्शाती है कि राजनीतिक अस्थिरता और जनता की असंतोषजनक स्थिति राजतंत्र की वापसी की ओर इशारा कर रही है। हालांकि यह कहना जल्दबाजी होगी कि नेपाल का भविष्य क्या होगा, लेकिन यह निश्चित है कि नेपाल की राजनीति में एक नया मोड़ आ चुका है।