




एशिया कप 2025 के सफल समापन के बाद भारतीय क्रिकेट टीम अब नए चुनौतियों की तैयारी में जुट गई है। दुबई में आयोजित विशेष ट्रेनिंग सत्र के दौरान खिलाड़ियों के लिए एक नया फिटनेस ड्रिल पेश किया गया है। यह ड्रिल “ब्रोंको टेस्ट” की जगह लेगा, जो पिछले कुछ वर्षों से खिलाड़ियों की सहनशक्ति और फिटनेस मापने का प्रमुख पैमाना रहा है।
क्रिकेट के बदलते परिदृश्य और बढ़ते मैचों के बोझ को देखते हुए यह जरूरी हो गया था कि खिलाड़ियों की फिटनेस को एक आधुनिक और अधिक प्रभावी पैमाने पर आंका जाए। इसी उद्देश्य से भारतीय टीम प्रबंधन और फिटनेस कोचिंग स्टाफ ने मिलकर इस नए ड्रिल को अपनाने का फैसला किया।
“ब्रोंको टेस्ट” मूल रूप से रग्बी और फुटबॉल जैसे खेलों से लिया गया था। इसमें खिलाड़ी को 20 मीटर, 40 मीटर और 60 मीटर की दौड़ को बार-बार तय समय में पूरा करना होता था। यह टेस्ट खिलाड़ियों की सहनशक्ति और रिकवरी क्षमता का अंदाज़ा लगाने के लिए प्रभावी माना जाता था।
हालाँकि क्रिकेट की ज़रूरतें फुटबॉल और रग्बी से अलग हैं। क्रिकेट में खिलाड़ी को स्प्रिंट, तेज़ रनिंग, और छोटे अंतरालों के बीच रिकवरी की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि टीम प्रबंधन को लगा कि ब्रोंको टेस्ट से खिलाड़ियों की वास्तविक जरूरतें पूरी तरह सामने नहीं आ रही थीं।
नया ड्रिल वैज्ञानिक तौर पर डिज़ाइन किया गया है और इसे क्रिकेट के मुताबिक ढाला गया है। इसमें खिलाड़ियों को छोटे-छोटे इंटरवल रनिंग पैटर्न से गुजरना होता है, जिसमें गति, स्टैमिना और रिकवरी टाइम की सटीक माप की जाती है।
इस ड्रिल में शामिल प्रमुख चरण निम्नलिखित हैं:
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इंटरवल रनिंग (Interval Running): खिलाड़ियों को 30 सेकंड तक लगातार तेज़ दौड़ना होता है, उसके बाद 15 सेकंड का ब्रेक मिलता है।
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स्प्रिंट और रिकवरी (Sprint & Recovery): 40 मीटर की दूरी पर तेज़ स्प्रिंट लगाने के बाद तुरंत वापसी करनी होती है।
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हार्ट रेट मॉनिटरिंग (Heart Rate Monitoring): हर खिलाड़ी की हार्ट रेट और रिकवरी टाइम को तकनीकी उपकरणों से ट्रैक किया जाता है।
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व्यक्तिगत फिटनेस स्कोर (Personal Fitness Score): प्रत्येक खिलाड़ी को उसके प्रदर्शन के आधार पर एक फिटनेस इंडेक्स दिया जाएगा।
भारतीय टीम प्रबंधन मानता है कि आधुनिक क्रिकेट में खिलाड़ी पर शारीरिक और मानसिक दोनों तरह का दबाव बढ़ा है। T20, वनडे और टेस्ट क्रिकेट के बीच लगातार बदलाव खिलाड़ियों से तेज़ अनुकूलन की मांग करते हैं। इस नए ड्रिल के जरिए टीम यह सुनिश्चित करना चाहती है कि खिलाड़ी केवल फिट न दिखें, बल्कि मैदान पर प्रदर्शन करते समय ऊर्जा और फुर्ती बनाए रखें।
टीम इंडिया के स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच ने कहा, “ब्रोंको टेस्ट ने हमें एक मजबूत आधार दिया था, लेकिन क्रिकेट की मांगें बदल चुकी हैं। नया ड्रिल हमें खिलाड़ियों की वास्तविक फिटनेस को और स्पष्ट तरीके से समझने का मौका देगा।”
उन्होंने आगे कहा कि इस ड्रिल में खिलाड़ियों की रिकवरी क्षमता और स्प्रिंट स्पीड पर अधिक ध्यान दिया गया है। यह दोनों ही तत्व सीमित ओवरों के खेल में बेहद महत्वपूर्ण होते हैं।
भारतीय कप्तान ने ट्रेनिंग सत्र के बाद कहा कि यह ड्रिल चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन इससे फिटनेस स्तर की बेहतर तस्वीर सामने आती है। कई खिलाड़ियों ने माना कि यह नया तरीका उन्हें अपनी कमजोरियों को पहचानने और सुधारने में मदद करेगा।
युवा खिलाड़ियों ने इसे एक रोमांचक अनुभव बताया। उनके अनुसार, यह टेस्ट ब्रोंको की तुलना में अधिक गेम-सिचुएशन जैसा लगता है, जिससे फिटनेस का असली आकलन होता है।
बीसीसीआई और टीम प्रबंधन ने साफ कर दिया है कि आगे आने वाले टूर्नामेंट्स जैसे चैंपियंस ट्रॉफी 2025 और टी20 वर्ल्ड कप 2026 के लिए खिलाड़ियों की चयन प्रक्रिया में इस ड्रिल को अहम स्थान दिया जाएगा।
नए फिटनेस पैमाने को पार करना खिलाड़ियों के लिए अनिवार्य होगा। इसका मतलब यह है कि चयन केवल बैटिंग या बॉलिंग स्किल पर नहीं, बल्कि फिटनेस के इस आधुनिक पैमाने पर भी आधारित होगा।
भारतीय क्रिकेट में यह फिटनेस ड्रिल बदलाव का संकेत है। जहाँ ब्रोंको टेस्ट ने वर्षों तक खिलाड़ियों को दिशा दी, वहीं अब यह नया टेस्ट खिलाड़ियों को अगले स्तर पर ले जाएगा। एशिया कप 2025 के बाद यह कदम भारतीय क्रिकेट के लिए फिटनेस और प्रदर्शन दोनों ही स्तर पर नई उम्मीदें लेकर आया है।