




चुनाव आयोग (Election Commission) ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया है कि चुनाव आयोजित करने की तारीख तय करने का अधिकार केवल चुनाव आयोग का है। किसी अन्य संस्था या सरकारी एजेंसी का इसमें कोई दखल नहीं हो सकता।
🔹 सुप्रीम कोर्ट में EC का बयान
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चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि संविधान के तहत चुनाव की तिथियां निर्धारित करना उसकी जिम्मेदारी है।
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आयोग ने यह भी कहा कि राज्य सरकार या कोई अन्य केंद्रीय एजेंसी चुनाव तिथि तय नहीं कर सकती।
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इस बयान का उद्देश्य यह स्पष्ट करना था कि चुनाव प्रक्रिया में स्वतंत्रता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना आयोग का मुख्य कार्य है।
🔹 पृष्ठभूमि
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हाल ही में कुछ मामलों में यह विवाद उठे थे कि चुनाव तिथि तय करने का अधिकार किसके पास है।
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विपक्षी और कुछ राजनीतिक दलों ने सवाल उठाया कि चुनाव आयोग को तिथि तय करने का अधिकार स्वतंत्र और पारदर्शी है या नहीं।
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इस पर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट कर दिया कि कानूनी रूप से केवल आयोग ही चुनाव की तारीख घोषित कर सकता है।
🔹 चुनाव आयोग का पक्ष
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आयोग ने कहा कि चुनाव की तारीख तय करना राजनीतिक दबाव से स्वतंत्र होना चाहिए।
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यह अधिकार आयोग को संविधान ने दिया है ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी बनी रहे।
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आयोग ने यह भी कहा कि किसी भी अन्य संस्था द्वारा हस्तक्षेप करना संवैधानिक और कानूनी रूप से गलत होगा।
🔹 विशेषज्ञों की राय
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चुनाव विशेषज्ञों का कहना है कि यह बयान लोकतंत्र की मजबूती और चुनाव आयोग की स्वतंत्रता की पुष्टि करता है।
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किसी अन्य संस्था का दखल लोकतांत्रिक प्रक्रिया में असंतुलन और विवाद पैदा कर सकता है।
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सुप्रीम कोर्ट में यह बयान यह संकेत देता है कि आगामी चुनावों में कोई बाहरी दबाव चुनाव आयोग पर काम नहीं करेगा।
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में यह स्पष्ट कर दिया कि चुनाव की तारीख तय करना केवल आयोग का अधिकार है। यह लोकतंत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे यह भी संदेश गया कि चुनाव प्रक्रिया में राजनीतिक दबाव या बाहरी हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं है।