




नवाबों का शहर लखनऊ अपनी अद्भुत तहज़ीब, भाषा, साहित्य और स्थापत्य कला के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। इस ऐतिहासिक शहर ने इस बार अपनी 250 वर्ष पुरानी धरोहर का अनूठा जश्न मनाया। थीम थी — “इन द पिंक ऑफ हेल्थ” — यानी संपूर्ण स्वास्थ्य और समृद्ध संस्कृति का संगम।
इस कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि किसी भी शहर की पहचान केवल उसकी इमारतों और इतिहास से नहीं होती, बल्कि वहां के लोगों की जीवनशैली, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक जुड़ाव से भी होती है।
इतिहास की झलक
लखनऊ का इतिहास 18वीं शताब्दी के नवाबों से जुड़ा है, जब यह शहर कला, संगीत, नृत्य और व्यंजनों का गढ़ बन गया। नवाब आसफ़-उद-दौला से लेकर वाजिद अली शाह तक, शासकों ने शहर को वास्तुकला और संस्कृति की धरोहर दी। इमारतें जैसे बड़ा इमामबाड़ा, रूमी दरवाज़ा, छतर मंज़िल आज भी इस गौरव को दर्शाती हैं। 250 वर्षों में लखनऊ ने केवल संस्कृति ही नहीं, बल्कि भाषा और तहज़ीब के रूप में भी अपनी खास पहचान बनाई।
जश्न का आयोजन
250 वर्षों की इस यात्रा को सम्मानित करने के लिए लखनऊ में भव्य विरासत उत्सव आयोजित किया गया।
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कार्यक्रम में संगीत और कथक नृत्य की प्रस्तुतियों ने नवाबी दौर की याद ताजा कर दी।
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अवधी व्यंजन महोत्सव ने लोगों को पारंपरिक कबाब, बिरयानी और मिठाइयों का स्वाद चखाया।
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प्रदर्शनी में पुरानी तस्वीरें, ऐतिहासिक दस्तावेज़ और पारंपरिक शिल्पकला को दिखाया गया।
स्वास्थ्य का संदेश – “इन द पिंक ऑफ हेल्थ”
कार्यक्रम का खास आकर्षण यह था कि धरोहर उत्सव को स्वास्थ्य जागरूकता के साथ जोड़ा गया।
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योग और आयुर्वेद कार्यशालाएँ आयोजित की गईं।
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फिटनेस वॉक और साइकिल रैली का आयोजन कर नागरिकों को सक्रिय जीवनशैली अपनाने का संदेश दिया गया।
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हेल्थ चेकअप कैम्प में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया और मुफ्त परामर्श प्राप्त किया।
इसका मकसद था कि जैसे लखनऊ ने 250 वर्षों की संस्कृति को संजोया है, वैसे ही आने वाले समय में लोग अपने स्वास्थ्य को भी संजोएं और सुरक्षित रखें।
स्थानीय कलाकारों और नागरिकों की भागीदारी
इस कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों, शिल्पकारों और स्कूल-कॉलेज के छात्रों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। बच्चों ने अवधी लोकगीतों की शानदार प्रस्तुतियाँ दीं। महिलाओं ने पारंपरिक चिकनकारी और हस्तकला प्रदर्शनी लगाई, जिसे लोगों ने खूब सराहा। युवाओं ने नवाबी दौर पर आधारित नाटक प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
पर्यटन और आर्थिक दृष्टिकोण
लखनऊ का यह जश्न केवल सांस्कृतिक नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी अहम रहा।
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बड़ी संख्या में देश-विदेश से आए पर्यटकों ने इसमें भाग लिया।
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होटल, रेस्टोरेंट और बाजारों में रौनक लौट आई।
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स्थानीय हस्तशिल्प और खाद्य उद्योग को भी बढ़ावा मिला।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के आयोजन लखनऊ को विरासत पर्यटन (Heritage Tourism) का बड़ा केंद्र बना सकते हैं।
इतिहासकारों ने कहा कि लखनऊ की तहज़ीब केवल किताबों में नहीं, बल्कि आज भी जिंदा है और इस तरह के कार्यक्रम इसे जीवित रखते हैं। स्थानीय प्रशासन ने इस आयोजन को लखनऊ की अंतरराष्ट्रीय पहचान को और मजबूत करने वाला बताया। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि सांस्कृतिक जश्न में स्वास्थ्य का संदेश जोड़ना एक सकारात्मक पहल है।
लखनऊ का यह 250 वर्षों की धरोहर का जश्न केवल भूतकाल को याद करने का अवसर नहीं था, बल्कि भविष्य की राह दिखाने वाला भी था।
यह कार्यक्रम हमें सिखाता है कि किसी भी समाज की मजबूती उसकी संस्कृति और स्वास्थ्य दोनों के संरक्षण में है।
“इन द पिंक ऑफ हेल्थ” थीम के जरिए लखनऊ ने यह साबित कर दिया कि जब शहर अपनी जड़ों से जुड़ा रहता है और आधुनिक जीवनशैली के साथ स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता देता है, तभी वह सच्चे अर्थों में प्रगति करता है।