




एशियाई शेयर बाजारों में आज मिला-जुला रुख रहा। जापान का निक्केई 225 सूचकांक 0.2% की बढ़त के साथ ऊपर गया, जबकि वॉल स्ट्रीट के प्रमुख सूचकांक रिकॉर्ड ऊँचाइयों से थोड़े पीछे हटे। निवेशक अमेरिकी फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) की आगामी बैठक और दर कटौती की संभावनाओं को लेकर सतर्क बने हुए हैं।
एशियाई बाजारों की स्थिति
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जापान का निक्केई 225: करीब 0.2% ऊपर रहा और रिकॉर्ड स्तरों के पास कारोबार हुआ। निवेशकों को उम्मीद है कि घरेलू अर्थव्यवस्था के लिए सरकार के नए प्रोत्साहन उपाय सकारात्मक असर डालेंगे।
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दक्षिण कोरिया का KOSPI: लगभग 1% की गिरावट में रहा। तकनीकी शेयरों और निर्यातक कंपनियों पर दबाव देखने को मिला।
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ऑस्ट्रेलिया का S&P/ASX 200: करीब 0.7% नीचे बंद हुआ। ऊर्जा और खनन क्षेत्र में बिकवाली प्रमुख कारण रही।
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हांगकांग का हैंगसेंग इंडेक्स: लगभग 0.9% की बढ़त दर्ज की। निवेशकों ने चीनी तकनीकी और रियल एस्टेट कंपनियों में रुचि दिखाई।
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चीन का शंघाई कम्पोज़िट: थोड़ी गिरावट के साथ बंद हुआ। निवेशक घरेलू नीतिगत अनिश्चितताओं से सतर्क रहे।
अमेरिकी शेयर बाजार कल हल्की गिरावट के साथ बंद हुए। S&P 500, डॉव जोन्स और नैस्डैक तीनों ने पिछले सत्र में बने रिकॉर्ड स्तरों से थोड़ी गिरावट दिखाई। निवेशकों ने हाल की तेज़ तेजी के बाद मुनाफावसूली की और आगामी फेडरल रिजर्व बैठक को लेकर सतर्कता दिखाई। अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और मुद्रास्फीति डेटा पर भी निवेशकों की नज़र टिकी रही।
बाजार में व्यापक अनुमान है कि फेड इस हफ्ते ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती करेगा। यह साल की पहली कटौती हो सकती है, जिससे वैश्विक तरलता बढ़ेगी। उभरते बाजारों, विशेषकर एशिया में पूंजी प्रवाह बढ़ने की संभावना है। हालांकि, निवेशक यह भी देखना चाहते हैं कि फेड आगे की नीतियों के बारे में क्या संकेत देता है।
निवेशक मनोभाव और वैश्विक संकेत
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जापान: हालिया व्यापार आंकड़ों में निर्यात में गिरावट आई है, लेकिन आयात और व्यापार घाटे में सुधार ने बाजार को सहारा दिया।
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चीन: घरेलू आर्थिक सुस्ती और नीतिगत अनिश्चितताएँ बाजार को दबाव में रखे हुए हैं।
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यूरोप: शुरुआती कारोबार में स्थिरता रही, लेकिन सभी की निगाह अमेरिकी फैसलों पर टिकी हुई है।
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तेल और ऊर्जा की कीमतें: अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें स्थिर रहीं, जिससे ऊर्जा शेयरों पर कुछ दबाव कम हुआ।
किन सेक्टरों में रही हलचल?
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टेक्नोलॉजी शेयर: जापान और हांगकांग में आईटी और टेक कंपनियों के शेयरों ने बाजार को मजबूती दी।
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ऊर्जा और मेटल सेक्टर: ऑस्ट्रेलिया और चीन में कमजोरी का मुख्य कारण यही सेक्टर रहे।
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रियल एस्टेट: हांगकांग में निवेशकों ने रियल एस्टेट कंपनियों में खरीदारी की, जिससे बाजार को सहारा मिला।
आगे की चुनौतियाँ
हालांकि निवेशकों में भरोसा बना हुआ है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी बाजार को प्रभावित कर सकती हैं:
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फेड की नीतियाँ: अगर ब्याज दर कटौती अपेक्षा से कम या नीतिगत बयान सख्त रहे, तो बाजार में गिरावट आ सकती है।
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भू-राजनीतिक तनाव: एशिया और यूरोप में व्यापार नीतियों पर मतभेद बाजार की स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं।
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मुद्रास्फीति: अमेरिका और एशिया दोनों जगह महंगाई दर बाजार पर दबाव बना सकती है।
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निर्यात डेटा: जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के लिए निर्यात में कमी चिंता का विषय है।
अल्पकालिक निवेशक सतर्क रुख अपनाएँ और बड़े उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए पोर्टफोलियो में संतुलन रखें। दीर्घकालिक निवेशकों के लिए एशियाई बाजार अभी भी आकर्षक बने हुए हैं, खासकर टेक्नोलॉजी और उपभोक्ता सेक्टर में। फेडरल रिजर्व की बैठक के नतीजे और जेरोम पॉवेल का बयान अगले कुछ दिनों की दिशा तय करेंगे।
आज एशियाई शेयर बाजारों ने मिले-जुले संकेत दिए। जापान का निक्केई 0.2% चढ़कर मजबूत हुआ, जबकि दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया में कमजोरी रही। हांगकांग और चीन में निवेशकों की अलग-अलग प्रतिक्रिया देखी गई।
दूसरी ओर, वॉल स्ट्रीट रिकॉर्ड ऊँचाइयों से हल्का पीछे हटा। अब सबकी निगाह अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक और ब्याज दरों पर है। यदि दर कटौती होती है और आगे की नीति निवेशकों को आश्वस्त करती है, तो एशियाई बाजार में नई तेजी देखने को मिल सकती है।