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    पंजाब के कंप्यूटर अध्यापक वेतन विवाद में फंसे, सरकार से तुरंत भुगतान की मांग

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    जियन सहानी | मलोट | समाचार वाणी न्यूज़ – पंजाब में शिक्षा विभाग के पिक्टस सोसायटी के अधीन लंबे समय से सेवाएं दे रहे कंप्यूटर अध्यापकों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। पिछले महीने से अध्यापकों को वेतन नहीं मिला है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है और वेतन भुगतान में देरी ने अध्यापकों के धैर्य की परीक्षा ले ली है। इस मामले ने मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार की वित्तीय स्थिति पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। कई अध्यापक अब अपनी बुनियादी जरूरतें पूरी करने में भी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और यह स्थिति प्रदेश में शिक्षा कर्मचारियों के प्रति सरकारी नीति की आलोचना का केंद्र बन गई है।

    सरकारी अध्यापक संघ जिला श्री मुक्तसर साहिब के नेताओं ने बताया कि कंप्यूटर अध्यापकों को 15 नवंबर 2022 को पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस द्वारा दिवाली पर विशेष तोहफा देने का वादा किया गया था। यह तोहफा उन्हें उनके हक के अनुसार मिलेगा और उनके आर्थिक स्थायित्व में सहायक होगा। हालांकि, कई दिवालियों बीत जाने के बाद भी यह वादा पूरा नहीं हुआ है और अगस्त माह का वेतन भी अब तक जारी नहीं किया गया है। इस असंतोष ने अध्यापकों में सरकार के प्रति भारी निराशा और रोष पैदा कर दिया है।

    यूनियन नेताओं ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान और आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल चुनावों से पहले बड़े-बड़े वादे करते थे कि राज्य की आय से बड़ी रकम जनता के भले के लिए खर्च की जाएगी। इनमें रेत, बजरी और शराब से इकट्ठा किए गए करोड़ों रुपये शामिल थे। लेकिन अब यह सभी वादे खोखले साबित हो रहे हैं। नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द ही कंप्यूटर अध्यापकों का वेतन जारी नहीं किया, तो शिक्षक संघर्ष के लिए मजबूर होंगे।

    इस दौरान यूनियन नेताओं ने यह भी कहा कि शिक्षा क्षेत्र में ऐसी अनियमितताएं केवल अध्यापकों को ही नहीं प्रभावित कर रही हैं, बल्कि छात्रों और उनके परिवारों पर भी असर डाल रही हैं। अध्यापकों का आर्थिक संकट उनकी पढ़ाई और स्कूल के संचालन पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालता है। अध्यापकों का मनोबल गिरने से शिक्षा की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है, जो भविष्य में शिक्षा क्षेत्र की समस्याओं को और बढ़ा सकता है।

    इस अवसर पर कुलविंदर सिंह, विक्रमजीत सिंह संधू, अमनदीप सिंह गिल, गुरमीत पाल सिंह, अमनदीप खुराना, हरबख्श बहादुर सिंह, मुकेश कुमार, अमरीक सिंह कालरा और कुलबीर जोशी सहित कई अन्य शिक्षक और कर्मचारी मौजूद थे। उन्होंने सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की और कहा कि यदि वेतन भुगतान में और देरी हुई, तो अध्यापक संघ कड़ा संघर्ष करने से पीछे नहीं हटेगा।

    अध्यापक नेताओं का मानना है कि वेतन भुगतान केवल वित्तीय जरूरत नहीं, बल्कि उनके काम और मेहनत के सम्मान का प्रतीक भी है। इस असंतोष के समाधान के लिए सरकार को तत्काल कदम उठाने होंगे। शिक्षक संघ ने कहा कि वे अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण संघर्ष करेंगे और प्रदेश सरकार से आग्रह किया कि शिक्षा क्षेत्र में सुधार और कर्मचारियों के भले के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।

    इस संकट ने स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षा और अध्यापकों की भलाई राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में होना चाहिए। यदि सरकार ने इस मुद्दे को नजरअंदाज किया, तो इसका प्रत्यक्ष असर शिक्षा व्यवस्था पर भी पड़ सकता है। इसलिए शिक्षा विभाग और सरकार दोनों को मिलकर समाधान निकालने की आवश्यकता है ताकि कंप्यूटर अध्यापक समय पर वेतन प्राप्त कर सकें और शिक्षा क्षेत्र में स्थायित्व बना रहे।

    यह स्थिति यह भी दिखाती है कि शिक्षा कर्मचारियों की समस्याओं को नजरअंदाज करना सिर्फ उनकी व्यक्तिगत कठिनाइयों को बढ़ाता है, बल्कि राज्य के शिक्षा क्षेत्र की विश्वसनीयता और गुणवत्ता पर भी गंभीर असर डालता है। समय रहते समाधान न मिलने पर यह संघर्ष और गहरा सकता है, जो शिक्षा क्षेत्र में स्थिरता और विकास के लिए चुनौती बन सकता है।

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