




सीएल सैनी | फतेहपुर | समाचार वाणी न्यूज़
फतेहपुर जिले में केला उत्पादक किसानों की हालत इस समय गंभीर बनी हुई है। किसानों का कहना है कि उनकी फसल खेतों में पूरी तरह तैयार खड़ी है, लेकिन उचित दाम न मिलने के कारण खरीदार नहीं आ रहे हैं। फलस्वरूप, खेतों में पका हुआ केला सड़ने लगा है और किसानों के लिए आर्थिक नुकसान का खतरा बढ़ गया है।
किसानों ने बताया कि इस बार बाहरी राज्यों के व्यापारी फतेहपुर नहीं पहुंचे, जिससे फसल की बिक्री प्रभावित हुई। इसके अलावा, पंजाब में आई बाढ़ के कारण वहां की खपत भी प्रभावित हुई, जिससे मांग और घट गई।
किसान यह भी बताते हैं कि केला की खेती तैयार करने में लगभग डेढ़ साल का समय लगता है और इसमें लगभग 35 से 40 हजार रुपये की लागत आती है। सामान्य परिस्थितियों में एक बीघा खेत से डेढ़ लाख रुपये तक की आमदनी हो जाती थी। लेकिन इस बार उचित मूल्य न मिलने के कारण किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं।
किसान अब जिला प्रशासन और राज्य सरकार से मांग कर रहे हैं कि उनकी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुनिश्चित किया जाए। उनका कहना है कि ऐसा न होने पर वे आर्थिक नुकसान से बुरी तरह प्रभावित होंगे और भविष्य में खेती जारी रखना भी मुश्किल हो जाएगा।
किसानों का कहना है कि केले की खेती में समय और मेहनत दोनों बहुत ज्यादा लगते हैं। यदि समय पर उचित दाम न मिला तो किसान मजबूरन अपने फसल को खेत में छोड़ने को मजबूर होंगे। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ेगी बल्कि क्षेत्र में फल और सब्जियों की आपूर्ति भी प्रभावित होगी।
फतेहपुर के किसानों की यह स्थिति कृषि और आर्थिक नीति दोनों के दृष्टिकोण से चिंता का विषय है। प्रशासन और सरकार को चाहिए कि वे किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करें और उन्हें फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए कदम उठाएं। इससे न केवल किसानों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि फल और सब्जियों की आपूर्ति भी बनी रहेगी।