




भारतीय शेयर बाजार आज लगातार छठे दिन कमजोरी का सामना कर रहा है। घरेलू सूचकांक सेंसेक्स 400 अंक नीचे 60,000 के स्तर के नीचे बंद हुआ, जबकि निफ्टी भी गिरावट के साथ कारोबार कर रहा था। बाजार की इस गिरावट के पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दवा कंपनियों पर लगाए गए 100 फीसदी टैरिफ को प्रमुख कारण माना जा रहा है।
फार्मा शेयरों में भारी दबाव
विशेष रूप से फार्मा सेक्टर में आज भारी गिरावट देखने को मिली। निफ्टी फार्मा इंडेक्स 2.3% गिरकर निवेशकों के लिए चिंता का विषय बन गया है। इसके अलावा, सन फार्मा के शेयर 5% की गिरावट के साथ 52 सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंच गए। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी टैरिफ ने भारतीय दवा कंपनियों की निर्यात संभावनाओं पर प्रतिकूल असर डाला है।
फार्मा कंपनियों के लिए अमेरिका एक बड़ा बाजार है और यहां उच्च टैरिफ लागू होने से उनके मुनाफे पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है। इस कारण निवेशक सतर्क हो गए हैं और शेयरों की बिकवाली में तेजी आई है।
बाजार विशेषज्ञों की राय
शेयर बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप के टैरिफ के बाद फार्मा सेक्टर में निवेशकों का डर स्वाभाविक है। “अमेरिकी दवा बाजार में टैरिफ बढ़ने से कंपनियों के निर्यात में कमी आएगी, जिससे उनके राजस्व और लाभप्रदता पर असर पड़ सकता है। यह खबर निवेशकों के लिए नकारात्मक संकेत है,” एक वरिष्ठ शेयर विश्लेषक ने कहा।
इसके अलावा, फार्मा सेक्टर की कंपनियों के शेयरों पर विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने भी दबाव बढ़ाया। विदेशी निवेशक आमतौर पर वैश्विक घटनाओं के प्रति संवेदनशील होते हैं और टैरिफ जैसी नीतिगत घटनाओं के चलते तेजी से शेयर बेच सकते हैं।
मुख्य प्रभावित शेयर और उनके प्रदर्शन
आज के कारोबारी सत्र में सन फार्मा के अलावा डॉ. रेड्डीज, सिप्ला, डिविस लैब्स और लुपिन जैसे प्रमुख फार्मा शेयर भी नीचे आए।
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सन फार्मा: 5% गिरावट, 52 सप्ताह का निचला स्तर
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डॉ. रेड्डीज: 3.8% गिरावट
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सिप्ला: 4% गिरावट
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लुपिन: 3.5% गिरावट
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अमेरिकी सरकार ने टैरिफ संबंधी नीति में कोई नरमी नहीं दिखाई, तो फार्मा सेक्टर में अगले कुछ सप्ताह भी दबाव बना रह सकता है।
सेंसेक्स और निफ्टी का समग्र प्रदर्शन
सेंसेक्स आज 400 अंक गिरकर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स भी 0.7% की गिरावट के साथ बंद हुआ। बैंकिंग, ऑटो और मेटल शेयरों में हल्की स्थिरता देखी गई, लेकिन फार्मा और आईटी सेक्टर में कमजोरी ने समग्र बाजार पर दबाव बनाए रखा।
विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक घटनाओं और अमेरिकी नीतियों के चलते भारतीय बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है। निवेशकों को इस समय सतर्क रहकर ही निर्णय लेने की सलाह दी जा रही है।
फार्मा सेक्टर का भविष्य और चुनौतियाँ
फार्मा कंपनियों के लिए अमेरिकी टैरिफ चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका उनके लिए सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। यदि निर्यात पर यह टैरिफ लागू रहा, तो कंपनियों को न केवल राजस्व में कमी झेलनी पड़ सकती है, बल्कि नए बाजार खोजने और लागत कम करने की रणनीतियाँ अपनानी पड़ सकती हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशकों को इस समय धैर्य रखना होगा। “फार्मा सेक्टर की बुनियादी मजबूती अभी भी बरकरार है। दीर्घकालिक निवेशक इस गिरावट को अवसर के रूप में देख सकते हैं,” एक विश्लेषक ने कहा।
अमेरिका के 100% टैरिफ के चलते भारतीय फार्मा शेयरों में आज भारी गिरावट देखी गई। निफ्टी फार्मा इंडेक्स 2.3% डाउन रहा, और सन फार्मा 52 सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंच गया। सेंसेक्स 400 अंक नीचे बंद हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट फिलहाल निवेशकों के लिए सतर्कता का संकेत है, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से फार्मा सेक्टर की बुनियादी मजबूती बनी हुई है।
बाजार की अस्थिरता और अमेरिकी नीतियों के प्रभाव के चलते निवेशकों को सतर्क रहकर अपने पोर्टफोलियो को संतुलित रखना होगा। फार्मा कंपनियों को निर्यात और लागत प्रबंधन में रणनीतियाँ अपनानी पड़ सकती हैं।
इस स्थिति ने यह साबित कर दिया कि वैश्विक नीतिगत फैसले भारतीय शेयर बाजार और विशेषकर फार्मा सेक्टर को तुरंत प्रभावित कर सकते हैं।