




लद्दाख, भारत का वह क्षेत्र है जो भौगोलिक, सामरिक और राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील माना जाता है। हाल ही में यहां पूर्ण राज्य की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों में चार लोगों की मौत और कई लोगों के घायल होने की खबर आई। इन घटनाओं ने एक बार फिर इस क्षेत्र को चर्चा के केंद्र में ला दिया है।
लेकिन सवाल उठता है कि आखिर क्यों लद्दाख पर चीन और पाकिस्तान की निगाहें हमेशा टिकी रहती हैं? और क्यों यह इलाका भारत, चीन और पाकिस्तान के लिए लगातार रणनीतिक चिंता का विषय बना हुआ है?
हालिया प्रदर्शन और स्थिति
लद्दाख में प्रदर्शनकारियों ने पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग को लेकर विरोध जताया। यह प्रदर्शन अचानक हिंसक हो गया, जिसके चलते कई लोग घायल हो गए और चार की जान चली गई। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की अस्थिरता केवल स्थानीय असंतोष का नतीजा नहीं है।
इसमें विदेशी ताकतों के हस्तक्षेप से भी इनकार नहीं किया जा सकता। लद्दाख की सीमा चीन और पाकिस्तान दोनों से सटी हुई है। इसलिए यहां की हर हलचल इन देशों के लिए मायने रखती है।
चीन की नजरें क्यों टिकी हैं लद्दाख पर?
चीन के लिए लद्दाख केवल एक पड़ोसी क्षेत्र नहीं बल्कि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इलाका है।
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काराकोरम दर्रा:
यह दर्रा चीन और पाकिस्तान को जोड़ता है। लद्दाख से होकर चीन की सामरिक गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है। -
गलवान और पैंगोंग झील:
2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई झड़प ने यह स्पष्ट कर दिया कि चीन लगातार इस क्षेत्र में दबाव बनाना चाहता है। -
सिल्क रूट और व्यापार:
चीन अपनी ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) के तहत लद्दाख को रणनीतिक कड़ी मानता है। अगर भारत यहां मजबूत होता है, तो चीन की योजनाओं पर असर पड़ता है।
पाकिस्तान की रणनीति और लद्दाख
पाकिस्तान भी लद्दाख पर खास ध्यान देता है।
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गिलगित-बाल्टिस्तान कनेक्शन:
लद्दाख का एक हिस्सा गिलगित-बाल्टिस्तान के पास है, जिस पर पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है। पाकिस्तान इसे ‘आजाद कश्मीर’ का हिस्सा बताता है, जबकि भारत इसे अपना अभिन्न अंग मानता है। -
सैन्य दबाव:
पाकिस्तान की कोशिश रहती है कि लद्दाख को अस्थिर करके भारत को पश्चिमी सीमा पर भी दबाव में रखा जाए। -
चीन-पाकिस्तान गठबंधन:
पाकिस्तान, चीन के साथ मिलकर लद्दाख को भारत के खिलाफ रणनीतिक मोर्चे के रूप में देखता है।
भारत के लिए लद्दाख का महत्व
भारत के लिए लद्दाख केवल एक सीमावर्ती इलाका नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत अहम है।
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सैन्य अड्डे: लद्दाख में भारतीय सेना की कई महत्वपूर्ण चौकियां हैं, जो चीन और पाकिस्तान दोनों पर नजर रखती हैं।
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प्राकृतिक संसाधन: यहां खनिज और जल संसाधन उपलब्ध हैं।
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भौगोलिक सुरक्षा: अगर लद्दाख असुरक्षित हुआ, तो भारत की उत्तरी सीमाएं खतरे में आ सकती हैं।
लद्दाख की मांग और राजनीतिक पहलू
2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। लेकिन वहां की जनता लगातार पूर्ण राज्य का दर्जा चाहती है।
इस मांग के पीछे यह तर्क है कि स्थानीय लोगों को अपने भविष्य और संसाधनों पर पूरा अधिकार मिलना चाहिए। लेकिन विरोधी ताकतें इस मांग को उकसाकर भारत के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश करती हैं।
क्या विदेशी हाथ सक्रिय हैं?
लद्दाख में हालिया हिंसक घटनाओं ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। खुफिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तान और चीन यहां अशांति फैलाने की कोशिश कर सकते हैं।
इससे भारत की सीमाओं पर दोतरफा दबाव बनाया जा सकता है। यही वजह है कि विशेषज्ञ इस स्थिति को बेहद गंभीर मान रहे हैं।
लद्दाख केवल एक सीमावर्ती इलाका नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा कवच है। चीन और पाकिस्तान की रणनीति यही है कि इस क्षेत्र में किसी तरह अशांति फैलाई जाए और भारत को कमजोर किया जाए।
हालांकि, भारतीय सेना और सरकार इस इलाके पर पूरी तरह नजर बनाए हुए हैं। लेकिन यह भी सच है कि लद्दाख का सामरिक महत्व आने वाले समय में और भी बढ़ेगा। इसलिए यहां शांति और स्थिरता बनाए रखना भारत के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।