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    जहां हुई शिव-पार्वती की शादी: उत्तराखंड मंदिर में 40 हजार में फेरे, मराठी दुल्हन ने पहना लाल लहंगा

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    शादी का उत्सव हर भारतीय के जीवन में एक विशेष स्थान रखता है। शादी की तैयारी में जगह, तारीख, और उत्सव की भव्यता पर महीनों तक चर्चा होती है। परन्तु कुछ शादियों की सादगी ही उन्हें विशेष बनाती है। ऐसा ही एक अनोखा उदाहरण उत्तराखंड के एक प्राचीन मंदिर में देखने को मिला।

    यह वही मंदिर है जहां पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती ने विवाह किया था। अब यहां नई पीढ़ी अपने सपनों की शादी के लिए पहुंच रही है, और सिर्फ 40 हजार रुपये में फेरे ले रही है।

    सादगी में है खासियत

    शादी की तारीख तय होते ही जोड़े इस मंदिर की तलाश करते हैं। कई दंपतियों के लिए शादी सिर्फ एक धार्मिक संस्कार नहीं बल्कि आध्यात्मिक अनुभव भी बन जाती है। इस जगह पर शादी करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि सस्ता और सरल आयोजन किया जा सकता है, फिर भी यह धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

    मराठी दुल्हन और लाल लहंगा

    इस मंदिर में हाल ही में तीन जोड़ों की शादी हुई, जिनमें से एक मराठी दुल्हन थी। उसने पारंपरिक लाल लहंगा पहना, जो भारतीय शादियों का प्रतीक माना जाता है। दुल्हन के साथ दूल्हा भी सजीव पोशाक में नजर आया। फोटोग्राफर्स और मेहमानों ने इस सुंदर अवसर को कैमरे में कैद किया।

    विवाह का आयोजन

    शादी के आयोजन में भव्यता की बजाय सादगी और परंपरा को महत्व दिया गया।

    • मंदिर परिसर को फूलों और हल्की सजावट से सजाया गया।

    • फेरे और संस्कार उसी तरह संपन्न हुए जैसे पौराणिक कथाओं में बताए गए हैं।

    • केवल सप्तपदी, मंगल मंत्र और आशीर्वाद पर ध्यान दिया गया।

    इस तरह के आयोजन से यह साबित होता है कि महंगे होटल और गगनचुंबी सजावट के बिना भी शादी खास और यादगार बनाई जा सकती है।

    सोशल मीडिया पर चर्चा

    यह खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई। कई लोग यह देखकर हैरान हैं कि इतने कम बजट में इतनी धार्मिक और सांस्कृतिक शादी संभव है। फैंस ने दुल्हन के लाल लहंगे और जोड़े की सादगी की तारीफ की।

    एक यूजर ने लिखा:
    “यह शादी हमें याद दिलाती है कि शादी का असली उद्देश्य प्रेम और संस्कार हैं, भव्यता नहीं।”

    मंदिर का धार्मिक महत्व

    उत्तराखंड के इस मंदिर का महत्व केवल इसके इतिहास में ही नहीं बल्कि इसकी आध्यात्मिक ऊर्जा में भी है। लोग मानते हैं कि इस मंदिर में विवाह करने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और स्थिरता आती है।

    नई पीढ़ी का दृष्टिकोण

    आज की नई पीढ़ी महंगे आयोजनों की बजाय सादगी और परंपरा को प्राथमिकता दे रही है। 40 हजार रुपये में यह विवाह उन लोगों के लिए आदर्श विकल्प बन गया है जो कम खर्च में धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से सार्थक शादी चाहते हैं।

    उत्तराखंड के इस मंदिर में शादी ने साबित कर दिया कि सादगी में भी खूबसूरती और धार्मिक महत्व छिपा होता है। मराठी दुल्हन और लाल लहंगे वाला यह दृश्य दर्शकों को याद रहेगा।
    फेरे, सप्तपदी और मंगल मंत्र के साथ यह विवाह सिर्फ एक सामाजिक समारोह नहीं बल्कि आध्यात्मिक अनुभव बन गया।

    आज के समय में यह उदाहरण नए जोड़ों के लिए प्रेरणा है कि शादी सिर्फ भव्यता का नाम नहीं, बल्कि संस्कार और प्रेम का प्रतीक भी है।

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