




भारत सरकार ने हाल ही में रूस से आग्रह किया है कि वह यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में तैनात किए गए 27 भारतीय नागरिकों को रूसी सेना से सेवा मुक्त करे। ये भारतीय नागरिक प्रमुख रूप से छात्र और व्यापारिक वीजा पर रूस पहुंचे थे, लेकिन बाद में उन्हें धोखे से या गुमराह करके रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया।
मामला क्या है?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन भारतीय नागरिकों को रूस में काम के झांसे में लाकर युद्ध क्षेत्र में भेज दिया गया। जहां उन्हें यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में शामिल किया गया। यह स्थिति न केवल इन नागरिकों के लिए खतरनाक है, बल्कि भारत और रूस के बीच राजनयिक संबंधों के लिए भी संवेदनशील बन गई है।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास के माध्यम से रूसी अधिकारियों से संपर्क किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमने हाल ही में रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती के बारे में रिपोर्ट देखी हैं। सरकार ने पिछले एक साल में कई मौकों पर इस तरह की कार्रवाई में निहित जोखिमों और खतरों को रेखांकित किया है और भारतीय नागरिकों को आगाह भी किया है।”
उन्होंने आगे कहा, “हमने दिल्ली और मॉस्को दोनों जगहों पर रूसी अधिकारियों के साथ भी यह मामला उठाया है। हमने अनुरोध किया है कि इस प्रथा को समाप्त किया जाए। हमारे नागरिकों को वापस भेजा जाए। हम प्रभावित भारतीय नागरिकों के परिवारों के संपर्क में भी हैं।”
भारतीय नागरिकों की सुरक्षा
भारत सरकार ने इस मुद्दे को लेकर नई दिल्ली में रूसी राजदूत से बात की है। वहीं, मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास भी रूसी सेना से जुड़े सभी भारतीय नागरिकों की तुरंत रिहाई और वापसी के लिए रूसी अधिकारियों से बातचीत कर रहा है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने इस मुद्दे को लेकर नई दिल्ली में रूसी राजदूत से बात की है। वहीं, मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास भी रूसी सेना से जुड़े सभी भारतीय नागरिकों की तुरंत रिहाई और वापसी के लिए रूसी अधिकारियों से बातचीत कर रहा है।
भारतीय नागरिकों को चेतावनी
विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों से अपील की है कि वे रूस में शामिल होने के किसी भी प्रस्ताव से दूर रहें। मंत्रालय ने इसे खतरों से भरा रास्ता करार दिया है। उन्होंने कहा, “हम अपने नागरिकों से अनुरोध करते हैं कि वे सकर्त रहें। हम भारतीय नागरिकों से अपील करते हैं कि वे रूसी सेना में शामिल होने के किसी भी प्रस्ताव से दूर रहे। ऐसा करना जान जोखिम में डालने या खतरे से खेलने जैसा है।”
प्रधानमंत्री की पहल
यह मुद्दा पहले भी कई बार संसद में उठ चुका है। जुलाई 2025 में राज्यसभा को विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया था कि 127 भारतीय नागरिकों के रूसी सेना में सेवा देने की सूचना मिली थी। भारत और रूस के बीच उच्च स्तरीय बातचीत के बाद 98 भारतीयों की सेवा समाप्त कर दी गई। कम से कम 15 भारतीय लोगों के तब यूक्रेन के युद्ध क्षेत्र में फंसने की भी जानकारी दी गई थी। यह बात भी सामने आई थी कि इन भारतीयों को रूस की तरफ से लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
भारत सरकार ने रूस से आग्रह किया है कि वह अपनी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती की प्रथा को समाप्त करे और युद्ध क्षेत्र में तैनात भारतीय नागरिकों को तुरंत रिहा करे। यह कदम न केवल भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है, बल्कि भारत और रूस के बीच विश्वास और सहयोग को भी बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।