




लद्दाख की राजधानी लेह में पिछले सप्ताह हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शनों के बाद अब भी कर्फ्यू जारी है, और पूरे क्षेत्र में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है। इन घटनाओं की जड़ में राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा की मांग करने वाले आंदोलनों के प्रमुख नेता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी है, जिन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया है।
लेफ्टिनेंट गवर्नर कविंदर गुप्ता आज शाम राजभवन में एक उच्चस्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करने वाले हैं। इसी बैठक में यह तय किया जाएगा कि क्या कर्फ्यू में ढील दी जा सकती है या नहीं।
गत सप्ताह लेह और आसपास के क्षेत्रों में तब अशांति फैल गई जब सैकड़ों की संख्या में लोग लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची के तहत अधिकार देने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए।
हालांकि प्रारंभ में आंदोलन शांतिपूर्ण था, लेकिन अचानक हालात बिगड़े और कई स्थानों पर पुलिस से झड़पें हुईं। हिंसा में चार लोगों की मौत हो चुकी है और कई घायल हुए हैं। कई वाहनों और सरकारी संपत्ति को आग के हवाले कर दिया गया।
स्थिति पर काबू पाने के लिए प्रशासन ने लेह शहर और इसके आसपास के इलाकों में कर्फ्यू लागू कर दिया। इंटरनेट सेवाएं भी अस्थायी रूप से निलंबित कर दी गई हैं।
घटनाओं के बाद लेह में सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी कर दी गई है।
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ITBP, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस के अतिरिक्त जवान संवेदनशील इलाकों में तैनात किए गए हैं।
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ड्रोन और निगरानी उपकरण की मदद से स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
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गांवों में फ्लैग मार्च और शहर में 24 घंटे निगरानी जारी है।
जिलाधिकारी कार्यालय ने सूचित किया है कि जब तक स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हो जाती, कर्फ्यू में कोई ढील नहीं दी जाएगी। हालाँकि आवश्यक सेवाओं को छूट दी गई है।
पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक, जो लंबे समय से लद्दाख के लिए संवैधानिक सुरक्षा की मांग कर रहे हैं, को NSA के तहत गिरफ्तार किया गया है।
प्रशासन का आरोप है कि वांगचुक की गतिविधियाँ “राज्य विरोधी और भड़काऊ” थीं, जिससे जनता में आक्रोश फैला।
उनके NGO की FCRA अनुमति भी रद्द कर दी गई है और उन्हें जोधपुर सेंट्रल जेल भेजा गया है, जो लद्दाख से 1000 किमी से अधिक दूर है।
वांगचुक के समर्थकों और मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि उनकी गिरफ्तारी न केवल गैर-कानूनी है, बल्कि यह लोकतांत्रिक आंदोलनों को दबाने का प्रयास है।
लेफ्टिनेंट गवर्नर कविंदर गुप्ता ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए राजभवन में उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक बुलाई है। बैठक में निम्नलिखित एजेंडों पर चर्चा हो सकती है:
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लेह में कर्फ्यू में संभावित ढील
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गिरफ्तार किए गए लोगों की कानूनी स्थिति
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इंटरनेट सेवाओं की बहाली
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हिंसा के पीछे की साजिश की जांच
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LAB (Leh Apex Body) और KDA (Kargil Democratic Alliance) से संवाद
सूत्रों का कहना है कि गृह मंत्रालय की एक टीम भी जल्द लेह पहुंच सकती है।
विपक्षी दलों ने वांगचुक की गिरफ्तारी पर केंद्र सरकार की आलोचना की है।
कांग्रेस, AAP और लेह के कई स्थानीय दलों ने आरोप लगाया है कि सरकार लोकतांत्रिक विरोधों को दबाने के लिए बल का प्रयोग कर रही है।
मौलिक अधिकारों के संरक्षण की मांग उठ रही है और सोशल मीडिया पर #FreeSonamWangchuk ट्रेंड कर रहा है।
बाजार बंद हैं, स्कूलों और कॉलेजों की छुट्टियाँ घोषित कर दी गई हैं।
लोग घरों में हैं, लेकिन रोज़मर्रा की जरूरतें प्रभावित हो रही हैं। दूध, दवा और राशन जैसी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए स्थानीय प्रशासन मोबाइल वैन की मदद से सेवाएं दे रहा है।
हालांकि, जनता में डर और असमंजस का माहौल बना हुआ है। लोगों को चिंता है कि आंदोलन की आवाज़ कहीं प्रशासनिक कार्रवाई में दब न जाए।
लेह में जारी यह संकट सिर्फ एक प्रशासनिक चुनौती नहीं है, बल्कि यह लद्दाख के भविष्य, उसकी पहचान और राजनीतिक अधिकारों को लेकर एक बड़ी बहस भी है।
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने आंदोलन को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला दिया है।
अब सबकी निगाहें राजभवन में होने वाली बैठक पर टिकी हैं। क्या प्रशासन कर्फ्यू में ढील देगा? क्या सरकार और आंदोलनकारियों के बीच संवाद की कोई नई राह खुलेगी? यह आने वाला समय ही बताएगा।