




वाराणसी। काशी में सूदखोरों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है, और इसका ताजा शिकार पूर्णा भट्टाचार्य के परिवार बने हैं। भेलूपुर थाना क्षेत्र के फरीदपुर सोनारपुर मोहल्ले में रहने वाली पूर्णा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि सूदखोरों ने उनके पति देवजीत भट्टाचार्य से 31 लाख रुपये का कर्ज लेकर अब तक 2.44 करोड़ रुपये वसूले हैं। इसके बावजूद उन्हें 35 लाख रुपये की और मांग की जा रही है और न देने पर बेटी के अपहरण और हत्या की धमकी दी जा रही है।
यह मामला न केवल वाराणसी बल्कि पूरे राज्य के लिए सूदखोरी और अवैध आर्थिक दबाव के गंभीर संकेत देता है।
कर्ज और वसूली का पूरा मामला
पूर्णा भट्टाचार्य ने बताया कि 2019 में उनके पति ने जवाहर नगर निवासी राधेश्याम मौर्य से 18 लाख रुपये और मुन्ना कपूर से 13 लाख रुपये ब्याज पर लिए थे। कर्ज लेने के कुछ ही समय बाद राधेश्याम अपने साथियों मकसूद आलम, राहुल विश्वकर्मा और गुप्तेश्वर तिवारी के साथ उनके घर पहुंचा और धमकियां देना शुरू कर दिया।
राधेश्याम ने 18 लाख के बदले 2 करोड़ रुपये, मुन्ना कपूर ने 13 लाख के बदले 44 लाख रुपये, और राहुल विश्वकर्मा ने 15 लाख रुपये वसूल किए। इसके बाद भी मुन्ना कपूर ने 35 लाख रुपये की अतिरिक्त मांग की।
सूदखोरों ने दावा किया कि यह पैसा पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी और मुन्ना बजरंगी का था।
जबरन कब्जा और धमकी
पूर्णा ने पुलिस को बताया कि 29 जनवरी 2021 को राधेश्याम ने जबरन देवजीत को उठाकर सिद्धगिरी बाग निवासी मकसूद आलम के नाम मकान का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट 4 लाख रुपये में करवा लिया, जबकि कोई भुगतान नहीं किया गया।
सूदखोरों के डर के कारण परिवार घर से निकलने में भी असमर्थ हो गया। यह स्थिति बच्चों और पूरे परिवार के लिए जीवन और सुरक्षा के लिए खतरा बन गई।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल के निर्देश पर भेलूपुर थाना में छह आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस ने बताया कि आरोपी मकसूद आलम राष्ट्रीय पार्टी से लोकसभा चुनाव भी लड़ चुका है।
वर्तमान में पुलिस आरोपियों की तलाश और छापेमारी कर रही है। अधिकारियों ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। परिवार की सुरक्षा के लिए विशेष गश्त और निगरानी बढ़ाई जाएगी। आरोपी बचने की कोशिश करें तो उन पर सख्त वैधानिक कार्यवाही होगी।
स्थानीय प्रतिक्रिया और चिंता
वाराणसी में सूदखोरों की इस हरकत ने स्थानीय लोगों में भय और चिंता पैदा कर दी है। व्यापारियों, शिक्षकों और आम नागरिकों ने कहा कि ऐसे मामलों से आम जनता असुरक्षित महसूस कर रही है।
एक स्थानीय नागरिक ने कहा:
“अगर सरकार और पुलिस सक्रिय नहीं हुई तो ऐसे सूदखोर समाज में और अपराध को बढ़ावा देंगे। लोगों को अपनी संपत्ति और परिवार की सुरक्षा के लिए सचेत रहना होगा।”
शिक्षिका पूर्णा भट्टाचार्य ने भी मीडिया से कहा कि उनका परिवार मानसिक और आर्थिक रूप से बहुत परेशान है। उन्होंने न्याय की गुहार लगाई और प्रशासन से सुरक्षा और त्वरित कार्रवाई की मांग की।
सूदखोरी के खिलाफ कानूनी पहल
उत्तर प्रदेश में सूदखोरी और अवैध वसूली को गंभीर अपराध माना जाता है। पुलिस और प्रशासन ने कई मामलों में कार्रवाई की है, लेकिन ऐसे मामले लगातार सामने आते रहते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि सूदखोरों का नेटवर्क काफी संगठित है। आर्थिक दबाव के माध्यम से नागरिकों को भयभीत किया जाता है। ऐसे मामलों में समय पर रिपोर्टिंग और पुलिस कार्रवाई अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पुलिस ने चेतावनी दी है कि सूदखोर और उनके सहयोगी किसी भी हद तक न जाएँ, अन्यथा उन्हें कड़ी कार्रवाई और जेल का सामना करना पड़ेगा।