




कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए केंद्र सरकार को रूसी महिला नीना कुटीना और उनकी दो नाबालिग बेटियों के लिए यात्रा दस्तावेज जारी करने की अनुमति दी है, ताकि वे रूस लौट सकें। यह आदेश न्यायमूर्ति बी.एम. श्याम प्रसाद की एकल पीठ ने दिया।
नीना कुटीना और उनकी बेटियाँ 11 जुलाई को कर्नाटक के गोकर्ण के पास स्थित रामतीर्था पहाड़ियों की एक गुफा में पाई गई थीं। वे लगभग दो महीनों से बिना वैध दस्तावेजों के वहां रह रही थीं।
उनके बच्चों के पिता, इजरायली नागरिक डोर गोल्डस्टीन ने गोवा के पणजी पुलिस स्टेशन में दिसंबर 2024 में अपनी बेटियों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके बाद, उन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने बच्चों की तत्काल रूस वापसी पर रोक लगाने की मांग की थी।
न्यायालय ने मामले की सुनवाई के दौरान यह पाया कि रूस के कांसुलेट ने नीना और उनकी दोनों बेटियों के लिए आपातकालीन यात्रा दस्तावेज जारी किए हैं, जो 9 अक्टूबर 2025 तक वैध हैं। इसके अलावा, नीना ने स्वयं कांसुलेट से संपर्क कर रूस लौटने की इच्छा व्यक्त की थी।
न्यायालय ने बच्चों के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए यह आदेश दिया। हालांकि, डोर गोल्डस्टीन के वकील ने बच्चों की वापसी पर आपत्ति जताई थी, लेकिन न्यायालय ने उनके तर्कों को स्वीकार नहीं किया।
नीना कुटीना ने 2016 में भारत यात्रा शुरू की थी और बाद में गोवा में एक इजरायली व्यापारी डोर गोल्डस्टीन से संबंध स्थापित किए थे। उनके दो बच्चे, जिनमें एक भारतीय नागरिक भी है, भारत में ही जन्मे थे।
गोकर्ण की गुफा में रहते हुए, नीना और उनकी बेटियाँ प्राकृतिक जीवनशैली अपनाए हुए थीं। वे नदी में स्नान करतीं, आग पर खाना पकातीं, चित्रकला करतीं और गीत गातीं। गुफा को हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरों से सजाया गया था।
अब, कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, नीना कुटीना और उनकी बेटियाँ जल्द ही रूस लौटने के लिए तैयार हैं।