




भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट का हर मुकाबला सिर्फ खेल नहीं, बल्कि जुनून और जज़्बात का टकराव भी होता है। दुबई में खेले गए हालिया फाइनल मैच में यही नज़ारा देखने को मिला। पाकिस्तान के गेंदबाज़ों और फील्डरों ने भारतीय बल्लेबाज़ों पर लगातार दबाव बनाने के लिए छींटाकशी और शब्दों के तीर चलाए, लेकिन युवा बल्लेबाज़ तिलक वर्मा ने अपने बल्ले से ऐसा जवाब दिया कि मैदान में बैठे हर भारतीय फैन झूम उठा।
भारत जब 5 विकेट पर संघर्ष कर रहा था, तब क्रीज़ पर खड़े तिलक वर्मा ने न सिर्फ धैर्य दिखाया, बल्कि अपने अंदाज़ से मैच का पासा पलट दिया। उन्होंने सिर्फ रन ही नहीं बनाए, बल्कि नाबाद 69 रन की ऐसी पारी खेली, जिसने पाकिस्तान को फाइनल में हार का स्वाद चखा दिया।
तिलक की यह पारी इसलिए भी खास रही क्योंकि यह दबाव भरे माहौल में खेली गई। हर बॉल के साथ पाकिस्तान के खिलाड़ियों की कोशिश थी कि उन्हें मानसिक रूप से तोड़ा जाए, लेकिन उन्होंने इसका जवाब बल्ले से दिया।
मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में तिलक वर्मा ने खुलासा किया कि पाकिस्तान के खिलाड़ी लगातार छींटाकशी कर रहे थे।
उन्होंने कहा:
“हाँ, मैदान पर काफी बातें हो रही थीं। जब भी मैं रन नहीं बना पा रहा था, तब उधर से ताना मारते थे। लेकिन मैंने ठान लिया था कि जवाब शब्दों से नहीं दूँगा, बल्कि रन बनाकर दूँगा। क्रिकेट में सबसे बड़ा जवाब आपका बल्ला ही होता है।”
तिलक ने आगे कहा कि उनकी रणनीति सिर्फ गेंद पर ध्यान देने की थी, ना कि फील्डरों की बातों पर। यही वजह रही कि वह दबाव झेलकर पारी को अंत तक ले गए।
मैच के दौरान पाकिस्तान के तेज़ गेंदबाज़ और कुछ फील्डर लगातार स्लेजिंग करते दिखे। कभी गेंद पकड़ने के बाद चुटकी लेना, तो कभी बीच-बीच में ताने कसना। इस तरह का माहौल नए खिलाड़ियों के लिए बेहद मुश्किल होता है।
लेकिन तिलक ने इसे चुनौती मानकर स्वीकार किया और कहा कि उन्हें इससे अतिरिक्त प्रेरणा मिली। उन्होंने कहा:
“जब आप पर कोई ताना कसता है, तो या तो आप टूटते हैं या और मज़बूत हो जाते हैं। मैंने मज़बूत बनने का रास्ता चुना।”
भारत को जीत के लिए जब ज़रूरी रन चाहिए थे, तब तिलक ने एक छोर संभाले रखा। उन्होंने रन बनाने के लिए बेवजह शॉट्स नहीं खेले, बल्कि स्ट्राइक रोटेट करते रहे और मौके पर बड़े शॉट भी लगाए।
उनकी इस पारी में बेहतरीन कवर ड्राइव, सीधा शॉट और लेग साइड पर गगनचुंबी छक्के शामिल रहे। हर चौका और छक्का मानो पाकिस्तान की छींटाकशी का जवाब था।
मैच के बाद भारतीय कप्तान और कोच ने भी तिलक की तारीफ़ की। कप्तान ने कहा:
“तिलक ने जिस तरह से दबाव को झेला और टीम को जीत दिलाई, वह ग़ज़ब है। स्लेजिंग हर बड़े मैच का हिस्सा होती है, लेकिन इस लड़के ने दिखा दिया कि कैसे बल्ले से जवाब देना चाहिए।”
वहीं टीम मैनेजमेंट का मानना है कि तिलक वर्मा आने वाले समय में भारतीय क्रिकेट की रीढ़ बन सकते हैं।
सोशल मीडिया पर तिलक वर्मा की तारीफ़ों के पुल बाँधे जा रहे हैं। फैंस ने लिखा –
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“तिलक ने दिखा दिया कि असली हीरो कौन है।”
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“छींटाकशी का जवाब चौके-छक्कों से देना ही सबसे सही तरीका है।”
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“अब पाकिस्तान को समझ आ गया होगा कि ये नया स्टार क्यों ख़ास है।”
इस मैच ने तिलक वर्मा को एक नई पहचान दी है। दबाव भरे माहौल में खेली गई उनकी पारी यह बताती है कि वह बड़े मौकों पर टीम के लिए खड़े हो सकते हैं।
भारतीय क्रिकेट में हमेशा ऐसे खिलाड़ियों की ज़रूरत रहती है, जो स्लेजिंग या छींटाकशी का जवाब मैदान पर शांत रहकर अपने खेल से दे सकें। तिलक वर्मा ने यह साबित कर दिया है कि वह इसी कैटेगरी के खिलाड़ी हैं।
दुबई फाइनल में पाकिस्तान खिलाड़ियों की छींटाकशी और दबाव का जो माहौल बना था, उसमें तिलक वर्मा की नाबाद 69 रन की पारी सिर्फ रन नहीं, बल्कि बल्ले से दिया गया करारा जवाब थी।
उन्होंने दिखा दिया कि क्रिकेट में जवाब देने का सबसे अच्छा तरीका ग़ुस्से या बहस से नहीं, बल्कि मैदान पर शानदार प्रदर्शन से होता है। यही कारण है कि आज पूरा भारत उन्हें इस जीत का असली नायक मान रहा है।