




लद्दाख प्रशासन ने प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता वांगचुक के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत का आदेश जारी किया है। वांगचुक पर आरोप है कि उन्होंने लद्दाख के लोगों को आत्मदाह की उत्तेजना दी थी, और इस प्रकार की चेतावनी दी थी जैसे तिब्बत में विरोध प्रदर्शन के दौरान की गई आत्मदाह घटनाओं की तर्ज पर। इस आदेश से राजनीतिक और मानवाधिकार समुदाय में हलचल मच गई है, और इसके बाद कई सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या यह कदम लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है।
लद्दाख प्रशासन का कहना है कि वांगचुक की गतिविधियाँ और सार्वजनिक बयानों ने लोकतांत्रिक शांति और व्यवस्था को खतरे में डाल दिया है। विशेष रूप से, उनका कथित तौर पर यह कहना कि लद्दाख के लोग आत्मदाह की राह पर जा सकते हैं, ने प्रशासन को यह कदम उठाने पर मजबूर किया। प्रशासन के अनुसार, वांगचुक ने तिब्बत में जो विरोध प्रदर्शन हुए थे, उनमें आत्मदाह को एक प्रभावी तरीका बताया था। यह प्रशासन के अनुसार लद्दाख में हिंसा और अस्थिरता को बढ़ावा देने वाला बयान था।
NSA आदेश के तहत, किसी व्यक्ति को बिना न्यायिक प्रक्रिया के गिरफ्तार किया जा सकता है, यदि प्रशासन यह मानता है कि उस व्यक्ति का आचरण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे का कारण बन सकता है। वांगचुक पर यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने क्षेत्रीय संघर्ष और असंतोष को बढ़ावा देने के लिए इस तरह की बातें कीं। प्रशासन का कहना है कि यह कदम लद्दाख में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए लिया गया है।
वांगचुक, जो कि संस्कृति और पर्यावरण के लिए काम करने के अलावा लद्दाखी समाज के लिए एक प्रमुख आवाज रहे हैं, इस आरोप को नकारते हैं। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य कभी भी लद्दाख के लोगों को हिंसा की ओर प्रवृत्त करना नहीं था। उन्होंने कहा, “मेरे द्वारा कही गई बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। मेरा उद्देश्य हमेशा शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से लद्दाख के लिए आवाज उठाना है।”
वांगचुक के समर्थकों ने कहा कि एनएसए आदेश उनके विचारों को दबाने का एक प्रयास है, और यह लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है। उनका कहना है कि जब एक लोकतंत्र में किसी को अपनी बात रखने के लिए जेल भेज दिया जाता है, तो यह स्वतंत्रता की स्थिति पर गंभीर सवाल उठता है।
वांगचुक ने लद्दाख में पर्यावरणीय संकट, शैक्षिक सुधार, और स्थानीय स्वायत्तता के मुद्दों पर लंबा संघर्ष किया है। उन्होंने “वांगचुक मॉडल” के तहत शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया और लद्दाखी संसाधनों के स्मार्ट उपयोग की दिशा में कई कदम उठाए। उनका मानना था कि लद्दाख में बड़ी-बड़ी परियोजनाओं और औद्योगिकीकरण से स्थानीय लोगों की संस्कृति और संसाधनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने इस मुद्दे को कभी भी हिंसा के रूप में प्रस्तुत नहीं किया। उनके आंदोलनों का उद्देश्य स्थानीय संस्कृति और पर्यावरण की रक्षा करना रहा है। फिर भी, प्रशासन ने उनका दृष्टिकोण अलग तरीके से प्रस्तुत किया, जिससे उनकी गिरफ्तारी की परिस्थितियाँ और ज्यादा विवादित हो गईं।
इस आदेश के बाद, कई राजनीतिक दलों और मानवाधिकार संगठनों ने लद्दाख प्रशासन और केंद्र सरकार पर कठोर आलोचना की है। कुछ नेताओं ने इसे केंद्र सरकार द्वारा दमनात्मक कदम के रूप में देखा है, जो कि स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति को कुचलने की कोशिश करता है।
कई विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के आदेश से स्थानीय आंदोलनों को कमजोर करने के बजाय और अधिक ताकत मिल सकती है, क्योंकि यह लोकतांत्रिक विरोध और आंदोलनों को दमन के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
वांगचुक ने स्पष्ट किया है कि वे लद्दाखी लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह कदम उनकी आवाज को दबाने का प्रयास हो सकता है, लेकिन वह सच के मार्ग से पीछे नहीं हटेंगे। उनका मानना है कि लद्दाखी संस्कृति, स्वायत्तता और प्राकृतिक संसाधनों के लिए उनका संघर्ष निरंतर रहेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि प्रशासन उनकी आवाज को दबाने के लिए और अधिक कदम उठाता है, तो वह वैश्विक मंच पर इस मुद्दे को उठाएंगे और दुनिया को यह बताएंगे कि लद्दाखी लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।
वांगचुक पर NSA आदेश का असर लद्दाख और भारतीय राजनीति पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। प्रशासन के अनुसार, यह कदम सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए था, जबकि आलोचक इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन मानते हैं। इस विवाद का क्या परिणाम होगा, यह समय बताएगा, लेकिन यह निश्चित है कि वांगचुक और उनके समर्थकों के लिए यह एक मुलायम संघर्ष नहीं होने वाला है।