




शहीद ए आजम भगत सिंह के 118वें जन्मोत्सव के अवसर पर शाहजापुर में एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम देशभक्ति और शहीदों की स्मृति को समर्पित रहा। आयोजन में कई राज्यों से आए शहीद परिवारों, साहित्यकारों और युवाओं ने शिरकत की।
इस कवि सम्मेलन में विशेष रूप से अमर शहीद अशफाकउल्लाह खां और अमर शहीद ठाकुर रोशन सिंह के पौत्र मौजूद रहे। समाज ने उनका सम्मान कर यह संदेश दिया कि स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानों को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
कार्यक्रम में शहीद मेला ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय संयोजक इंजीनियर राज त्रिपाठी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। उन्हें शहीदों के विचारों और संघर्षों को समाज में जीवित रखने के प्रयासों के लिए सम्मानित किया गया। सम्मान ग्रहण करते हुए उन्होंने कहा –
“इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित होना मेरे लिए गर्व और विनम्रता का क्षण है। यह सम्मान केवल मेरा नहीं, बल्कि उन सभी विचारों और संघर्षों का है जिन्हें शहीद-ए-आजम भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों ने हमारे दिलों में रोपा है।”
कवि सम्मेलन में आए कवियों ने एक से बढ़कर एक देशभक्ति कविताएं सुनाईं। कविताओं में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जैसे शहीदों के बलिदान को याद किया गया। श्रोताओं की आंखें नम हो गईं और पूरे हॉल में भारत माता की जय और शहीदों अमर रहो के नारे गूंज उठे।
वक्ताओं ने इस अवसर पर कहा कि आज की युवा पीढ़ी को भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों के आदर्शों को अपनाना चाहिए। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि देश और समाज की भलाई के लिए त्याग और संघर्ष सर्वोपरि है।
यह कवि सम्मेलन न सिर्फ साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने का माध्यम बना, बल्कि इसने यह भी याद दिलाया कि हमारी आज़ादी कितने बलिदानों की नींव पर टिकी है। शाहजापुर का यह आयोजन शहीदों के प्रति सम्मान और उनकी विरासत को जीवित रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।