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    जो IND-PAK मैच देख रहे थे, वो देशद्रोही हैं”: उद्धव ठाकरे का एशिया कप पर तीखा बयान

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    महाराष्ट्र के राजनीतिक माहौल में उस समय नई गरमाहट आ गई जब शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे – UBT) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एशिया कप 2025 में भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर एक विवादित बयान दिया। ठाकरे ने कहा कि “जिन्होंने महाराष्ट्र में बाढ़ और किसानों की दुर्दशा के बावजूद IND-PAK क्रिकेट मैच देखा, वे देशद्रोही हैं।”

    यह बयान उस समय आया जब महाराष्ट्र के कई जिले भारी बारिश और बाढ़ की चपेट में हैं, और हज़ारों किसान तबाही से जूझ रहे हैं।

    उद्धव ठाकरे ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि:

    “राज्य में बाढ़ से किसान बर्बाद हो चुके हैं। खेतों में पानी भर गया है, फसलें नष्ट हो गई हैं और सरकार केवल तमाशा देख रही है। जिन लोगों ने इस हालात में भारत-पाकिस्तान का मैच देखकर जश्न मनाया, वे अपने ही देश की पीड़ा से मुंह मोड़ रहे हैं। ऐसे लोग देशद्रोही हैं।”

    ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि बाढ़ प्रभावित किसानों को प्रति हेक्टेयर ₹50,000 मुआवजा दिया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि शुगर मिल मालिकों को बीमा और सुविधाएं मिल रही हैं, लेकिन गरीब किसान अतिरिक्त शुल्कों और नुकसान से त्रस्त हैं।

    भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच हमेशा से भावनात्मक रूप से जुड़ा होता है। लेकिन इस बार यह मैच विवादों में तब घिर गया जब उद्धव ठाकरे ने इसे असंवेदनशीलता का प्रतीक बताया।

    उनका कहना था कि जब एक ओर किसान खेत और घर खो रहे हैं, तब दूसरी ओर लोग टीवी पर बैठकर क्रिकेट मैच का आनंद ले रहे हैं — यह “समाज के नैतिक पतन” को दर्शाता है।

    हालांकि, उनके इस बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तेज हो गई है। विरोधी दलों ने ठाकरे के इस बयान को अत्यधिक और अनुचित बताया है।

    भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने ठाकरे के बयान की निंदा की। बीजेपी प्रवक्ता आशुतोष कुलकर्णी ने कहा:

    “क्रिकेट मैच देखना देशद्रोह नहीं है। देशवासी दुःख में भी आशा और मनोबल ढूंढते हैं। ठाकरे जी का बयान किसानों के नाम पर राजनीति करने की कोशिश है।”

    राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) और मनसे ने भी बयान को गैर-जरूरी और “पब्लिसिटी स्टंट” बताया।

    सोशल मीडिया पर ठाकरे के इस बयान को लेकर बहस छिड़ गई है। कुछ लोगों ने इसे “कठोर लेकिन सही” बताया तो कुछ ने इसे “लोकतांत्रिक स्वतंत्रता पर हमला” माना।

    ट्विटर यूज़र @satyajit_k ने लिखा:

    “उद्धव जी की बात में सच्चाई है, हमें ज़मीनी हकीकत से जुड़ना होगा। जब किसान रो रहा है, तब मैच में मस्त रहना कहाँ तक सही है?”

    वहीं @CricketFan_Neha ने लिखा:

    “क्रिकेट हमारा राष्ट्रीय खेल नहीं, लेकिन हमारी भावना है। इसे देखना देशद्रोह कैसे हो सकता है? बहुत ज्यादा बोल दिया ठाकरे जी ने।”

    उद्धव ठाकरे ने राज्य सरकार से मांग की है कि वह तुरंत राहत पैकेज की घोषणा करे। उन्होंने आरोप लगाया कि:

    • शासन किसानों को बीमा देने में विफल रहा है

    • शुगर मिल मालिकों को फायदा पहुँचाया जा रहा है

    • राहत कार्य केवल कागज़ों पर है

    • असली मदद ज़मीन पर नहीं पहुंच रही है

    उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार कार्रवाई नहीं करती, तो उनकी पार्टी सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेगी।

    राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उद्धव ठाकरे इस बयान के ज़रिए:

    1. किसानों के मुद्दे को केंद्र में लाना चाहते हैं

    2. राज्य सरकार की कथित असंवेदनशीलता को उजागर कर रहे हैं

    3. लोकसभा 2026 चुनाव की रणनीति का हिस्सा हो सकता है यह आक्रामक रुख

    वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रो. मधुकर देशपांडे कहते हैं:

    “यह बयान जनभावना से जुड़ने की कोशिश है। लेकिन यह थोड़ा उग्र और अतिरेक से भरा है, जिससे backlash भी हो सकता है।”

    उद्धव ठाकरे के बयान ने राजनीतिक हलकों में गर्मी बढ़ा दी है। जबकि उनका उद्देश्य बाढ़ पीड़ितों की मदद की मांग करना था, लेकिन क्रिकेट को ‘देशद्रोह’ से जोड़ना शायद कई लोगों को अन्यायपूर्ण और असहज लगा।

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