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    करवा चौथ पर दुनिया के अरबपतियों को तगड़ा झटका, अंबानी-अडानी की दौलत में बढ़ोतरी — बाकी सबको घाटा

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    करवा चौथ का दिन जहां भारत में प्रेम और आस्था का प्रतीक माना जाता है, वहीं इस दिन दुनिया के शीर्ष अमीरों के लिए आर्थिक दृष्टि से कठिन साबित हुआ। शुक्रवार को वैश्विक बाजारों में आई तेज़ गिरावट के कारण दुनिया के टॉप 25 अरबपतियों में से 23 की नेटवर्थ में भारी गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, इस उथल-पुथल के बीच भारत के दो दिग्गज उद्योगपति मुकेश अंबानी और गौतम अडानी की संपत्ति में बढ़ोतरी देखने को मिली, जिसने उन्हें बाकी अरबपतियों से अलग कर दिया।

    वैश्विक बाजारों में गिरावट का असर

    शुक्रवार को अमेरिकी और यूरोपीय शेयर बाजारों में मंदी का माहौल रहा। टेक्नोलॉजी, ऑटो और ई-कॉमर्स सेक्टर में भारी बिकवाली हुई, जिससे निवेशकों को अरबों डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा।
    नैस्डैक और डाउ जोंस दोनों में गिरावट दर्ज की गई, जिससे अमेरिकी अरबपतियों की नेटवर्थ में सबसे अधिक कमी आई।

    इस गिरावट की प्रमुख वजह अमेरिकी ब्याज दरों में संभावित बढ़ोतरी, मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक तनाव और चीन की अर्थव्यवस्था में धीमापन बताई जा रही है।

    एलन मस्क और जेफ बेजोस को भारी नुकसान

    दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क की टेस्ला और स्पेसएक्स से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली, जिससे उनकी संपत्ति में करीब 4.8 बिलियन डॉलर की कमी दर्ज की गई।
    दूसरी ओर, अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस की नेटवर्थ भी 3.6 बिलियन डॉलर घट गई।

    इन दोनों के अलावा, बर्नार्ड अरनॉल्ट, जो LVMH के सीईओ हैं, की संपत्ति में भी करीब 2.5 बिलियन डॉलर की गिरावट आई। लक्ज़री मार्केट में सुस्ती और यूरोपीय अर्थव्यवस्था की चिंताओं ने अरनॉल्ट के बिजनेस पर असर डाला।

    मार्क जुकरबर्ग और लैरी पेज भी नुकसान में

    मेटा प्लेटफॉर्म्स के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को भी इस मंदी का झटका लगा। मेटा के शेयरों में करीब 3% की गिरावट आई, जिससे जुकरबर्ग की नेटवर्थ में लगभग 1.8 बिलियन डॉलर की कमी आई।
    गूगल के सह-संस्थापक लैरी पेज और सेर्गेई ब्रिन को भी क्रमशः 1.2 और 1 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।

    टेक्नोलॉजी सेक्टर में यह गिरावट 2024 की तुलना में सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट मानी जा रही है।

    भारतीय अरबपति बने अपवाद

    जब दुनिया के लगभग सभी शीर्ष अरबपति घाटे में रहे, उस समय भारत के दो बड़े कारोबारी दिग्गजों — मुकेश अंबानी और गौतम अडानी — की नेटवर्थ में उछाल देखने को मिला।

    रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में 1.5% की बढ़त दर्ज की गई, जिससे मुकेश अंबानी की संपत्ति में लगभग 1.2 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई। वहीं, अदानी समूह की प्रमुख कंपनियों — अदानी पोर्ट्स, अदानी पावर और अदानी ग्रीन एनर्जी — में मजबूती आई, जिससे गौतम अडानी की नेटवर्थ में करीब 900 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई।

    बाजार विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती, विदेशी निवेशकों की वापसी और बुनियादी ढांचे में हो रही तेज़ प्रगति ने इन दोनों उद्योगपतियों को बढ़त दिलाई है।

    भारत की आर्थिक नीतियों का सकारात्मक असर

    हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ब्याज दरों में स्थिरता बनाए रखने और विकास को प्राथमिकता देने का संकेत दिया था। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने ऊर्जा और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बड़े निवेश की घोषणाएँ की हैं।
    इन नीतियों का लाभ सीधे तौर पर रिलायंस और अदानी समूह जैसी कंपनियों को मिला है।

    अर्थशास्त्रियों के अनुसार, भारत इस समय दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, और यही कारण है कि वैश्विक बाजार की गिरावट के बावजूद भारतीय कंपनियों में स्थिरता बनी हुई है।

    दुनिया के अरबपतियों की कुल संपत्ति में गिरावट

    फोर्ब्स रियल टाइम बिलियनेयर इंडेक्स के अनुसार, शुक्रवार को कुल मिलाकर दुनिया के शीर्ष 25 अरबपतियों की संपत्ति में करीब 76 बिलियन डॉलर की कमी आई।
    इससे वैश्विक अमीरों की कुल नेटवर्थ 2.8 ट्रिलियन डॉलर से घटकर लगभग 2.73 ट्रिलियन डॉलर रह गई।

    यह इस साल की दूसरी सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट है, जो बताती है कि बाजार में अस्थिरता अभी खत्म नहीं हुई है।

    अंबानी और अडानी का बढ़ता दबदबा

    पिछले कुछ महीनों में जहां अडानी समूह पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट जैसी चुनौतियाँ आई थीं, वहीं अब समूह ने खुद को फिर से मजबूत किया है।
    गौतम अडानी की कंपनियों ने हाल ही में कई बड़े करार किए हैं, जिनमें नवीकरणीय ऊर्जा, पोर्ट डेवलपमेंट और ग्रीन हाइड्रोजन से जुड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं।
    दूसरी ओर, मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपने डिजिटल और रिटेल वेंचर्स के जरिए राजस्व में निरंतर वृद्धि की है।

    इससे भारतीय बाजार में यह संदेश गया है कि भारत के अरबपति केवल घरेलू अर्थव्यवस्था पर निर्भर नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार के मजबूत स्तंभ बन चुके हैं।

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