




कर्नाटक के माइसूरु (Mysuru) में विश्वेश्वरैया ट्रेड प्रमोशन सेंटर (VTPC) ने एक नई पहल की है, जिसमें राज्य के उद्यमियों और उद्योगपतियों से आग्रह किया गया है कि वे विदेशी आयात पर निर्भरता घटाएं और घरेलू उत्पादन को प्राथमिकता दें। यह कदम न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा, बल्कि “आत्मनिर्भर भारत” अभियान को भी नई दिशा प्रदान करेगा।
VTPC के संयुक्त निदेशक सी. एस. बाबू नागेश (C. S. Babu Nagesh) ने हाल ही में आयोजित ‘एक्सपोर्ट मैनेजमेंट ट्रेनिंग प्रोग्राम’ के दौरान कहा कि कर्नाटक निर्यात के क्षेत्र में तो अग्रणी है, लेकिन अभी भी राज्य में कई ऐसे उत्पाद हैं जिनके लिए हम विदेशी बाजारों पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि यदि यही उत्पाद भारत में ही निर्मित किए जाएं, तो राज्य के उद्योगों को नई ऊंचाई मिल सकती है।
नागेश ने बताया कि कर्नाटक देश का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक राज्य है, जो मुख्य रूप से इंजीनियरिंग उत्पाद, आईटी सेवाएं, इलेक्ट्रॉनिक्स, बायोटेक्नोलॉजी और एग्रो-प्रोडक्ट्स जैसे क्षेत्रों में सक्रिय है। हालांकि, इन सभी क्षेत्रों में कई ऐसे कच्चे माल और तकनीकी उपकरण हैं जिनके लिए आयात की जरूरत पड़ती है। उनका कहना था कि “अगर हम इन आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन खुद कर सकें, तो भारत न केवल आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि निर्यात भी कई गुना बढ़ सकता है।”
VTPC द्वारा आयोजित यह छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम विशेष रूप से नए और मध्यम स्तर के उद्यमियों को ध्यान में रखकर शुरू किया गया है। इस प्रशिक्षण के माध्यम से उन्हें अंतरराष्ट्रीय व्यापार के नियम, निर्यात प्रक्रिया, दस्तावेज़ीकरण, लॉजिस्टिक्स, गुणवत्ता नियंत्रण और विदेशी बाजारों की मांग के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। उद्देश्य यह है कि स्थानीय उद्योग वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धी बन सकें।
माइसूरु इंडस्ट्री एसोसिएशन के महासचिव सुरेश कुमार जैन ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि “भारत के उद्यमी अगर अपने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार तैयार करें, तो वे आसानी से विदेशी बाजारों में अपनी जगह बना सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि हम उत्पादन क्षमता बढ़ाएं और विदेशी वस्तुओं के आयात पर कम निर्भर रहें।”
जैन ने कहा कि “हमारे देश में प्रतिभा और संसाधनों की कोई कमी नहीं है। जरुरत है केवल सही दिशा और नीतिगत सहयोग की। अगर राज्य और केंद्र सरकारें उद्योगों को अनुसंधान एवं विकास (R&D), तकनीकी प्रशिक्षण और उत्पादन लागत में मदद करें, तो हम बहुत जल्दी आयातक से निर्यातक देश बन सकते हैं।”
कर्नाटक सरकार पहले ही “मेक इन इंडिया” और “स्टार्टअप इंडिया” जैसे अभियानों के तहत स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं चला रही है। VTPC की यह पहल इन योजनाओं के अनुरूप है और राज्य के औद्योगिक विकास में नई ऊर्जा भरने का काम करेगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) में आए बदलावों ने भारत के लिए बड़ा अवसर पैदा किया है। चीन पर बढ़ती निर्भरता और वहां की उत्पादन लागत में वृद्धि ने कई देशों को भारत की ओर आकर्षित किया है। ऐसे में यदि भारतीय उद्यमी अपनी उत्पादन क्षमता को मजबूत करें, तो भारत “वैकल्पिक विनिर्माण केंद्र” के रूप में उभर सकता है।
इस अवसर पर VTPC के अधिकारियों ने यह भी बताया कि संगठन राज्य के सभी जिलों में छोटे उद्योगों के लिए निर्यात प्रोत्साहन कार्यशालाएं आयोजित करेगा। इससे उन उद्यमियों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार की जानकारी मिलेगी जो अब तक केवल घरेलू बाजार में कार्यरत थे।
बाबू नागेश ने कहा कि “हमारा लक्ष्य केवल निर्यात बढ़ाना नहीं है, बल्कि उद्योग जगत में आत्मनिर्भरता लाना है। हमें विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता कम करनी होगी और स्वदेशी निर्माण को प्राथमिकता देनी होगी। यही ‘वोकल फॉर लोकल’ और आत्मनिर्भर भारत की असली भावना है।”
उन्होंने बताया कि VTPC अब “डिजिटल निर्यात” और “ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट” पर भी विशेष सत्र आयोजित कर रहा है, ताकि उद्यमी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से अपने उत्पादों को वैश्विक स्तर पर बेच सकें।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यदि राज्य स्तर पर ऐसी पहलें जारी रहती हैं, तो भारत अगले कुछ वर्षों में न केवल अपने व्यापार घाटे को कम कर पाएगा, बल्कि विदेशी मुद्रा भंडार भी मजबूत होगा। घरेलू उत्पादन बढ़ने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और ग्रामीण इलाकों में औद्योगिक विकास को भी नई दिशा मिलेगी।
कर्नाटक के उद्योग मंत्री ने भी इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि सरकार छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) के लिए वित्तीय सहायता योजनाओं और सरल ऋण प्रक्रिया पर काम कर रही है। इससे उत्पादन में तेजी आएगी और राज्य में निर्यात-उन्मुख औद्योगिक संस्कृति विकसित होगी।