




लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे उत्तर प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। यहां एक मां ने भरोसे के चलते अपनी छह साल की मासूम बेटी को कुछ देर के लिए दो महिलाओं के पास छोड़ा था, लेकिन वे महिलाएं बच्ची को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गईं। जांच में खुलासा हुआ है कि आरोपी बच्ची को मुंबई में 80 हजार रुपये में बेचने की साजिश रच रहे थे। हालांकि, लखनऊ पुलिस और रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) की तत्परता से बच्ची को सुरक्षित बरामद कर लिया गया है।
यह घटना उस समय सामने आई जब बच्ची की मां अपनी दूसरी संतान के इलाज के लिए स्टेशन पहुंची थी। बताया जा रहा है कि महिला ने स्टेशन पर दो अन्य महिलाओं से बातचीत की थी, जिन्होंने सहानुभूति दिखाते हुए उसकी मदद करने की बात कही। उसी भरोसे में मां ने अपनी छह साल की बेटी को उनके पास थोड़ी देर के लिए छोड़ दिया। लेकिन जब वह वापस लौटी, तो दोनों महिलाएं बच्ची समेत वहां से गायब थीं।
घबराई मां ने तुरंत स्टेशन पुलिस चौकी में जाकर शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले, जिसमें दो महिलाएं एक पुरुष के साथ बच्ची को लेकर प्लेटफॉर्म से बाहर जाते हुए दिखाई दीं। फुटेज के आधार पर पुलिस ने तीनों की तलाश शुरू की। मामले की गंभीरता को देखते हुए चारबाग आरपीएफ और जीआरपी की संयुक्त टीम बनाई गई।
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि आरोपी बच्ची को ट्रेन से मुंबई ले जाने की कोशिश में थे। इसके बाद सभी ट्रेनों में अलर्ट जारी किया गया और संदिग्ध यात्रियों की तलाशी शुरू हुई। पुलिस की मेहनत तब रंग लाई जब वाराणसी की ओर जा रही एक ट्रेन से आरोपियों को हिरासत में लिया गया और बच्ची को सकुशल बरामद कर लिया गया।
पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार आरोपियों में दो महिलाएं और एक पुरुष शामिल हैं, जो मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। प्रारंभिक पूछताछ में उन्होंने स्वीकार किया कि वे बच्ची को मुंबई के एक एजेंट को बेचने वाले थे, जो मानव तस्करी गिरोह से जुड़ा है। सौदे की कीमत 80 हजार रुपये तय की गई थी।
लखनऊ के पुलिस आयुक्त ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करने वाली टीम की सराहना की है। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों में पुलिस पूरी संवेदनशीलता और तत्परता के साथ कार्य कर रही है। आरोपी अब पुलिस की हिरासत में हैं और उनके नेटवर्क की जांच की जा रही है ताकि पूरे मानव तस्करी गिरोह का पर्दाफाश किया जा सके।
मासूम बच्ची को सुरक्षित बचा लेने के बाद उसे मेडिकल जांच के लिए भेजा गया है। डॉक्टरों के अनुसार, बच्ची मानसिक रूप से डरी हुई है, लेकिन शारीरिक रूप से स्वस्थ है। फिलहाल उसे महिला सुरक्षा गृह की निगरानी में रखा गया है, जहां परामर्शदाता उसकी देखभाल कर रहे हैं।
इस घटना ने न केवल प्रशासन को सतर्क किया है बल्कि आम जनता के लिए भी एक बड़ा सबक छोड़ा है। लखनऊ जैसे व्यस्त रेलवे स्टेशन पर इस तरह का अपहरण होना यह दर्शाता है कि अपराधी अब आम परिस्थितियों में भी मौका तलाशने से नहीं चूकते। विशेषज्ञों का कहना है कि रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर हर साल सैकड़ों बच्चे गुम हो जाते हैं, जिनमें से कई मानव तस्करी के जाल में फंस जाते हैं।
महिला सुरक्षा और बाल संरक्षण से जुड़ी संस्थाओं ने इस घटना पर चिंता जताई है। चाइल्डलाइन और महिला आयोग ने पुलिस से कहा है कि ऐसे मामलों में सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई भी अपराधी इस तरह की हरकत करने से पहले सौ बार सोचें।
लखनऊ पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या यह गिरोह पहले भी किसी बच्चे को इस तरह से फंसाकर बेच चुका है। पुलिस ने मुंबई और बिहार के कई स्थानों पर भी छापेमारी की तैयारी की है।
यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि अपराधी कितनी चालाकी से अपनी योजनाएं बनाते हैं और जरूरतमंदों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं। लेकिन प्रशासन की तत्परता और तकनीकी सहायता से अब ऐसे अपराधों पर तेजी से लगाम लगाई जा रही है।
मासूम के परिवार ने पुलिस और प्रशासन का आभार जताया है। बच्ची की मां ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि भरोसे के नाम पर ऐसा विश्वासघात मिलेगा। उन्होंने सभी अभिभावकों से अपील की कि वे कभी भी अपने बच्चों को किसी अनजान व्यक्ति के साथ न छोड़ें, चाहे स्थिति कितनी भी मुश्किल क्यों न हो।