




हर्षवर्धन राणे और सोनम बाजवा अभिनीत फिल्म ‘एक दीवाने की दीवानियत’ 21 अक्टूबर 2025 को सिनेमाघरों में दस्तक देने के लिए पूरी तरह तैयार है। लेकिन इसके पहले फिल्म सेंसर बोर्ड यानी CBFC ने इस पर अपनी कैंची चला दी है। CBFC ने फिल्म को ‘A’ सर्टिफिकेट प्रदान किया है, जिसका मतलब है कि यह फिल्म केवल वयस्क दर्शकों के लिए ही देखी जा सकती है।
सेंसर बोर्ड ने फिल्म के कुछ हिस्सों में बदलाव की आवश्यकता बताई है। विशेष रूप से फिल्म में रामायण से जुड़ी कुछ सामग्री को हटाने का आदेश दिया गया है। बताया जा रहा है कि बोर्ड ने यह कदम धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए उठाया है। फिल्म निर्माता हर्षवर्धन राणे और उनकी टीम ने CBFC के निर्देशों का पालन करने के लिए जरूरी संपादन करने की पुष्टि की है।
फिल्म ‘एक दीवाने की दीवानियत’ को दर्शकों द्वारा काफी उत्साहित प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है। हर्षवर्धन राणे और सोनम बाजवा के अभिनय को लेकर पहले से ही फैंस में काफी उत्सुकता है। यह फिल्म एक रोमांटिक ड्रामा है, जिसमें प्रेम, जुनून और मानवीय भावनाओं को मुख्य रूप से दिखाया गया है। हालांकि, सेंसर बोर्ड द्वारा दिए गए बदलाव ने फिल्म को वयस्क वर्ग के लिए सीमित कर दिया है।
CBFC का कहना है कि ‘एक दीवाने की दीवानियत’ में कुछ दृश्यों और संवादों को ऐसे ढंग से प्रस्तुत किया गया है जो धार्मिक संवेदनाओं को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए बोर्ड ने फिल्म के लिए A सर्टिफिकेट निर्धारित किया और कुछ दृश्यों में बदलाव करने का आदेश दिया। फिल्म निर्माता टीम ने इस निर्णय का स्वागत किया है और कहा कि फिल्म के संदेश और भावनाओं को बनाए रखते हुए सभी आवश्यक बदलाव किए गए हैं।
फिल्म के निर्देशक और टीम का कहना है कि यह फिल्म उन लोगों के लिए बनाई गई है जो प्रेम और भावनाओं की गहराई को समझते हैं। हर्षवर्धन राणे और सोनम बाजवा ने अपनी भूमिकाओं में काफी मेहनत की है और दर्शकों को वास्तविक अनुभव देने की कोशिश की है। सेंसर बोर्ड के आदेश के बावजूद फिल्म का मुख्य कथानक और रोमांस पूरी तरह सुरक्षित है।
सिनेमाघरों में रिलीज से पहले फिल्म का प्रमोशन भी जोरों पर है। निर्माताओं ने फिल्म के ट्रेलर और पोस्टर्स जारी किए हैं, जिनमें रोमांटिक और भावनात्मक दृश्यों को प्रमुखता दी गई है। दर्शक सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर उत्साहित हैं और यह देखने को उत्सुक हैं कि CBFC द्वारा निर्धारित बदलाव फिल्म की कहानी पर किस हद तक प्रभाव डालते हैं।
फिल्म विशेषज्ञों का कहना है कि सेंसर बोर्ड का यह कदम आमतौर पर धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए उठाया जाता है। ऐसे में ‘एक दीवाने की दीवानियत’ को A सर्टिफिकेट मिलना सामान्य प्रक्रिया मानी जा सकती है। इसके बावजूद फिल्म के प्रेम और जुनून से भरे दृश्यों को देखने का अनुभव प्रभावित नहीं होगा।