




राजस्थान की राजनीति में हलचल मचाने वाले ‘डिस्ट्रॉय दीया’ केस में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। उपमुख्यमंत्री दीया कुमार के खिलाफ झूठी खबर चलाने और फिर उसे हटाने के नाम पर 5 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने के आरोप में दो पत्रकारों को हिरासत में लिया गया है। जयपुर पुलिस की टीम ने दोनों को भोपाल से गिरफ्तार किया है और उन्हें जयपुर लाकर पूछताछ की जा रही है।
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब सोशल मीडिया और कुछ ऑनलाइन पोर्टलों पर “डिस्ट्रॉय दीया” शीर्षक से एक खबर तेजी से वायरल हुई थी। खबर में राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमार के खिलाफ कई भ्रामक और आपत्तिजनक आरोप लगाए गए थे। बताया जा रहा है कि इस खबर के प्रकाशन के बाद कुछ लोगों ने दीया कुमार से संपर्क कर इसे हटाने और “इमेज क्लीनिंग” के नाम पर पैसों की मांग शुरू की।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, शुरुआती जांच में पता चला है कि यह पूरी साजिश पहले से योजनाबद्ध तरीके से रची गई थी। आरोप है कि जिन दो पत्रकारों को हिरासत में लिया गया है, वे कथित रूप से एक ऑनलाइन पोर्टल चलाते हैं और उसी के माध्यम से दीया कुमार से संबंधित फर्जी खबर प्रसारित की गई थी। खबर हटाने के बदले उन्होंने 5 करोड़ रुपये की डील का प्रस्ताव रखा था।
जयपुर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “हमें उपमुख्यमंत्री के मीडिया सेल से शिकायत प्राप्त हुई थी कि कुछ व्यक्ति ब्लैकमेलिंग की कोशिश कर रहे हैं। शिकायत के बाद साइबर सेल और क्राइम ब्रांच ने संयुक्त कार्रवाई की और ट्रैकिंग के बाद आरोपियों को भोपाल से पकड़ा गया।”
गिरफ्तार किए गए पत्रकारों की पहचान फिलहाल गोपनीय रखी गई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार दोनों के खिलाफ पहले भी फर्जी खबरों और रंगदारी के मामलों में जांच चल चुकी है। पुलिस का कहना है कि यह मामला न केवल पत्रकारिता की साख पर सवाल उठाता है, बल्कि साइबर अपराध के बढ़ते खतरे को भी उजागर करता है।
जांच अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण — लैपटॉप, मोबाइल फोन और डेटा ड्राइव — जब्त कर लिए गए हैं। इनकी डिजिटल फोरेंसिक जांच कराई जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि फर्जी खबर किस प्लेटफॉर्म से अपलोड की गई थी और उसके पीछे कौन-कौन से अन्य लोग शामिल थे।
डीसीपी (क्राइम) जयपुर ने बताया कि यह मामला सिर्फ रंगदारी का नहीं, बल्कि साइबर ब्लैकमेलिंग और चरित्र हनन का भी है। उन्होंने कहा, “हम इस केस को एक मिसाल बनाना चाहते हैं ताकि भविष्य में कोई व्यक्ति या संगठन इस तरह की हरकत करने से पहले सौ बार सोचे। लोकतंत्र में प्रेस की स्वतंत्रता जरूरी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोई पत्रकार या मीडिया प्लेटफॉर्म इसे पैसे कमाने का हथियार बना ले।”
राजनीतिक हलकों में यह मामला जोर पकड़ चुका है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों के नेता इस घटना पर प्रतिक्रिया दे चुके हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि “यह घटना दिखाती है कि किस तरह फेक न्यूज और साइबर ब्लैकमेलिंग का नेटवर्क राजनीति में घुसपैठ कर चुका है।” वहीं, बीजेपी नेताओं ने इसे “राजनीतिक षड्यंत्र” करार दिया और कहा कि सरकार को मीडिया स्वतंत्रता को सीमित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
उपमुख्यमंत्री दीया कुमार ने भी इस पूरे प्रकरण पर बयान जारी किया है। उन्होंने कहा, “मैंने हमेशा पारदर्शिता और सच्चाई में विश्वास किया है। जब मेरे खिलाफ झूठी खबर चलाई गई तो मुझे अफसोस नहीं हुआ, बल्कि मैंने तुरंत कानून पर भरोसा किया। आज जो कार्रवाई हुई है, वह दिखाती है कि न्याय व्यवस्था अब भी मजबूत है।”
दीया कुमार ने आगे कहा कि “मैं असली पत्रकारों का सम्मान करती हूं, लेकिन जो लोग पत्रकारिता की आड़ में अपराध करते हैं, उन्हें कठोर सजा मिलनी चाहिए। ऐसी घटनाएं पत्रकारिता की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं और समाज में गलत संदेश देती हैं।”
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में इस मामले में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि गिरफ्तार पत्रकारों के कुछ राजनीतिक और कारोबारी संपर्क भी हैं, जिनकी भूमिका की भी जांच की जा रही है।
साइबर सेल ने फिलहाल उन पोर्टलों और सोशल मीडिया खातों को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है जिनका इस्तेमाल फर्जी खबर फैलाने के लिए किया गया था। इसके अलावा, पुलिस ने संबंधित सर्वर और वेबसाइट के मालिकों से भी जानकारी मांगी है ताकि खबर के प्रकाशन की तकनीकी श्रृंखला को समझा जा सके।
राजस्थान पुलिस ने इस कार्रवाई को एक “प्रेस-माफिया नेटवर्क पर बड़ी चोट” बताया है। सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दिनों में इस तरह की गतिविधियों पर सख्त निगरानी रखने के लिए एक विशेष Cyber Media Monitoring Cell गठित करने पर भी विचार किया जा रहा है।
फिलहाल, गिरफ्तार दोनों पत्रकारों को जयपुर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें तीन दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। पुलिस को उम्मीद है कि इस दौरान उनसे कई और अहम जानकारियां सामने आएंगी।
‘डिस्ट्रॉय दीया’ केस केवल एक राजनीतिक या अपराध की कहानी नहीं है, बल्कि यह डिजिटल युग में मीडिया की जिम्मेदारी और सत्य की लड़ाई की याद भी दिलाता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस केस में और कौन-कौन से चेहरे सामने आते हैं।