




एशिया के दो पड़ोसी देशों — पाकिस्तान और अफगानिस्तान — के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। इस बार विवाद की वजह बनी है एक ऐसी दर्दनाक घटना जिसने क्रिकेट जगत को झकझोर कर रख दिया है। पाकिस्तान की कथित एयरस्ट्राइक में अफगानिस्तान के तीन क्रिकेटरों की मौत हो गई, जिसके बाद अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (ACB) ने पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ होने वाली आगामी टी20 ट्राई सीरीज से नाम वापस ले लिया है। यह सीरीज नवंबर में श्रीलंका में खेली जानी थी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान ने अफगान सीमा के नजदीक एक संदिग्ध आतंकी ठिकाने को निशाना बनाते हुए एयरस्ट्राइक की, लेकिन इस हमले में निर्दोष नागरिकों के साथ अफगानिस्तान की घरेलू क्रिकेट टीम के तीन खिलाड़ी भी मारे गए। बताया जा रहा है कि ये खिलाड़ी स्थानीय टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के बाद अपने गांव लौट रहे थे।
इस घटना के बाद अफगानिस्तान में आक्रोश की लहर दौड़ गई है। खेल से जुड़े संगठनों, पूर्व खिलाड़ियों और नागरिकों ने इसे “क्रिकेट की दुनिया पर धब्बा” बताया है। अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने इस हमले को “अस्वीकार्य” और “अंतरराष्ट्रीय खेल भावना के खिलाफ” करार देते हुए पाकिस्तान के साथ क्रिकेटिंग संबंध समाप्त करने की चेतावनी दी है।
अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के चेयरमैन नसीम खुर्रम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,
“हम अपने खिलाड़ियों की शहादत का बदला मैदान में नहीं, बल्कि सम्मानपूर्वक बहिष्कार से लेंगे। पाकिस्तान के साथ किसी भी स्तर पर क्रिकेट खेलना अब असंभव है।”
उन्होंने आगे कहा कि बोर्ड ने आपात बैठक बुलाकर सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि अफगानिस्तान टीम आगामी ट्राई सीरीज और द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में भाग नहीं लेगी। यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब अफगानिस्तान क्रिकेट टीम लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही थी। अफगान खिलाड़ियों जैसे रहमानुल्ला गुरबाज, रशीद खान, और मुजीब उर रहमान ने दुनिया भर की क्रिकेट लीग्स में शानदार प्रदर्शन कर अफगान क्रिकेट की साख को बढ़ाया है। लेकिन अपने तीन साथियों की मौत से पूरी टीम सदमे में है।
अफगानिस्तान में इस घटना को लेकर भारी जनाक्रोश देखने को मिल रहा है। काबुल और जलालाबाद में सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए और पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की। लोगों ने पाकिस्तान के झंडे जलाए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कार्रवाई की मांग की।
अफगानिस्तान की सरकार ने भी इसे “पाकिस्तान की गैरजिम्मेदाराना सैन्य कार्रवाई” बताया और संयुक्त राष्ट्र से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की है। वहीं, पाकिस्तान की ओर से सफाई दी गई कि उनका निशाना “आतंकी ठिकाने” थे, न कि कोई खेल से जुड़ा व्यक्ति। लेकिन अफगानिस्तान इस दावे को मानने को तैयार नहीं है।
अब सवाल यह उठ रहा है कि इस विवाद के बाद दक्षिण एशिया में क्रिकेट संबंधों का भविष्य क्या होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना एशियाई क्रिकेट परिषद (ACC) के लिए भी एक चुनौती है, क्योंकि अफगानिस्तान के इस फैसले से त्रिपक्षीय टूर्नामेंट पूरी तरह से रद्द हो सकता है।
अफगानिस्तान की तरफ से यह भी संकेत दिए गए हैं कि वह भविष्य में पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय सीरीज, एशिया कप मुकाबलों या किसी भी सहयोगी आयोजन में हिस्सा नहीं लेगा। इसके साथ ही उन्होंने अन्य क्रिकेट बोर्डों से भी अपील की है कि वे “खेल के नाम पर हिंसा को बढ़ावा देने वाले देशों से दूरी बनाएं।”
वहीं, सूत्रों के अनुसार, अफगानिस्तान के अंदर तालिबान प्रशासन ने इस घटना पर बेहद सख्त रुख अपनाया है। तालिबान के प्रवक्ता ने चेतावनी दी है कि “निर्दोष खिलाड़ियों की मौत का बदला लिया जाएगा।” हालांकि यह बयान अब अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि इससे क्षेत्रीय शांति पर असर पड़ सकता है।
इस पूरी घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि राजनीति और सीमाई संघर्षों का असर खेलों पर कितना गहरा पड़ सकता है। क्रिकेट, जो दोनों देशों के बीच आपसी रिश्तों को सुधारने का पुल बन सकता था, अब तनाव का कारण बन गया है।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने भी इस पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि वह स्थिति की निगरानी कर रही है और अगर अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड की मांग हुई, तो वह इस मामले में मानवीय जांच दल भेज सकता है।
खेल विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना अफगानिस्तान क्रिकेट के लिए एक बड़ा झटका है। एक ऐसे समय में जब देश के युवा खिलाड़ी खेल के जरिये नई पहचान बना रहे थे, इस तरह की घटना उनके मनोबल को गहरा आघात पहुंचा सकती है।
अफगानिस्तान के दिग्गज खिलाड़ी रशीद खान ने सोशल मीडिया पर लिखा,
“हमने अपने साथी खो दिए हैं, लेकिन उनका सपना अधूरा नहीं रहेगा। हम उनके सम्मान में हर मैच खेलेंगे, चाहे दुनिया हमारे खिलाफ क्यों न हो।”
वहीं, अफगानिस्तान में लोग अब इस घटना को राष्ट्रीय अपमान के रूप में देख रहे हैं। जनता का गुस्सा पाकिस्तान के खिलाफ लगातार बढ़ रहा है और सोशल मीडिया पर #JusticeForAfghanPlayers और #BoycottPakistanCricket जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
क्रिकेट की दुनिया जहां एकजुटता और भाईचारे की मिसाल देती है, वहीं पाकिस्तान की इस कथित कार्रवाई ने खेल भावना को गहरी चोट पहुंचाई है। अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) और एशियाई क्रिकेट परिषद (ACC) इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या पाकिस्तान को किसी तरह की पाबंदी का सामना करना पड़ता है।
फिलहाल अफगानिस्तान के इस साहसिक फैसले ने यह साफ कर दिया है कि खेल के नाम पर अब कोई समझौता नहीं होगा। जिन देशों की नीतियां खिलाड़ियों की जान से खेलती हैं, उनके साथ क्रिकेट नहीं — बल्कि मानवता के लिए दूरी ही एकमात्र जवाब है।