




महाराष्ट्र सरकार ने ऐतिहासिक औरंगाबाद रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर अब ‘छत्रपति संभाजीनगर’ कर दिया है। सरकार ने इस बदलाव को औपचारिक रूप देने के लिए गज़ट नोटिस जारी किया है, जो अब आधिकारिक तौर पर प्रभावी हो गया है। इस कदम का मकसद मराठा साम्राज्य के वीर योद्धा छत्रपति संभाजी महाराज की वीरता, साहस और योगदान को सम्मानित करना है।
आधिकारिक गज़ट नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि औरंगाबाद रेलवे स्टेशन का नाम ‘छत्रपति संभाजीनगर’ कर दिया गया है। इस नामकरण से न केवल इतिहास में उनकी भूमिका को याद किया जाएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी यह प्रेरणा का स्रोत बनेगा। इस निर्णय का स्वागत महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में किया जा रहा है, जहां लोग इसे एक गौरवपूर्ण और ऐतिहासिक कदम मान रहे हैं।
महाराष्ट्र सरकार के अधिकारीयों का कहना है कि यह नामकरण छत्रपति संभाजी महाराज के योगदान और उनकी वीरता के सम्मान में किया गया है। संभाजी महाराज, छत्रपति शिवाजी महाराज के बड़े पुत्र थे और उन्होंने मराठा साम्राज्य के संरक्षण और विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनका साहस और नेतृत्व आज भी प्रेरणा का स्रोत है।
रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के बाद यात्रियों को भविष्य में नई जानकारी के अनुसार अपनी यात्रा योजना बनानी होगी। रेलवे बोर्ड ने सभी स्टेशनों पर संकेतक और प्लेटफॉर्म नाम अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके अलावा रेलवे टिकट, ऑनलाइन बुकिंग पोर्टल और संबंधित ऐप्स पर भी ‘छत्रपति संभाजीनगर’ का नाम दर्शाया जाएगा।
इस बदलाव के पीछे महाराष्ट्र सरकार का उद्देश्य स्थानीय संस्कृति और इतिहास को संरक्षित करना भी है। औरंगाबाद का शहर ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है, जहां अजंता-एलोरा जैसी विश्व धरोहर स्थल स्थित हैं। अब रेलवे स्टेशन का नाम बदलने से इस ऐतिहासिक शहर की पहचान और भी मजबूत होगी।
राज्य सरकार ने इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि यह केवल एक नाम परिवर्तन नहीं है, बल्कि यह छत्रपति संभाजी महाराज के आदर्शों, उनके संघर्ष और उनके योगदान को याद रखने का प्रतीक है। उनके साहस और राष्ट्रभक्ति की भावना को नई पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
रेलवे प्रशासन ने यात्रियों से अपील की है कि वे नए नाम के अनुसार अपने टिकट और यात्रा योजनाओं में आवश्यक बदलाव करें। रेलवे स्टेशनों पर पुराने और नए नाम दोनों के संकेत कुछ समय तक रखे जाएंगे ताकि यात्रियों को भ्रम न हो।
इस नामकरण को लेकर जनता में भी उत्साह देखा जा रहा है। विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों ने इस फैसले की सराहना की है। उनका कहना है कि यह नाम महाराष्ट्र की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को और सशक्त बनाएगा।
वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि नाम परिवर्तन से प्रशासनिक प्रक्रियाओं और दस्तावेजों में बदलाव की जरूरत पड़ेगी, लेकिन अधिकांश लोगों का मानना है कि यह बदलाव आवश्यक और प्रेरक है। यह केवल रेलवे स्टेशन का नाम बदलना नहीं है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदेश भी है।
छत्रपति संभाजी महाराज की वीरता और उनकी प्रेरक कहानियों को ध्यान में रखते हुए यह नामांकन एक सही कदम माना जा रहा है। अब औरंगाबाद रेलवे स्टेशन ‘छत्रपति संभाजीनगर’ के नाम से जाना जाएगा और आने वाली पीढ़ियों के लिए यह एक गौरवपूर्ण प्रतीक बन जाएगा।
रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि स्टेशनों पर नई बोर्डिंग, साइनबोर्ड और टिकटिंग सिस्टम को जल्द अपडेट किया जाएगा। इसके अलावा रेलवे स्टेशन के डिजिटल प्लेटफॉर्म और यात्रियों के सूचना चैनलों पर भी इस बदलाव की जानकारी दी जाएगी।
महाराष्ट्र सरकार का यह कदम इतिहास, संस्कृति और मराठा गौरव के प्रति सम्मान को दर्शाता है। आने वाले समय में यह कदम अन्य क्षेत्रों में भी प्रेरणा के रूप में देखा जा सकता है, जहां ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को सशक्त किया जा सके।