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    ₹35 लाख का झेला नुकसान, फिर 2 साल में खड़ा किया ₹30 करोड़ का बिजनेस – पढ़िए चेन्नई के कुणाल भंडारी की जबरदस्त सक्सेस स्टोरी

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    चेन्नई के रहने वाले कुणाल भंडारी आज उन युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं, जो असफलता से डरकर अपने सपनों को अधूरा छोड़ देते हैं। पारंपरिक मारवाड़ी परिवार से आने वाले कुणाल ने बिजनेस की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उन्होंने एक समय पर 35 लाख का नुकसान झेला, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और दो साल के भीतर 30 करोड़ के सालाना टर्नओवर वाला ब्रांड खड़ा कर दिखाया। उनकी कहानी संघर्ष, आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।

    कुणाल का परिवार पारंपरिक व्यापार से जुड़ा रहा है, लेकिन उनकी सोच हमेशा कुछ नया करने की थी। बचपन से ही उन्हें अपने पिता के बिजनेस के तरीके देखने का मौका मिला, जिससे उन्होंने बिजनेस की बारीकियां सीखीं। मगर वे सिर्फ पारंपरिक व्यापार तक सीमित नहीं रहना चाहते थे। उन्होंने सोचा कि समय बदल रहा है और लोगों की जरूरतें भी। इसी सोच ने उन्हें नए आइडिया पर काम करने के लिए प्रेरित किया। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 2019 में अपना पहला बिजनेस शुरू किया। यह बिजनेस होम डेकोर प्रोडक्ट्स से जुड़ा था। शुरू में सब ठीक चल रहा था, लेकिन फिर कोविड-19 महामारी आ गई। लॉकडाउन के चलते सप्लाई चेन ठप पड़ गई और सेल्स रुक गईं। इस वजह से कुणाल को भारी नुकसान उठाना पड़ा। दो साल की मेहनत पर पानी फिर गया और उन्हें करीब 35 लाख का घाटा हुआ।

    इस असफलता ने उन्हें तोड़ने की कोशिश की, लेकिन कुणाल ने हार मानने से इंकार कर दिया। उन्होंने खुद को दोबारा संभाला और अपनी गलती से सीखा। कुणाल कहते हैं कि असफलता ही सबसे बड़ी शिक्षक होती है। उन्होंने गहराई से सोचा कि आखिर कहां गलती हुई और क्या सुधारा जा सकता है। इसी आत्ममंथन के बाद उन्होंने एक नया रास्ता चुना। उन्होंने महसूस किया कि आने वाला समय सस्टेनेबल और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स का है। उन्होंने बाजार का अध्ययन किया और देखा कि लोग अब पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों की ओर तेजी से झुक रहे हैं।

    2021 में कुणाल ने अपने नए ब्रांड की नींव रखी। इस बार उन्होंने इको-फ्रेंडली, क्रूएल्टी-फ्री और भारतीय परंपरा से प्रेरित प्रोडक्ट्स लॉन्च किए। उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का सही इस्तेमाल किया और सोशल मीडिया के जरिए ग्राहकों से सीधा जुड़ाव बनाया। धीरे-धीरे उनका ब्रांड लोगों के बीच लोकप्रिय होने लगा। उनकी क्वालिटी, पैकेजिंग और सस्टेनेबल अप्रोच ने ग्राहकों का दिल जीत लिया। सिर्फ दो साल के भीतर कंपनी का सालाना टर्नओवर 30 करोड़ तक पहुंच गया।

    कुणाल की सफलता के पीछे उनकी सोच और उनकी टीम की मेहनत है। उन्होंने युवाओं की एक ऊर्जावान टीम बनाई जो डिजिटल मार्केटिंग और ब्रांडिंग में निपुण थी। सोशल मीडिया, इन्फ्लुएंसर्स और ऑनलाइन कैंपेन के जरिए उन्होंने अपने ब्रांड को देशभर में पहचान दिलाई। कुणाल ने अपने बिजनेस मॉडल को इस तरह तैयार किया कि न सिर्फ ग्राहक बल्कि पर्यावरण भी उससे लाभान्वित हो। उनके सभी उत्पाद इको-फ्रेंडली पैकेजिंग में आते हैं और किसी भी प्रकार के हानिकारक केमिकल से मुक्त होते हैं। यही कारण है कि आज उनका ब्रांड भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हो चुका है।

    कुणाल का मानना है कि आज का ग्राहक सिर्फ प्रोडक्ट नहीं, बल्कि वैल्यू और भरोसा खरीदता है। इसी सोच के साथ उन्होंने अपने ब्रांड को “Made in India, Made for the World” की थीम पर आगे बढ़ाया। आज उनकी कंपनी के उत्पाद अमेरिका, सिंगापुर और दुबई जैसे देशों में भी एक्सपोर्ट किए जा रहे हैं। कुणाल की योजना है कि आने वाले तीन वर्षों में वह अपने ब्रांड को 100 करोड़ टर्नओवर तक पहुंचाएं। इसके लिए वे भारत के छोटे शहरों में भी अपनी डिस्ट्रीब्यूशन चैनल मजबूत कर रहे हैं।

    कुणाल भंडारी कहते हैं कि अगर कोई असफलता से डर जाए, तो सफलता कभी नहीं पा सकता। उन्होंने कहा, “मैंने जब अपना पहला बिजनेस खोया था, तब सोचा था कि सब खत्म हो गया। लेकिन आज जब पीछे मुड़कर देखता हूं, तो समझ आता है कि वही नुकसान मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट था। अगर वो असफलता न मिलती, तो शायद आज मैं यह मुकाम नहीं हासिल कर पाता।”

    उनकी यह सोच आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है। वह बताते हैं कि सफलता का रास्ता कभी सीधा नहीं होता। उसमें ठोकरें, असफलताएं और मुश्किलें आती हैं, लेकिन जो डटे रहते हैं, वही जीतते हैं। उनका मानना है कि हर व्यक्ति में कुछ बड़ा करने की क्षमता होती है, बस उसे खुद पर भरोसा रखना चाहिए।

    कुणाल भंडारी की कहानी यह साबित करती है कि असफलता अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत होती है। उन्होंने 35 लाख के नुकसान को अपने हौसले से 30 करोड़ की सफलता में बदल दिया। आज वह न सिर्फ एक सफल उद्यमी हैं बल्कि उन तमाम युवाओं के लिए रोल मॉडल हैं, जो अपने सपनों को साकार करने की राह पर हैं। उनकी यह कहानी इस बात की गवाही देती है कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत सच्ची, तो कोई भी मुश्किल रास्ता आसान बन जाता है।

    कुणाल का यह सफर बताता है कि बिजनेस सिर्फ मुनाफे का नहीं, बल्कि सोच, जिम्मेदारी और विज़न का खेल है। उन्होंने साबित किया कि एक सही आइडिया, मजबूत इच्छाशक्ति और सही दिशा में की गई मेहनत से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है। आज उनका नाम भारतीय स्टार्टअप जगत में तेजी से उभरते हुए युवा उद्यमियों में शुमार है। चेन्नई का यह युवा आज भारत की नई सोच और नई ऊर्जा का प्रतीक बन चुका है।

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