




दिवाली के त्योहार की रौनक खत्म होते ही मुंबईवासियों के लिए एक गंभीर चेतावनी सामने आई है। शहर की हवा इस समय बेहद खराब श्रेणी में पहुँच गई है। कुलाबा और वांद्रा जैसे प्रमुख इलाकों में वायु गुणवत्ता निर्देशांक (AQI) 200 के ऊपर दर्ज किया गया, जिसे विशेषज्ञ “धोकादायक” मानते हैं। यह स्तर न केवल श्वसन संबंधी समस्याओं के लिए जोखिम पैदा करता है, बल्कि बच्चों, वृद्धों और पुराने रोगियों के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि दिवाली के दौरान छोड़े गए फटाकों, पटाखों और आतिशबाज़ियों के धुएँ के कारण शहर का वायु प्रदूषण अचानक बढ़ गया। इसके साथ ही वाहन उत्सर्जन और कारखानों से निकलने वाले धुएँ ने स्थिति और खराब कर दी। मौसम की परिस्थितियां भी इसका एक बड़ा कारण रही हैं। ठंडी हवाएं और स्थिर वातावरण ने प्रदूषण के कणों को फैले बिना एक जगह जमा कर दिया, जिससे हवा और भी घनी और अस्वस्थ हो गई।
शहर के अस्पतालों में पहले ही मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है। विशेष रूप से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और एलर्जी से पीड़ित लोगों को डॉक्टरों ने अधिक सतर्क रहने की सलाह दी है। सिविल अस्पतालों के आपातकालीन विभागों में वायु प्रदूषण से जुड़े रोगियों की संख्या में 30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी देखी गई है।
महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) ने भी इस संबंध में चेतावनी जारी की है। बोर्ड ने नागरिकों से आग्रह किया है कि वे बाहर निकलते समय मास्क का उपयोग करें और जरूरी होने पर ही घर से बाहर जाएँ। साथ ही बच्चों और बुजुर्गों को खुले वातावरण में लंबा समय बिताने से बचाने की सलाह दी गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मुंबई की वायु गुणवत्ता इस समय दीर्घकालीन स्वास्थ्य खतरों का संकेत देती है। लगातार खराब हवा में सांस लेना फेफड़ों की कार्यक्षमता पर असर डाल सकता है और हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, प्रदूषण के कण आंखों और त्वचा पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
प्रदूषण के कारण शहर के स्कूली बच्चों को भी सलाह दी गई है कि वे खेल के मैदान में लंबा समय न बिताएं। कई स्कूलों ने यह निर्णय लिया है कि बच्चों के लिए सुबह और दोपहर के बीच आउटडोर खेलों को सीमित किया जाएगा।
विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि इस समय एयर प्यूरीफायर और घर के अंदर हवादार व्यवस्था बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। घर के अंदर वायु की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए एयर प्यूरीफायर, हवा में नमी बनाए रखने वाले उपकरण और नियमित रूप से कमरे की सफाई करना आवश्यक है।
दिवाली के समय छोड़े गए फटाकों ने न केवल मुंबई, बल्कि पूरे देश में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा दिया है। दिल्ली और अन्य महानगरों में भी AQI के स्तर में वृद्धि देखी गई है। यह घटना इस बात का संकेत देती है कि शहरों में वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए और अधिक सख्त नियमों और उपायों की आवश्यकता है।
विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि इस साल मुंबई में फटाके कम होने के बावजूद वायु गुणवत्ता इतनी खराब हुई है, जो चिंता का विषय है। इसका मुख्य कारण धूल, वाहन उत्सर्जन और उद्योगिक प्रदूषण है। यदि नागरिक और प्रशासन दोनों मिलकर कदम नहीं उठाते, तो आने वाले समय में ऐसी घटनाएं आम हो सकती हैं।
अंततः, मुंबईवासियों के लिए यह समय सतर्क रहने का है। मास्क पहनना, बच्चे और बुजुर्गों को घर के अंदर सुरक्षित रखना, घर के अंदर वायु की गुणवत्ता बनाए रखना और अनावश्यक बाहर निकलने से बचना आवश्यक है। इस प्रकार, शहर की वायु प्रदूषण समस्या केवल एक मौसम संबंधी घटना नहीं है, बल्कि यह शहर के लंबे समय तक स्वास्थ्य और जीवन स्तर पर असर डाल सकती है।
मुंबई प्रशासन ने वायु प्रदूषण कम करने के लिए आगामी दिनों में सड़क पर वाहनों की आवाजाही और उद्योगिक गतिविधियों पर विशेष नजर रखने का निर्णय लिया है। साथ ही, नागरिकों को भी हर संभव प्रयास करने का संदेश दिया गया है कि वे अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए कदम उठाएं।