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    मैट्रिमोनियल साइट पर दोस्ती बनी जाल, इनकम टैक्स ऑफिसर से साइबर ठगों ने ठगे 44 लाख रुपये

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    राजधानी दिल्ली में एक चौंकाने वाला साइबर फ्रॉड मामला सामने आया है। एक इनकम टैक्स ऑफिसर (Income Tax Officer) को ऑनलाइन ठगों ने अपनी जालसाजी का शिकार बना लिया। ठगों ने मैट्रिमोनियल साइट (Matrimonial Site) पर महिला बनकर अधिकारी से दोस्ती की और भरोसे में लेकर कुल 44 लाख रुपये हड़प लिए।

    यह मामला न केवल ऑनलाइन ठगी के नए पैटर्न को उजागर करता है बल्कि यह भी दिखाता है कि शिक्षित और उच्च पदों पर बैठे लोग भी साइबर अपराधियों के जाल में फंस सकते हैं।

    कैसे रची गई ठगी की पटकथा

    मिली जानकारी के अनुसार, इनकम टैक्स ऑफिसर की मुलाकात एक महिला से एक प्रसिद्ध मैट्रिमोनियल वेबसाइट पर हुई। महिला ने खुद को जबलपुर (मध्य प्रदेश) की रहने वाली बताया और कहा कि वह लंदन में एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करती है। उसने खुद को सिंगल बताते हुए कहा कि उसके माता-पिता का देहांत हो चुका है।

    महिला ने कुछ ही दिनों में अधिकारी से करीबी बढ़ा ली और बातचीत के दौरान कहा कि वह जल्द भारत आना चाहती है ताकि परिवार से मिल सके और शादी के बारे में आगे बात की जा सके। इसी बहाने उसने अधिकारी से भरोसा जीत लिया।

    कुछ दिन बाद महिला ने बताया कि उसने भारत में बिजनेस शुरू करने और घर खरीदने के लिए बड़ी रकम भेजी है, लेकिन यह रकम कस्टम्स और रिजर्व बैंक की प्रक्रिया में फंस गई है। उसने अधिकारी से कहा कि उसे यह पैसा छुड़ाने के लिए कुछ टैक्स और फीस भरनी होगी।

    अधिकारी, जो अब तक महिला की बातों पर पूरी तरह भरोसा कर चुके थे, ने उसकी मदद के लिए कई बार ऑनलाइन ट्रांसफर के जरिए पैसे भेजे। अगले कुछ हफ्तों में उन्होंने कुल 44 लाख रुपये महिला द्वारा बताए खातों में ट्रांसफर कर दिए।

    ठगी का एहसास हुआ जब संपर्क टूटा

    रुपये भेजने के कुछ दिन बाद महिला का संपर्क टूट गया। उसके मोबाइल नंबर बंद हो गए और चैटिंग ऐप्स पर जवाब आना बंद हो गया। अधिकारी को तब शक हुआ कि वे किसी बड़ी ठगी के शिकार हो गए हैं।

    उन्होंने तुरंत दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट में शिकायत दर्ज कराई। जांच में पता चला कि महिला का असली नाम और प्रोफाइल दोनों फर्जी थे। ठगों ने लंदन में होने का झांसा देने के लिए VPN, फर्जी पासपोर्ट, और नकली सोशल मीडिया प्रोफाइल का इस्तेमाल किया था।

    पुलिस जांच में सामने आया नेटवर्क

    दिल्ली साइबर सेल की शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि ठगों का यह गिरोह नाइजीरिया और भारत के विभिन्न हिस्सों से संचालित हो रहा है। गिरोह के सदस्य मैट्रिमोनियल साइट्स, सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन डेटिंग ऐप्स पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर उच्च आय वर्ग के लोगों को निशाना बनाते हैं।

    जांच में यह भी पाया गया कि जिन खातों में पैसे भेजे गए, वे पहले से ही कई अन्य साइबर फ्रॉड मामलों में संदिग्ध पाए गए हैं। पुलिस अब बैंक खातों, मोबाइल नंबरों और डिजिटल ट्रेल्स की जांच कर रही है ताकि अपराधियों तक पहुंचा जा सके।

    महिला की पहचान और फर्जी कहानी का सच

    साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि ठगों ने महिला के नाम से बनाए गए सोशल मीडिया प्रोफाइल में वास्तविक तस्वीरें इस्तेमाल की थीं जो किसी विदेशी मॉडल की थीं। इससे प्रोफाइल असली लगती थी।

    महिला का “बायोडाटा” भी पेशेवर तरीके से तैयार किया गया था जिसमें उसकी उम्र, नौकरी, परिवार और संपत्ति की जानकारी दी गई थी — ताकि सामने वाला व्यक्ति पूरी तरह विश्वास कर सके।

    साइबर पुलिस की अपील: सतर्क रहें, जांच करें

    दिल्ली साइबर पुलिस ने इस घटना के बाद नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि मैट्रिमोनियल साइट्स पर किसी से भी बातचीत करने से पहले उनकी जानकारी क्रॉस-चेक करें और कोई भी आर्थिक लेन-देन करने से बचें।

    “अगर कोई विदेशी नागरिक या व्यक्ति किसी आर्थिक या तकनीकी दिक्कत का हवाला देकर पैसे मांगे, तो समझ लें कि यह ठगी का प्रयास है।” — पुलिस अधिकारी

    साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में आमतौर पर भावनात्मक ब्लैकमेल का इस्तेमाल किया जाता है। ठग पहले भावनात्मक रिश्ता बनाते हैं, फिर किसी आपातकालीन आर्थिक मदद के नाम पर पैसे निकलवा लेते हैं।

    साइबर फ्रॉड के बढ़ते मामले

    भारत में साइबर फ्रॉड के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में देशभर में 6 लाख से ज्यादा साइबर ठगी के केस दर्ज किए गए, जिनमें 35% मामले मैट्रिमोनियल साइट्स और ऑनलाइन डेटिंग प्लेटफॉर्म से जुड़े थे।

    विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल युग में ठगों के तरीके बेहद परिष्कृत हो चुके हैं। वे अब केवल तकनीकी नहीं, बल्कि भावनात्मक रूप से भी लोगों को manipulate करने लगे हैं।

    यह मामला दिखाता है कि साइबर अपराध अब केवल अनजान लोगों को ही नहीं बल्कि सरकारी अधिकारियों, बैंककर्मियों और पेशेवरों को भी जाल में फंसा रहे हैं। डिजिटल दुनिया में विश्वास से पहले सतर्कता और सत्यापन बेहद जरूरी है।

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