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भारतीय रेल में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर लगातार प्रयास जारी हैं। इसी दिशा में अब एक बड़ी सफलता मिली है। दिल्ली-मुंबई रेल रूट के कोटा-नागदा खंड के बीच रेल मंत्रालय ने ‘रेल कवच तकनीक’ (Train Collision Avoidance System – TCAS) लागू कर दी है। इस नई तकनीक के चलते अब इस रूट पर आमने-सामने आने वाली दो ट्रेनों के बीच टक्कर की कोई संभावना नहीं रहेगी। यह तकनीक अपने आप ट्रेनों को रोक देती है, जिससे रेल दुर्घटनाओं पर लगाम लग सकेगी।
राजस्थान के कोटा से मिली इस खबर ने यात्रियों को राहत दी है। पिछले कुछ महीनों में देश के कई हिस्सों से ट्रेन दुर्घटनाओं की खबरें आई थीं, जिनमें जान-माल का भारी नुकसान हुआ। ऐसे में भारतीय रेलवे ने सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए ‘रेल कवच’ जैसी स्वदेशी तकनीक को अपनाया है।
क्या है रेल कवच तकनीक?
रेल कवच यानी Train Collision Avoidance System एक उन्नत सुरक्षा प्रणाली है, जिसे भारतीय इंजीनियरों ने पूरी तरह स्वदेशी रूप से विकसित किया है। यह सिस्टम GPS, रेडियो सिग्नल और माइक्रोप्रोसेसर आधारित तकनीक पर काम करता है। इसका मुख्य उद्देश्य दो ट्रेनों के बीच टक्कर होने की संभावना को पूरी तरह खत्म करना है।
जब दो ट्रेनें एक ही ट्रैक पर एक-दूसरे की दिशा में आती हैं, तो यह सिस्टम दोनों ट्रेनों के ड्राइवर और कंट्रोल रूम को पहले ही अलर्ट भेज देता है। अगर ट्रेन ड्राइवर ब्रेक नहीं लगाता, तो यह सिस्टम ट्रेन को स्वचालित रूप से रोक देता है। इससे न सिर्फ यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि सिग्नलिंग सिस्टम पर निर्भरता भी कम होती है।
कोटा-नागदा सेक्शन क्यों चुना गया?
कोटा-नागदा रेल खंड दिल्ली-मुंबई मुख्य रेल मार्ग का अहम हिस्सा है। यह रूट मालगाड़ियों और यात्री ट्रेनों दोनों के लिए सबसे व्यस्त रूटों में से एक है। यहां रोजाना सैकड़ों ट्रेनें गुजरती हैं। यही वजह है कि रेलवे ने इस खंड को ‘रेल कवच’ तकनीक लागू करने के लिए प्राथमिकता में रखा।
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, इस रूट पर हर दिन 100 से अधिक ट्रेनें गुजरती हैं, जिनमें राजधानी, अगस्त क्रांति, गोल्डन टेंपल मेल जैसी सुपरफास्ट ट्रेनें शामिल हैं। ऐसे में किसी भी तकनीकी त्रुटि की स्थिति में बड़ी दुर्घटना की संभावना रहती है। रेल कवच के लागू होने के बाद अब इस रूट पर ट्रेनें और भी सुरक्षित तरीके से चल सकेंगी।
रेल मंत्रालय का बयान
रेल मंत्रालय ने बताया कि ‘रेल कवच’ को धीरे-धीरे देश के सभी प्रमुख रेल मार्गों पर लागू किया जाएगा। मंत्रालय ने कहा, “यह तकनीक भारतीय रेलवे के इतिहास में एक नया अध्याय लिखेगी। कोटा-नागदा खंड में इसकी सफल स्थापना के बाद अब इसे दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-हावड़ा और अन्य प्रमुख रूटों पर चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।”
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह तकनीक अब तक हजारों किलोमीटर ट्रैक पर सफलतापूर्वक लागू की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि ट्रेन की स्पीड, दिशा और लोकेशन का डेटा लगातार सैटेलाइट के जरिए ट्रैक किया जाता है। इससे ट्रेनों की रीयल-टाइम स्थिति की जानकारी कंट्रोल सेंटर को मिलती रहती है।
दुर्घटनाओं पर लगेगी लगाम
भारत में हर साल सैकड़ों रेल दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें से अधिकतर कारण मानव त्रुटि होते हैं। कभी सिग्नल ओवरशूट करने के कारण, तो कभी संचार की कमी से ट्रेनें आमने-सामने आ जाती हैं। लेकिन रेल कवच तकनीक इन सभी समस्याओं को लगभग खत्म कर देगी। यह प्रणाली ट्रेन की स्पीड, दिशा और लोकेशन को लगातार मॉनिटर करती है। जैसे ही सिस्टम को पता चलता है कि दो ट्रेनें एक ही ट्रैक पर हैं और दूरी घट रही है, यह तुरंत अलर्ट जारी करता है और ट्रेन को रोक देता है।
रेल विशेषज्ञों के अनुसार, यह तकनीक भारत में रेलवे सुरक्षा के नए युग की शुरुआत है। यह न केवल दुर्घटनाओं को रोकेगी, बल्कि ट्रेनों की समयबद्धता और परिचालन दक्षता को भी बढ़ाएगी।
यात्रियों में खुशी की लहर
कोटा और नागदा के बीच यात्रा करने वाले यात्रियों ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि अब सफर और भी सुरक्षित हो जाएगा। एक यात्री ने कहा, “हम रोजाना इस रूट से सफर करते हैं। अगर ऐसी तकनीक से हमारी सुरक्षा बढ़ती है, तो यह रेलवे की बड़ी उपलब्धि है।”
भविष्य की दिशा
रेलवे का लक्ष्य है कि 2026 तक भारत के सभी प्रमुख रेल मार्गों पर ‘रेल कवच’ तकनीक लागू कर दी जाए। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल से भी जुड़ा हुआ है।
इस कदम से भारत न सिर्फ रेलवे सुरक्षा में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि अन्य देशों को भी यह तकनीक निर्यात करने की क्षमता रखेगा।
कुल मिलाकर, ‘रेल कवच’ तकनीक भारतीय रेल की सुरक्षा यात्रा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगी। दिल्ली-मुंबई मार्ग पर इसका सफल प्रयोग आने वाले समय में देश के हर यात्री के लिए सुरक्षा की गारंटी बनेगा।








