• Create News
  • Nominate Now

    ‘हिंदू’ शब्द न लिखने पर मचा बवाल! उद्धव ठाकरे पर बीजेपी का हमला, कहा – ‘हरे वोट’ बचाने की कोशिश में लगे हैं

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

    महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) और राज ठाकरे की मनसे (MNS) द्वारा 1 नवंबर को आयोजित किए जा रहे मार्च से पहले एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस मार्च का मकसद वोटर लिस्ट में कथित गड़बड़ियों के खिलाफ प्रदर्शन करना है, लेकिन पोस्टर में “हिंदू जिमखाना” शब्द न लिखे जाने से सियासत और तेज हो गई है।

    दरअसल, यह मार्च मुंबई के प्रसिद्ध हिंदू जिमखाना से शुरू होना है, लेकिन उद्धव ठाकरे की पार्टी द्वारा जारी किए गए आधिकारिक पोस्टर में इस स्थान का नाम सिर्फ “जिमखाना मैदान” लिखा गया है। बस इसी बात को लेकर महाराष्ट्र बीजेपी ने उद्धव ठाकरे पर तीखा हमला बोल दिया है।

    बीजेपी के प्रवक्ताओं ने कहा कि उद्धव ठाकरे “हरे वोट” यानी मुस्लिम वोट बैंक को नाराज नहीं करना चाहते, इसलिए उन्होंने पोस्टर से “हिंदू” शब्द हटा दिया। बीजेपी नेताओं ने यह तक कह डाला कि उद्धव ठाकरे अब हिंदुत्व से पूरी तरह दूर हो गए हैं और सिर्फ सत्ता की राजनीति के लिए वोट बैंक साधने में लगे हैं।

    बीजेपी ने अपने बयान में कहा, “उद्धव ठाकरे की पार्टी अब कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार गुट) के प्रभाव में पूरी तरह घुल चुकी है। कभी बालासाहेब ठाकरे का नाम हिंदुत्व की पहचान था, लेकिन आज उनके बेटे हिंदू शब्द से ही परहेज कर रहे हैं। यह वही उद्धव ठाकरे हैं जो कभी राम मंदिर पर गर्व किया करते थे।”

    इसी बीच, बीजेपी ने उद्धव ठाकरे पर हमला करते हुए राज ठाकरे की मनसे का उदाहरण भी दिया। बीजेपी नेताओं ने कहा कि “राज ठाकरे अब भी हिंदुत्व की राजनीति पर कायम हैं। उनके पोस्टर में हिंदू शब्द साफ-साफ लिखा गया है, जबकि उद्धव ठाकरे ने वोट बैंक के डर से उसे हटा दिया। यही फर्क है असली और दिखावटी हिंदुत्व में।”

    इस पूरे विवाद पर उद्धव ठाकरे गुट ने सफाई देते हुए कहा है कि यह सिर्फ एक तकनीकी गलती थी, और पोस्टर में शब्द हटाने के पीछे कोई सियासी मकसद नहीं है। शिवसेना (UBT) ने कहा, “हमारा आंदोलन जनता के हक की लड़ाई के लिए है। बीजेपी मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए बेवजह विवाद पैदा कर रही है।”

    राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद महाराष्ट्र की बदलती राजनीति का संकेत है। उद्धव ठाकरे जहां कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन में हैं, वहीं बीजेपी और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) उन पर “हिंदुत्व से दूर जाने” का आरोप लगाते रहते हैं। ऐसे में ‘हिंदू शब्द’ का यह विवाद चुनावी समीकरणों पर असर डाल सकता है।

    उद्धव ठाकरे गुट की ओर से कहा गया कि यह मार्च “लोकशाही की रक्षा” के लिए है, न कि किसी धर्म विशेष के नाम पर। वहीं बीजेपी ने कहा कि उद्धव अब “हिंदुत्व का चेहरा” नहीं रहे, बल्कि “सेक्युलर वोट बैंक” की राजनीति में डूब चुके हैं।

    बताया जा रहा है कि 1 नवंबर को होने वाले इस मार्च में उद्धव ठाकरे के साथ राज ठाकरे, कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट) और अन्य विपक्षी दल भी शामिल हो सकते हैं। माना जा रहा है कि यह प्रदर्शन राज्य सरकार के खिलाफ विपक्ष की ताकत दिखाने का एक मंच बनेगा।

    फिलहाल, “हिंदू जिमखाना” शब्द को लेकर मचा यह बवाल सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों तक चर्चा में है। बीजेपी इसे हिंदुत्व बनाम वोट बैंक की लड़ाई के तौर पर पेश कर रही है, जबकि उद्धव ठाकरे इसे मुद्दों से ध्यान भटकाने की साजिश बता रहे हैं।

    महाराष्ट्र की राजनीति में यह विवाद आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले नए समीकरण खड़े कर सकता है। उद्धव ठाकरे को एक तरफ अपने पुराने “हिंदुत्व समर्थक” वोटर बेस को संभालना है, तो दूसरी तरफ विपक्षी गठबंधन के धर्मनिरपेक्ष एजेंडे को भी साधना है। इसी संतुलन की राजनीति में “हिंदू शब्द” अब एक बड़ा राजनीतिक प्रतीक बन गया है।

    न्यूज़ शेयर करने के लिए क्लिक करें .
  • Advertisement Space

    Related Posts

    पतंजलि और IARI की साझेदारी से मिट्टी होगी सेहतमंद, ‘स्वस्थ धरा अभियान’ से बढ़ेगा टिकाऊ कृषि का दायरा

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। भारत की कृषि प्रणाली एक नए युग की ओर कदम बढ़ा रही है। पतंजलि ऑर्गेनिक्स और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान…

    Continue reading
    जयपुर बनेगा मेंटर सिटी, 330 करोड़ से राजस्थान के 6 शहर होंगे स्मार्ट – जानिए पूरा मास्टर प्लान

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। राजस्थान में शहरी विकास की दिशा में राज्य सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। जयपुर अब सिर्फ ‘स्मार्ट सिटी’…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *