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    सोना उगल रही राजस्थान की धरती! बांसवाड़ा में फिर मिला करोड़ों का खजाना, GSI ने किया बड़ा खुलासा

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    राजस्थान की धरती ने फिर एक बार अपने खजाने का रहस्य उजागर किया है। बांसवाड़ा जिले के घाटोल तहसील में स्थित कांकरियागढ़ा ब्लॉक से भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) की टीम ने 1.20 टन सोने का भंडार खोजा है। इस खोज को लेकर विशेषज्ञों ने इसकी आर्थिक कीमत लगभग 1449 करोड़ रुपये आंकी है। यह घटना बांसवाड़ा के लिए ऐतिहासिक होने के साथ-साथ राजस्थान की खनिज संपदा के महत्व को भी दर्शाती है।

    यह खोज इस जिले में तीसरी बार हुई है। इससे पहले भी बांसवाड़ा में सोने के भंडार मिले थे, लेकिन इस बार का भंडार अब तक का सबसे बड़ा और संभावनाओं से भरपूर माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह भंडार सतही खोज में पाया गया है और इसके आसपास और गहरी तहों में और भी खजाने मिलने की संभावना है।

    GSI ने अब भंडार की पुष्टि के बाद डीप सर्वे की योजना बनाई है। इस डीप सर्वे के दौरान आधुनिक तकनीकों और उपकरणों का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे जमीन के भीतर सोने की मात्रा और वितरण का पता लगाया जा सके। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर डीप सर्वे सफल होता है तो यह क्षेत्र भारतीय खनन उद्योग के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

    बांसवाड़ा में सोने की खोज न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय रोजगार और विकास के लिए भी संभावनाएं बढ़ाती है। खनन परियोजनाओं से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और जिले में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, यह राज्य सरकार के खनिज नीति और निवेशकों के लिए भी आकर्षक बन सकता है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि सोने की यह खोज सतही स्तर पर हुई है, लेकिन डीप सर्वे में इस क्षेत्र में और भी बड़े भंडार का खुलासा हो सकता है। इसके लिए आधुनिक भूवैज्ञानिक तकनीकों जैसे मैग्नेटिक सर्वे, ग्रैविटी सर्वे और जियोफिजिकल इमेजिंग का उपयोग किया जाएगा। इससे न केवल सोने की मात्रा का अनुमान लगेगा बल्कि इसके निष्कर्षण की तकनीक और प्रक्रिया भी स्पष्ट होगी।

    राजस्थान में खनिज संपदा की संभावनाएं पहले भी जगजाहिर रही हैं। राज्य के कई जिलों में सोने, चांदी और अन्य कीमती धातुओं के भंडार पाए गए हैं। बांसवाड़ा की यह खोज राज्य की खनिज संपदा को और मजबूत करेगी और निवेशकों का ध्यान इस क्षेत्र की ओर खींचेगी।

    स्थानीय प्रशासन और भू-वैज्ञानिक विशेषज्ञ इस खोज को लेकर उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि यह खजाना केवल आर्थिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि तकनीकी और वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। भविष्य में यहां खनन के लिए उच्च तकनीक वाले उपकरण और प्रक्रिया अपनाई जाएगी, जिससे सतत और सुरक्षित निष्कर्षण सुनिश्चित किया जा सके।

    साथ ही, स्थानीय लोगों को इस खोज से जुड़े प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर भी प्रदान किए जाएंगे। इससे न केवल बांसवाड़ा की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी बल्कि युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे।

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