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बॉलीवुड की खूबसूरत अदाकारा ऐश्वर्या राय बच्चन आज अपना जन्मदिन मना रही हैं। उनकी गिनती न केवल भारतीय सिनेमा की सबसे लोकप्रिय अभिनेत्रियों में होती है, बल्कि वह दुनिया भर में भारतीय सौंदर्य और गरिमा की पहचान बन चुकी हैं। ऐश्वर्या का नाम आते ही सबके दिमाग में सबसे पहले उनकी भव्य लाइफस्टाइल और अमिताभ बच्चन के बंगले ‘जलसा’ की तस्वीर सामने आती है। मगर क्या आप जानते हैं कि उनका मायका, यानी ऐश्वर्या का पुश्तैनी घर, जलसा से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत और सुकूनभरा है?
ऐश्वर्या राय का मायका मुंबई के बांद्रा इलाके में स्थित है। यह वही घर है जहां से ऐश्वर्या ने अपने सपनों की उड़ान भरी थी और मिस वर्ल्ड बनने तक का सफर तय किया। उनके पिता कृष्णराज राय भले अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें इस घर की हर दीवार में जिंदा हैं।
सादगी और संस्कारों से भरा ऐश्वर्या का मायका
जहां ‘जलसा’ अपनी भव्यता, कांच की सजावट और आलीशान डेकोरेशन के लिए मशहूर है, वहीं ऐश्वर्या का मायका सादगी और आत्मिक शांति का प्रतीक है। इस घर की दीवारें हल्के रंगों में रंगी हुई हैं, और घर के अंदर हर कोना किसी न किसी याद या भावना से जुड़ा हुआ है। ऐश्वर्या की मां वृंदा राय, जो खुद एक शिक्षिका रही हैं, आज भी उसी घर में रहती हैं।
घर की सजावट में किसी महंगे ब्रांड का प्रदर्शन नहीं, बल्कि परिवार की यादों का सुकून दिखाई देता है। ड्राइंग रूम में पिता कृष्णराज राय की तस्वीरें लगी हैं, जिनके नीचे ऐश्वर्या अक्सर दिया जलाकर प्रार्थना करती हैं। यह वही कमरा है, जहां ऐश्वर्या अपने मिस वर्ल्ड बनने के बाद सबसे पहले माता-पिता के चरण छूने आई थीं।
‘एक दीवार’ जो सिखाती है जीवन का सबक
ऐश्वर्या के घर की एक दीवार सोशल मीडिया पर कई बार वायरल हो चुकी है। यह दीवार दरअसल ‘वैल्यू वॉल’ कहलाती है। इसमें ऐश्वर्या के पिता ने कई प्रेरणादायक कोट्स और छोटी-छोटी शिक्षाएं फ्रेम करवाकर लगाई थीं।
उनमें से एक संदेश है –
“सफलता तभी सार्थक है जब उसमें विनम्रता और सेवा भाव जुड़ा हो।”
इस दीवार के सामने ऐश्वर्या अक्सर बैठकर समय बिताती हैं। वह कई बार इंटरव्यू में कह चुकी हैं कि उनके जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा उनके पिता और इस दीवार पर लिखे संदेश हैं।
ऐश्वर्या का परिवार और सादगी भरा जीवन
हालांकि ऐश्वर्या राय आज विश्वप्रसिद्ध हस्ती हैं, लेकिन अपने मायके के संस्कारों से वह हमेशा जुड़ी रही हैं। उनकी मां वृंदा राय अब भी उसी घर में पूजा-पाठ करती हैं और हर साल ऐश्वर्या के जन्मदिन पर घर में साधारण पूजा और भंडारा आयोजित करती हैं।
कहा जाता है कि जब भी ऐश्वर्या मुंबई में होती हैं, वह ‘जलसा’ से पहले अपने मायके जरूर जाती हैं। बेटी आराध्या बच्चन भी अपनी नानी के घर का खाना बेहद पसंद करती हैं और अक्सर वहां समय बिताती हैं।
‘जलसा’ से तुलना क्यों होती है मायके की?
ऐश्वर्या का मायका और ‘जलसा’ दोनों ही मुंबई के पॉश इलाकों में हैं, लेकिन दोनों की आभा अलग है। ‘जलसा’ जहां एक सेलिब्रिटी हाउस की पहचान है, वहीं ऐश्वर्या का मायका संस्कारों और अपनापन का घर कहा जा सकता है। वहां न चमक-दमक है, न भव्यता का दिखावा, पर हर दीवार में एक भावनात्मक कहानी है।
यह घर ऐश्वर्या के जीवन की शुरुआत का प्रतीक है, वहीं ‘जलसा’ उनके जीवन की सफलता का। लेकिन खुद ऐश्वर्या के लिए इन दोनों में से सबसे प्रिय स्थान उनका मायका ही है, जहां से उन्होंने अपने सपनों की नींव रखी थी।
ऐश्वर्या राय का अब तक का सफर
मॉडलिंग से लेकर मिस वर्ल्ड बनने तक और फिर बॉलीवुड की सुपरस्टार बनने तक का सफर ऐश्वर्या के लिए आसान नहीं था। पर उन्होंने कभी अपने संस्कार और विनम्रता को नहीं छोड़ा। यही वजह है कि आज भी वह बॉलीवुड की सबसे गरिमामयी अभिनेत्रियों में गिनी जाती हैं।
उनकी फिल्मों में हम दिल दे चुके सनम, देवदास, जोधा अकबर, गुरु जैसी क्लासिक्स शामिल हैं। ऐश्वर्या सिर्फ एक स्टार नहीं, बल्कि भारतीय महिला शक्ति और सौंदर्य की मिसाल हैं।
ऐश्वर्या राय का मायका सिर्फ एक घर नहीं, बल्कि एक भावनात्मक प्रतीक है – जहां सादगी में सौंदर्य और हर दीवार में प्रेरणा बसती है। भले ही आज वह बच्चन परिवार की बहू हैं और करोड़ों की संपत्ति की मालकिन हैं, लेकिन उनके मायके की वो दीवार अब भी उन्हें याद दिलाती है कि सफलता का असली अर्थ विनम्रता और परिवार के मूल्यों को सहेजना है।








