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दिल्ली में एक सरकारी शराब दुकान से ऐसा घोटाला सामने आया है, जिसने राजधानी की शराब वितरण व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक्साइज विभाग द्वारा की गई एक छापेमारी में यह खुलासा हुआ कि कुछ कर्मचारियों ने विदेशी ब्रांड की महंगी शराब की खाली बोतलों में नकली शराब भरकर ग्राहकों को बेचने का धंधा शुरू कर रखा था। यह गोरखधंधा न सिर्फ उपभोक्ताओं की सेहत से खिलवाड़ कर रहा था, बल्कि सरकार के राजस्व को भी नुकसान पहुंचा रहा था।
यह मामला राजधानी के एक पॉश इलाके में स्थित सरकारी शराब की दुकान का है। सूत्रों के अनुसार, एक्साइज विभाग को लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं कि दुकान से खरीदी जा रही महंगी इंपोर्टेड व्हिस्की और वाइन का स्वाद और क्वालिटी संदिग्ध है। जांच टीम ने जब मौके पर जाकर छापा मारा, तो वहां का दृश्य देखकर अधिकारी भी दंग रह गए। दुकान के पीछे बने स्टोर रूम में इंपोर्टेड ब्रांड्स जैसे — Johnnie Walker, Chivas Regal, Glenfiddich, और Absolut Vodka की खाली बोतलों का ढेर लगा हुआ था।
जांच में पाया गया कि इन बोतलों में सस्ते लोकल ब्रांड की शराब भरकर उन्हें दोबारा सील किया जा रहा था। शराब को इस तरह पैक किया जाता था कि वह बिल्कुल असली जैसी दिखे। ऊपर से असली लेबल और टैक्स स्टिकर लगाए जाते थे, जिससे ग्राहक को शक भी नहीं होता था। इन बोतलों को बाद में “प्रीमियम शराब” के दाम पर बेचा जाता था।
जांच अधिकारियों के अनुसार, यह गोरखधंधा कई महीनों से चल रहा था। दुकान के कुछ कर्मचारियों ने मिलकर यह फर्जीवाड़ा किया था। उन्हें हर बोतल पर मोटा मुनाफा मिलता था। बताया जा रहा है कि नकली शराब तैयार करने में सस्ती देशी शराब का इस्तेमाल किया जा रहा था, जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक होती है।
एक्साइज विभाग के अधिकारी ने बताया कि “हमें लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि सरकारी दुकानों से खरीदी जा रही कुछ महंगी इंपोर्टेड शराब की गुणवत्ता घटिया है। जब हमने स्टिंग ऑपरेशन किया, तो पता चला कि असली बोतलों में नकली शराब भरी जा रही है। यह न केवल उपभोक्ता के स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि यह सरकारी राजस्व की भी चोरी है।”
मौके से भारी मात्रा में नकली शराब, सीलिंग मशीनें, लेबल और स्टिकर जब्त किए गए हैं। विभाग ने तत्काल प्रभाव से उस दुकान का लाइसेंस निलंबित कर दिया है और संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है। जांच में यह भी सामने आया है कि इस गोरखधंधे में कुछ प्राइवेट सप्लायर्स और डिस्ट्रीब्यूटर भी शामिल थे, जो खाली बोतलें इकट्ठी करके दुकानों तक पहुंचाते थे।
राजधानी में यह पहला मामला नहीं है जब सरकारी शराब दुकानों में इस तरह का फर्जीवाड़ा पकड़ा गया हो। इससे पहले भी दिल्ली, गुरुग्राम और नोएडा में कई बार नकली शराब की बिक्री के मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि, सरकारी दुकान में इस तरह की हरकत ने प्रशासन को चौंका दिया है क्योंकि इन दुकानों की साख आम तौर पर भरोसेमंद मानी जाती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली में इंपोर्टेड शराब की मांग लगातार बढ़ रही है। त्योहारों और पार्टियों के सीजन में महंगे ब्रांड्स की बिक्री कई गुना बढ़ जाती है। इसी मांग का फायदा उठाकर कुछ लोग नकली शराब के धंधे में उतर जाते हैं। वे खाली बोतलों को होटल, बार और रेस्टोरेंट्स से खरीदकर उन्हें दोबारा पैक करते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस तरह की नकली शराब का सेवन बेहद खतरनाक हो सकता है। इनमें मिलाए गए रासायनिक पदार्थ शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं और कई मामलों में जानलेवा भी साबित हो सकते हैं।
दिल्ली सरकार ने इस पूरे मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री ने निर्देश दिए हैं कि राजधानी की सभी सरकारी और निजी शराब दुकानों का अचानक निरीक्षण अभियान चलाया जाए ताकि इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सके।
अब एक्साइज विभाग इस घोटाले की जड़ तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है। संभावना है कि आने वाले दिनों में और भी दुकानें जांच के घेरे में आ सकती हैं। इस मामले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि राजधानी में नकली शराब का कारोबार अब सिर्फ गलियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह सरकारी सिस्टम तक पहुंच चुका है।

		
		
		
		
		
		
		
		
		






