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    छत्तीसगढ़ में आवारा पशुओं पर लगेगी लगाम, रायपुर समेत सभी शहरों में एक महीने तक चलेगा विशेष अभियान

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    रायपुर — छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्यभर में आवारा पशुओं की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए एक विशेष अभियान की शुरुआत की है। यह अभियान एक महीने तक चलेगा, जिसके तहत सभी शहरी निकायों को अपने-अपने क्षेत्रों से सड़कों पर घूम रहे आवारा मवेशियों को हटाने और उन्हें सुरक्षित स्थानों यानी गौशालाओं या गोठानों में भेजने के निर्देश दिए गए हैं। यह निर्णय मुख्यमंत्री के निर्देश पर लिया गया है ताकि सड़कों पर आवारा पशुओं के कारण हो रही दुर्घटनाओं और यातायात बाधाओं पर रोक लगाई जा सके।

    शहरी प्रशासन एवं विकास विभाग ने सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों को इस अभियान को सख्ती से लागू करने का आदेश जारी किया है। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव और अंबिकापुर जैसे प्रमुख शहरों में “स्ट्रे कैटल कंट्रोल ड्राइव” पहले ही शुरू कर दी गई है। विभाग ने बताया कि हर जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है जो अभियान की निगरानी करेगा और प्रतिदिन की प्रगति रिपोर्ट भेजेगा।

    सड़क दुर्घटनाओं और यातायात जाम की सबसे बड़ी वजह बन चुके आवारा मवेशियों को लेकर राज्य सरकार पिछले कई महीनों से चिंतित थी। रायपुर और दुर्ग जैसे शहरों में सड़कों पर बैठे या घूमते मवेशियों के कारण कई गंभीर हादसे हो चुके हैं। इसी को देखते हुए प्रशासन ने “जीरो टॉलरेंस पॉलिसी” अपनाने का फैसला किया है।

    अभियान के दौरान नगर निगम टीमें पशु पकड़ने के लिए आधुनिक ट्रक, नेट और ट्रैकिंग सिस्टम का इस्तेमाल करेंगी। पकड़े गए मवेशियों को स्थानीय गौशालाओं या पंचायत स्तर के गोठानों में भेजा जाएगा। इसके साथ ही पशु मालिकों की पहचान कर उनके खिलाफ जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। रायपुर नगर निगम ने बताया कि जिन मवेशियों के मालिक अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हैं, उनके खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम और नगर निगम अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।

    राज्य के परिवहन विभाग ने इस अभियान के लिए एक विस्तृत स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) भी जारी की है। इसके अनुसार, शहरों के व्यस्त मार्गों, बाजार क्षेत्रों और हाईवे किनारे विशेष रूप से निगरानी रखी जाएगी। पुलिस और यातायात विभाग की संयुक्त टीम भी इस ड्राइव में शामिल की गई है।

    राज्य सरकार ने नागरिकों से भी सहयोग की अपील की है। इसके लिए हेल्पलाइन नंबर 1033 और 1100 (निदान पोर्टल) जारी किए गए हैं, जहां लोग सड़कों पर घूम रहे मवेशियों की जानकारी दे सकते हैं। प्राप्त शिकायतों पर संबंधित अधिकारी तत्काल कार्रवाई करेंगे।

    अभियान के अंतर्गत गौशालाओं की क्षमता बढ़ाने के निर्देश भी दिए गए हैं ताकि अधिक पशुओं को वहां रखा जा सके। ग्रामीण इलाकों में स्थित गोठानों को भी इस अभियान से जोड़ा गया है। रायपुर कलेक्टर ने कहा, “यह अभियान सिर्फ एक सफाई मिशन नहीं है, बल्कि सड़क सुरक्षा और पशु संरक्षण दोनों से जुड़ा कदम है। शहर की सड़कों को सुरक्षित और स्वच्छ बनाना हमारी प्राथमिकता है।”

    पशु कल्याण विभाग ने बताया कि राज्य में पंजीकृत गौशालाओं की संख्या लगभग 2,400 है, जिनमें करीब 4 लाख मवेशियों को रखा जा सकता है। अभियान के दौरान खाली पड़े गोठानों को पुनः सक्रिय किया जाएगा और जरूरत पड़ने पर अस्थायी शेड भी बनाए जाएंगे।

    राजधानी रायपुर में नगर निगम ने पहले ही 10 टीमें गठित की हैं जो रोजाना सुबह से शाम तक अलग-अलग वार्डों में पशु पकड़ने का काम करेंगी। निगम आयुक्त ने स्पष्ट किया कि आवारा मवेशियों के कारण आमजन की जान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

    राज्य सरकार का यह निर्णय हाईकोर्ट की उस टिप्पणी के बाद आया है जिसमें कहा गया था कि आवारा पशुओं की वजह से नागरिकों की सुरक्षा खतरे में है और प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

    एक महीने चलने वाले इस अभियान से सरकार को उम्मीद है कि आवारा पशुओं की संख्या में कमी आएगी, सड़कों पर यातायात सुचारू होगा और लोगों की जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। साथ ही, इस अभियान को सफल बनाने के लिए स्थानीय निकायों को नियमित निगरानी और नागरिक सहभागिता बढ़ाने के भी निर्देश दिए गए हैं।

    राज्य सरकार का यह कदम सुरक्षित, स्वच्छ और व्यवस्थित शहरी छत्तीसगढ़ की दिशा में एक ठोस प्रयास माना जा रहा है। प्रशासन का मानना है कि यदि नागरिक सक्रिय सहयोग दें, तो इस पहल से प्रदेश में आवारा पशुओं की समस्या स्थायी रूप से नियंत्रित की जा सकती है।

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