इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

बिहार चुनाव 2025 में राजनीतिक दलों के बीच चर्चा और बहस का माहौल लगातार गर्म रहा है। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक विशेष भाषण में बिहार के युवा वर्ग को लक्षित करते हुए कट्टा और दोनाली बंदूक जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। उनके इस बयान ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी और सोशल मीडिया पर भी जमकर चर्चा पैदा की। प्रधानमंत्री मोदी ने इस उदाहरण के माध्यम से उन नौजवानों को ‘जंगलराज’ की झलक दिखाने की कोशिश की, जिन्होंने कभी इसे प्रत्यक्ष रूप में अनुभव नहीं किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में स्पष्ट किया कि बिहार में अतीत में कुछ समय ऐसा भी था जब कानून और व्यवस्था की स्थिति अस्थिर थी। उन्होंने कट्टा और दोनाली जैसे हथियारों का जिक्र कर यह समझाने की कोशिश की कि उस दौर में जनता के लिए सुरक्षा और न्याय की स्थिति कितनी चुनौतीपूर्ण थी। पीएम मोदी का यह बयान खासकर उन युवा वोटरों को लक्षित कर बनाया गया था जो आज के ‘सुशासन’ के दौर में बड़े हुए हैं और जिन्होंने जंगलराज की वास्तविक परिस्थितियों का अनुभव नहीं किया।
इस भाषण का उद्देश्य केवल डर पैदा करना नहीं था, बल्कि युवाओं को यह समझाना था कि सुशासन और मजबूत नेतृत्व कितने महत्वपूर्ण हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने शब्दों के जरिए यह संदेश दिया कि अब बिहार में ऐसी स्थितियाँ नहीं हैं और सुधारात्मक कदमों के जरिए राज्य ने कानून व्यवस्था को मज़बूत किया है। उन्होंने यह भी कहा कि युवाओं को यह जानना आवश्यक है कि उनके पूर्वजों और समाज ने कितनी मेहनत और संघर्ष के बाद वर्तमान सुशासन की स्थिति हासिल की है।
सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर इस बयान को लेकर व्यापक बहस हुई। कुछ लोगों ने इसे राजनीतिक संदेश के रूप में देखा तो कुछ ने इसे चुनावी रणनीति के रूप में देखा। विशेषज्ञों का मानना है कि पीएम मोदी का यह कदम युवा वोटरों के मन में जागरूकता पैदा करने के लिए रणनीतिक था। युवाओं को यह एहसास दिलाना कि सुशासन की कीमत क्या होती है और लोकतंत्र में उनकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है, इस तरह के बयान का मुख्य उद्देश्य था।
प्रधानमंत्री मोदी ने भाषण में यह भी बताया कि कट्टा और दोनाली का जिक्र केवल प्रतीकात्मक था। उनका मकसद यह था कि युवा यह समझें कि कानून और व्यवस्था की कमजोरियों का सीधा असर समाज के विकास और व्यक्तिगत जीवन पर पड़ता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब युवा पीढ़ी को बेहतर बिहार और बेहतर भविष्य बनाने का अवसर मिला है, और इसके लिए उन्हें अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक रहना होगा।
इस भाषण ने युवा वर्ग के बीच गहरी चर्चा को जन्म दिया। कई युवाओं ने इसे प्रेरणादायक और शिक्षा देने वाला बताया। उन्होंने महसूस किया कि राजनीतिक चेतना और सामाजिक जिम्मेदारी का महत्व केवल वोट देने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे जीवन और समाज में सक्रिय रूप से अपनाना भी आवश्यक है।
अंततः कहा जा सकता है कि पीएम मोदी का यह बयान केवल चुनावी रणनीति नहीं बल्कि युवा पीढ़ी को जागरूक करने का एक तरीका भी था। कट्टा और दोनाली जैसी प्रतीकात्मक बातों के जरिए उन्होंने यह संदेश दिया कि सुशासन, सुरक्षा और समाज में स्थिरता का महत्व कितना बड़ा है। इस भाषण के माध्यम से युवा वर्ग ने समझा कि लोकतंत्र में उनकी भागीदारी और समझदारी राज्य के विकास और सुशासन के लिए कितनी जरूरी है।
इस प्रकार बिहार के युवा, जो जंगलराज के समय की वास्तविक परिस्थितियों को नहीं जानते, उन्होंने प्रधानमंत्री के इस बयान के जरिए उस दौर की झलक पाई और सुशासन की वास्तविकता को समझा। यह राजनीतिक संवाद न केवल युवाओं के लिए सीखने का अवसर है बल्कि राज्य में लोकतांत्रिक चेतना और जिम्मेदारी को बढ़ाने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम बन गया है।








