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    चीन की अर्थव्यवस्था पर मंडरा रहा गहरा संकट, तांबा खत्म, फैक्ट्रियों में सन्नाटा।

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    चीन की इंडस्ट्रियल हेल्थ का पैमाना माने जाने वाला Purchasing Managers’ Index (PMI) अप्रैल में गिरकर 49 पर आ गया है. यानी उत्पादन में गिरावट. मार्च में यह आंकड़ा 50.5 था.

    अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ का असर अब साफ-साफ चीन की अर्थव्यवस्था पर दिखने लगा है. भले ही बीजिंग दिखा रहा हो कि उसे इस ट्रेड वॉर से कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन सच्चाई ये है कि चीन इस ट्रेड वॉर के दवाब में आ चुका है, और वो भी ऐसे वक्त में जब उसकी अर्थव्यवस्था कोरोना के बाद की सुस्ती, कमजोर घरेलू मांग और रियल एस्टेट संकट से जूझ रही है.

    उत्पादन में गिरावट
    चीन की इंडस्ट्रियल हेल्थ का पैमाना माने जाने वाला Purchasing Managers’ Index (PMI) अप्रैल में गिरकर 49 पर आ गया है. यानी उत्पादन में गिरावट. मार्च में यह आंकड़ा 50.5 था. 50 से नीचे का स्कोर बताता है कि उद्योग सिमट रहे हैं. इससे साफ है कि अमेरिकी टैरिफ चीन की मैन्युफैक्चरिंग को झटका दे रहे हैं. एक्सपोर्ट धीमा पड़ चुका है, बेरोजगारी बढ़ रही है और लॉजिस्टिक सेक्टर में देरी हो रही है.

    चीन की सबसे बड़ी चिंता
    चीन के तांबा भंडार बेहद कम होते जा रहे हैं और अगर यही रफ्तार रही तो जून तक स्टॉक पूरी तरह खत्म हो सकता है. अमेरिका की ओर से तांबे की भारी मांग और संभावित टैरिफ के डर ने दुनिया भर से चीन के लिए तांबे की सप्लाई को काट दिया है. Mercuria जैसी बड़ी ट्रेड कंपनियों ने इसे “इतिहास का सबसे बड़ा सप्लाई शॉक” बताया है. हालात इतने खराब हैं कि चीन को अमेरिकी तांबे पर लगने वाले टैक्स से छूट मांगनी पड़ रही है.

    चुपचाप ‘व्हाइटलिस्ट’ बना रहा है चीन
    हालांकि चीन सरकार खुलेआम झुकने को तैयार नहीं है, लेकिन पर्दे के पीछे कुछ और ही खेल चल रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने एक ‘व्हाइटलिस्ट‘ तैयार की है, यानी उन अमेरिकी प्रोडक्ट्स की लिस्ट जिन्हें टैरिफ से छूट दी जाएगी. इसमें दवाइयां, चिप्स और एयरक्राफ्ट इंजन जैसे अहम उत्पाद शामिल हैं. कंपनियों को निजी तौर पर संपर्क कर बताया जा रहा है कि उनके प्रोडक्ट्स को छूट मिल सकती है, बशर्ते वे सही चैनल से आवेदन करें.

    सरकार दे रही भरोसे की गोली
    आसान लोन, सपोर्ट पॉलिसी और सेक्टोरल मदद के जरिए बीजिंग के वरिष्ठ अधिकारी कंपनियों और बेरोजगारों को सहारा देने की बात कर रहे हैं. लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि बड़े निर्माता सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं, क्योंकि भारी टैक्स के चलते एक्सपोर्ट पर असर पड़ रहा है. छोटे उद्योग, जो लेबर-इंटेंसिव हैं, अभी थोड़ी राहत में हैं.

    कहां जा रही है चीन की अर्थव्यवस्था?
    आर्थिक जानकारों का मानना है कि इस साल चीन की ग्रोथ महज 3.5 फीसदी तक रह सकती है, जो बीते वर्षों के मुकाबले बेहद कम है. मैन्युफैक्चरिंग कमजोर है, सर्विस सेक्टर भी ढलान पर है और बाजार का भरोसा भी लगातार गिरता जा रहा है.

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