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    CJI पद की शपथ लेते ही जस्टिस बी आर गवई सीधे पहुंचे मां के पास और…

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    सीजेआई के तौर पर जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीने से ज्यादा समय का होगा. वह नवंबर में 65 साल के हो जाएंगे.

    नए मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई (CJI BR Gavai) पद की शपथ लेते ही सबसे पहले मां के पास गए और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया. वह देश के 52वें सीजेआई हैं. ये दिन न सिर्फ जस्टिस गवई बल्कि उनके पूरे परिवार के लिए बेहद खास है इसलिए पूरा परिवार उनके शपथ ग्रहण में शामिल हुआ. मां के पैर छूने के बाद जस्टिस गवई परिवार के अन्य सदस्यों से भी मिले.

    जस्टिस गवई की मां कमल ताई गवई महाराष्ट्र के अमरावती से दिल्ली पहुंची थीं ताकि वह बेटे के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हों. सीजेआई गवई ने शपध लेते ही सबसे पहले मां से आशीर्वाद लिया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें सीजेआई पद की शपथ दिलाई. फिर वह पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और अन्य केंद्रीय मंत्रियों और मेहमानों से मिले.

    जस्टिस गवई 6 महीने से ज्यादा समय के लिए सीजेआई के पद पर रहेंगे, नवंबर में वह 65 साल के हो जाएंगे. राष्ट्रपति भवन के गणतंत्र मंडप में एक संक्षिप्त समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई. जस्टिस गवई ने हिंदी में शपथ ली. जस्टिस संजीव खन्ना का सीजेआई के तौर पर कार्यकाल मंगलवार (13 मई, 2025) को समाप्त हो गया है.

    जस्टिस गवई को 24 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत किया गया था. उनका कार्यकाल छह महीने से अधिक समय का होगा और वह 23 नवंबर तक पद पर रहेंगे. महाराष्ट्र के अमरावती में 24 नवंबर, 1960 को जन्मे जस्टिस गवई को 14 नवंबर, 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था. वह 12 नवंबर, 2005 को हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने.

    जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट में कई संविधान पीठों का हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं. वह 16 मार्च, 1985 को बार में शामिल हुए थे और नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील थे. जस्टिस गवई को अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त सरकारी अभियोजक नियुक्त किया गया था. उन्हें 17 जनवरी, 2000 को नागपुर पीठ के लिए सरकारी अभियोजक नियुक्त किया गया था.

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