




‘टीडीआर का नियम 2004 में आया, जमीन 1996 में अधिगृहीत हुई थी’ – कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दी दलील।
नई दिल्ली, 24 मई 2025: बैंगलोर पैलेस ग्राउंड्स की 15 एकड़ जमीन के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश को कर्नाटक सरकार ने चुनौती दी है। मामला तब गरमाया जब सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह पूर्व मैसूर रॉयल फैमिली के कानूनी उत्तराधिकारियों को ₹3011 करोड़ मूल्य के ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स (TDR) दे।
राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि जमीन का अधिग्रहण 1996 के कानून के तहत हुआ था, जबकि TDR की अवधारणा 2004 में अस्तित्व में आई। ऐसे में यह नियम अधिग्रहण पर पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं किया जा सकता।
कोर्ट में क्या हुआ?
मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने शुरू में यह सवाल उठाया कि एक बेंच किसी अन्य पीठ के आदेश की समीक्षा कैसे कर सकती है। लेकिन सिब्बल ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार पूर्व आदेश को पलटने का अनुरोध नहीं कर रही, बल्कि सिर्फ यह चाहती है कि लंबित अपील के तहत उसकी कानूनी आपत्तियों का समाधान किया जाए।
मामला क्या है?
साल 1996 में बैंगलोर पैलेस एक्ट के तहत 15 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था।उस समय रॉयल फैमिली को 11 करोड़ रुपये मुआवजा देने की बात तय हुई थी।
2004 में कर्नाटक नगर एवं ग्राम नियोजन अधिनियम में संशोधन कर TDR (धारा 14बी) जोड़ा गया, जो उन मामलों में लागू होता है जहां भूमि स्वेच्छा से दी गई हो, न कि जब राज्य अनिवार्य अधिग्रहण करे।
अब सवाल ये है:
१. क्या कोर्ट अवमानना आदेश के जरिए मौलिक फैसले में बदलाव कर सकती है?
२. क्या राज्य सरकार की आपत्तियों को बिना मुख्य सुनवाई के दरकिनार किया जा सकता है?
३. क्या 2004 में जोड़ा गया TDR प्रावधान 1996 के अधिग्रहण पर लागू हो सकता है?
क्या है TDR?
TDR (Transferable Development Rights) एक मुआवजा तंत्र है जो तब लागू होता है जब किसी की जमीन सार्वजनिक परियोजनाओं जैसे सड़क चौड़ीकरण या अन्य ढांचागत विकास कार्यों के लिए ली जाती है। इसके तहत मुआवजा सीधे नकद में नहीं बल्कि निर्माण अधिकारों (FAR या FSI) के रूप में दिया जाता है।
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