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    Ola, Uber समेत 11 कंपनियों को सरकार का नोटिस, ‘डार्क पैटर्न’ से यूजर्स को गुमराह करने का आरोप।

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    छुपे चार्जेज, झूठे अलर्ट और जबरन सब्सक्रिप्शन—अब नहीं चलेगा ‘डार्क पैटर्न’ का खेल।

    नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने उपभोक्ताओं की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। Ola, Uber, Zepto, Rapido समेत 11 नामी कंपनियों को सरकार की ओर से नोटिस जारी किया गया है। इन कंपनियों पर “डार्क पैटर्न” (Dark Patterns) का इस्तेमाल कर यूजर्स को भ्रमित करने और गलत निर्णय लेने के लिए उकसाने का आरोप है।

    इस मामले में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने सभी कंपनियों को 7 दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने और अपने प्लेटफॉर्म की आंतरिक जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।

    क्या है ‘डार्क पैटर्न’?
    डार्क पैटर्न’ एक प्रकार की UX/UI डिज़ाइन तकनीक होती है, जिसमें यूजर को जानबूझकर इस तरह भ्रमित किया जाता है कि वह ऐसा निर्णय ले ले जो सामान्य परिस्थिति में नहीं लेता। इनमें शामिल हैं:
    १. बिना सहमति के उत्पाद को कार्ट में जोड़ना
    2. “अब नहीं” जैसे विकल्पों को शर्मनाक बनाना
    ३. छिपे हुए शुल्क जोड़ना
    ४. “सिर्फ 1 यूनिट बची है” जैसे झूठे अलर्ट दिखाना
    ५. कस्टमर को सब्सक्रिप्शन से बाहर निकलने का जटिल रास्ता देना

    सरकार ने 13 डार्क पैटर्न की पहचान की
    उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि अब तक ऐसे 13 प्रकार के डार्क पैटर्न की पहचान की जा चुकी है, जो ग्राहकों के अधिकारों का हनन करते हैं। सरकार इन्हें खत्म करने के लिए कड़े कदम उठाने जा रही है।

    कंपनियों को करना होगा ऑडिट
    सरकार ने सभी 11 कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे अपने प्लेटफॉर्म पर एक आंतरिक ऑडिट करें और यह सुनिश्चित करें कि उनके विक्रेता या वे स्वयं ऐसे भ्रामक डिज़ाइन का इस्तेमाल न कर रहे हों। यह रिपोर्ट जल्द ही CCPA (Central Consumer Protection Authority) को सौंपी जानी है।

    न मानी बात तो होगी सख्त कार्रवाई
    यदि कंपनियां सरकार की चेतावनी के बाद भी इन प्रथाओं को जारी रखती हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें:
    भारी जुर्माना
    प्लेटफॉर्म के संचालन पर रोक
    कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया जाना
    शामिल है।

    बनेगा संयुक्त कार्य समूह (Joint Task Force)
    डार्क पैटर्न पर निगरानी और नीति निर्धारण के लिए सरकार एक संयुक्त कार्य समूह का गठन करेगी, जिसमें सरकारी अधिकारी, डिजिटल कंपनियां और उपभोक्ता संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसका मकसद Ethical Design Practices को बढ़ावा देना और उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा करना है।

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