




CJI बी.आर. गवई ने लंदन में दिए संबोधन में कहा—न्याय के क्षेत्र में मानवीय स्पर्श अब भी बहुत जरूरी।
लंदन/नई दिल्ली, 5 जून 2025: भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई (CJI B.R. Gavai) ने न्यायपालिका में प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग को लेकर अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि अगर तकनीक को न्यायिक व्यवस्था की ‘ड्राइवर सीट‘ पर बैठा दिया गया, तो इससे जनता का न्यायपालिका पर विश्वास कमजोर पड़ सकता है।
लंदन में ‘न्यायालय, वाणिज्य और कानून का शासन’ विषय पर बोले CJI
CJI गवई ने यह टिप्पणी 4 मई को ब्रिटिश इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एंड कम्पेरेटिव लॉ, लंदन में दी गई थी। उन्होंने अपने मुख्य भाषण में कहा कि: “हम प्रौद्योगिकी को नजरअंदाज नहीं कर सकते, लेकिन हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि तकनीक मानवीय मूल्यों की जगह न ले।”
उन्होंने पूर्व CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ का उद्धरण देते हुए कहा, “प्रौद्योगिकी को न्याय तक पहुंच का माध्यम बनाना चाहिए, न कि उसका स्थानापन्न।”
न्यायिक प्रणाली में संतुलन जरूरी
CJI गवई ने कहा, “जिस क्षण हम तकनीक को पूरी तरह नियंत्रण सौंप देते हैं, उसी क्षण जनता का विश्वास और कानून का शासन दोनों कमजोर होने लगते हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि हर मामला किसी के लिए न्याय की आशा और निष्पक्षता की उम्मीद को दर्शाता है। ऐसे में न्यायालयों को मानवता का स्पर्श बनाए रखना चाहिए।
नवाचार और परंपरा का संतुलन
CJI गवई ने कहा कि जब समाज परंपरा और नवाचार के चौराहे पर खड़ा होता है, तब न्यायालयों की भूमिका और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
“न्यायालय प्राचीन ज्ञान के संरक्षक और भविष्य के न्याय के वास्तुकार दोनों होते हैं।”
कानून का शासन और डिजिटल युग
डिजिटल युग में कानून के शासन को बनाए रखने के लिए, उन्होंने वाणिज्यिक व्यावहारिकता के साथ न्यायिक सक्रियता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, “कानून का शासन कोई अमूर्त विचार नहीं है, बल्कि यह उन असली लोगों की उम्मीदों का प्रतीक है, जो न्याय के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाते हैं।”
तकनीकी दौर में मानवीय हस्तक्षेप की जरूरत
CJI गवई ने कहा कि हम ऐसे युग में हैं जहां एल्गोरिद्म और कृत्रिम बुद्धिमत्ता हमारे रोजमर्रा के फैसले तय कर रहे हैं—चाहे वह नौकरी हो या विज्ञापन। लेकिन, “न्याय के क्षेत्र में अभी भी मानवीय स्पर्श का महत्व सबसे अधिक है।”
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