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    आयकर रिटर्न भरने से पहले जान लें फॉर्म 16, फॉर्म 26AS और AIS क्या होते हैं, क्यों है ये जरूरी?

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    इनकम टैक्स रिटर्न भरने से पहले इन तीन जरूरी दस्तावेजों – फॉर्म 16, फॉर्म 26AS और AIS – की पूरी जानकारी जरूर जानें, नहीं तो हो सकती है गलती या नोटिस का खतरा।

    नई दिल्ली: अगर आप एक वेतनभोगी या किसी भी प्रकार के टैक्सपेयर हैं और वित्त वर्ष 2024-25 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने की तैयारी कर रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है।
    आईटीआर भरने से पहले तीन महत्वपूर्ण डॉक्युमेंट्स — फॉर्म 16, फॉर्म 26AS और AIS (Annual Information Statement) को समझना और जांचना आवश्यक है। ये तीनों फॉर्म आपकी इनकम, टैक्स डिडक्शन और आर्थिक गतिविधियों की पूरी जानकारी देते हैं।

    फॉर्म 16 क्या है?
    फॉर्म 16 एक TDS सर्टिफिकेट होता है, जिसे नियोक्ता द्वारा उस कर्मचारी को जारी किया जाता है, जिसकी सैलरी से TDS काटा गया हो।
    यह दस्तावेज़ नियोक्ता द्वारा हर वित्त वर्ष के अंत के बाद 15 जून तक जारी किया जाता है।

    फॉर्म 16 के दो हिस्से होते हैं:
    पार्ट A: इसमें TDS की पूरी जानकारी होती है – कब-कब और कितनी रकम काटी गई

    पार्ट B: इसमें सैलरी का ब्रेकअप, डिडक्शन (जैसे सेक्शन 80C), और नेट टैक्सेबल इनकम का विवरण होता है।

    यह डॉक्युमेंट आईटीआर भरते समय बेहद जरूरी होता है, क्योंकि इससे आपकी इनकम और टैक्स डिटेल्स का मिलान किया जाता है।

    फॉर्म 26AS क्या होता है?
    फॉर्म 26AS को Tax Credit Statement भी कहा जाता है।
    यह आयकर विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध होता है और यह बताता है कि किसी व्यक्ति की आय पर सालभर में कितना TDS या टैक्स डिपॉजिट हुआ है।

    इसमें निम्नलिखित जानकारियां शामिल होती हैं:
    १. सैलरी से कटा TDS
    २. बैंक से मिलने वाले ब्याज पर कटा टैक्स
    ३. प्रॉपर्टी बिक्री पर टैक्स
    ४. एडवांस टैक्स या सेल्फ-असेसमेंट टैक्स की जानकारी

    इस फॉर्म की मदद से टैक्सपेयर्स ये सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनके द्वारा या उनके नियोक्ता द्वारा काटा गया टैक्स सरकार के पास जमा हुआ है या नहीं।

    AIS (Annual Information Statement) क्या है?
    AIS (एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट) को आयकर विभाग ने 2021 में लॉन्च किया था।
    इसमें टैक्सपेयर्स की वित्तीय गतिविधियों की समग्र जानकारी होती है जैसे:
    १. वेतन
    २. ब्याज आय
    ३. डिविडेंड
    ४. म्युचुअल फंड लेन-देन
    ५. स्टॉक मार्केट इन्वेस्टमेंट
    ६. ऊँची राशि के लेनदेन

    यदि आपके AIS और ITR में अंतर पाया जाता है, तो आयकर विभाग स्पष्टीकरण मांग सकता है।
    AIS को आप इनकम टैक्स की ई-फाइलिंग वेबसाइट या AIS मोबाइल ऐप से एक्सेस कर सकते हैं।

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