




वैज्ञानिक तरीकों से बदल रहे हैं हजारों मछली किसानों की किस्मत, पूर्वोत्तर भारत में बढ़ रही है मत्स्य पालन से समृद्धि।

Success Story: पूर्वोत्तर भारत में ग्रामीण आजीविका और पोषण सुरक्षा के लिए मत्स्य पालन (Aquaculture) एक प्रमुख स्तंभ के रूप में उभर रहा है। लेकिन वर्षों तक इस क्षेत्र को गुणवत्तापूर्ण फिश फीड, वैज्ञानिक मार्गदर्शन और विश्वसनीय उत्पादों की कमी का सामना करना पड़ा। इस स्थिति को बदलने का काम किया श्रीमा फीड्स (Sreema Feeds) ने, जिसे प्रबंध निदेशक क्रिष्णु रॉय (Krishanu Roy) के नेतृत्व में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया गया।
आज श्रीमा फीड्स पूर्वोत्तर भारत के प्रमुख फिश फीड और एक्वाकल्चर मेडिसिन्स ब्रांड के रूप में स्थापित हो चुका है, जिसने इस क्षेत्र को वैज्ञानिक और लाभकारी व्यवसाय में तब्दील कर दिया है।
1998 से शुरू हुई यात्रा, बना पूर्व भारत का बड़ा फिश फीड ब्रांड
श्रीमा ग्रुप ने वर्ष 1998 में पश्चिम बंगाल के जयरामपुर में एक चावल मिल से अपना सफर शुरू किया था। 2016 में पहली ऑटोमैटिक फ्लोटिंग फिश एंड श्रिम्प फीड प्लांट की शुरुआत हुई, जिसकी उत्पादन क्षमता 5 टीपीएच थी। 2021 में दूसरी 10 टीपीएच क्षमता वाली यूनिट शुरू की गई। अब कंपनी की वार्षिक उत्पादन क्षमता 2,50,000 टन से अधिक है, जिससे यह पूर्व भारत के सबसे बड़े फिश फीड उत्पादकों में से एक बन गई है।
गुणवत्ता, विज्ञान और किसान भरोसे की बुनियाद
श्रीमा फीड्स का फोकस हमेशा गुणवत्तापूर्ण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर रहा है। इन-हाउस लैबोरेटरी में हर बैच का परीक्षण किया जाता है ताकि पोषक तत्वों की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। फ्लोटिंग फीड से:
१. मछलियों का पोषण बेहतर होता है,
२. फीड वेस्टेज कम होता है,
३. पानी की गुणवत्ता बनी रहती है,
४. किसान फीडिंग को दृश्य रूप से मॉनिटर कर सकते हैं।
GK PRO, SREE GOLD और Primax जैसी प्रोडक्ट सीरीज किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। साथ ही, श्रीमा बायोटेक (Sreema Biotech) डिवीजन के माध्यम से प्रोबायोटिक्स, लिवर टॉनिक, डिसइंफेक्टेंट्स और फिश हेल्थकेयर उत्पाद भी उपलब्ध कराए जाते हैं।
पूर्वोत्तर में बदल रही है किसानों की जिंदगी
पूर्वोत्तर राज्यों में जल स्रोतों की कोई कमी नहीं है, लेकिन खराब गुणवत्ता वाले फीड और वैज्ञानिक जानकारी के अभाव में मत्स्य उत्पादन सीमित था। श्रीमा फीड्स ने इस अंतर को पहचाना और असम, त्रिपुरा, बिहार, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में मजबूत वितरण नेटवर्क तैयार किया।
क्रिष्णु रॉय ने खुद किसानों के प्रशिक्षण और मार्गदर्शन को प्राथमिकता दी। इससे किसानों की आय में वृद्धि हुई, फीड कन्वर्जन रेशियो (FCR) बेहतर हुआ और रोगों की घटनाएं घटीं। श्रीमा फीड्स ने हजारों छोटे किसानों को लाभदायक मत्स्य पालन की ओर अग्रसर किया है।
आगे का लक्ष्य: श्रिम्प फीड और जल उपचार में विस्तार
श्रीमा फीड्स आने वाले वर्षों में श्रिम्प फीड, वॉटर ट्रीटमेंट और एडवांस्ड बायोटेक सेक्टर में विस्तार करने की योजना बना रही है। लक्ष्य है भारत की सबसे भरोसेमंद एकीकृत एक्वाकल्चर न्यूट्रीशन और हेल्थकेयर कंपनी बनना।
क्रिष्णु रॉय का किसान-प्रथम दृष्टिकोण और नवाचार पर जोर इस यात्रा को लगातार आगे बढ़ा रहा है।
पूर्वोत्तर भारत में ब्लू रेवोल्यूशन का नेतृत्व
श्रीमा फीड्स आज केवल एक ब्रांड नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर भारत के ग्रामीण इलाकों में समृद्धि लाने वाला एक आंदोलन है। विज्ञान, गुणवत्ता और विश्वास के दम पर कंपनी मत्स्य पालन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा रही है।
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