




रेलवे में होगा ₹2.52 लाख करोड़ का निवेश, 2027 तक बुलेट ट्रेन का व्यावसायिक संचालन, भारत बनेगा रेलवे निर्माण और निर्यात का ग्लोबल हब।
नई दिल्ली: भारतीय रेलवे अब सिर्फ यात्रा का साधन नहीं बल्कि भारत के आर्थिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में उतरने का माध्यम बन रही है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारतीय रेलवे के भविष्य को लेकर कई बड़ी घोषणाएं की हैं।
उनके अनुसार आने वाले वर्षों में रेलवे क्षेत्र में निवेश और तकनीक के जरिए भारत को रेलवे निर्माण और लॉजिस्टिक्स का वैश्विक हब बनाने की दिशा में काम किया जाएगा।
1,000 नई ट्रेनों का संचालन, लॉजिस्टिक्स में बढ़ेगी हिस्सेदारी
रेल मंत्री ने बताया कि आने वाले वर्षों में भारतीय रेलवे 1,000 नई ट्रेनें शुरू करेगा।
साथ ही रेलवे की मालवाहन में हिस्सेदारी को 35% तक बढ़ाने का लक्ष्य है, जो अभी 29% के आसपास है।
रेलवे का लॉजिस्टिक्स समाधान अन्य ट्रांसपोर्ट साधनों की तुलना में ज्यादा सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल है। प्रति टन-किमी लागत सड़क परिवहन के मुकाबले आधी है और प्रदूषण भी 95% तक कम है।
बुलेट ट्रेन से बदलेगा भारत का हाई-स्पीड भविष्य
भारत में हाई-स्पीड रेल की शुरुआत जापानी तकनीक से बन रही बुलेट ट्रेन परियोजना से होगी।
१. 2026 तक इसका पहला प्रोटोटाइप ट्रैक पर दौड़ेगा।
२. 2027 से व्यावसायिक संचालन शुरू होने का लक्ष्य रखा गया है।
३. IIT मद्रास और IIT रुड़की इस परियोजना में तकनीकी सहयोग दे रहे हैं।
४. भारत में ही बुलेट ट्रेन के लिए 40 मीटर लंबे गर्डर जैसे जटिल कंपोनेंट तैयार हो रहे हैं, जिन्हें अब दूसरे देशों में निर्यात भी किया जा रहा है।
रेलवे में निवेश और निर्माण क्षमता
१. रेल मंत्री के अनुसार, 2014 में रेलवे का निवेश ₹25,000 करोड़ था, जो 2025 में बढ़कर ₹2.52 लाख करोड़ हो गया है।
२. इसमें से ₹20,000 करोड़ निवेश PPP मॉडल से हुआ है।
३. पिछले 11 वर्षों में 35,000 किमी ट्रैक जोड़े गए हैं, जो जर्मनी के पूरे रेलवे नेटवर्क के बराबर है।
४. अकेले पिछले साल 5,300 किमी ट्रैक जुड़े और हर साल 30,000 वैगन व 1,500 लोकोमोटिव का निर्माण हो रहा है।
यात्री सुविधाओं और सुरक्षा में बड़ा सुधार
रेलवे अब यात्री सुविधाओं पर भी ध्यान दे रहा है:
१. 2 साल में 2,000 से ज्यादा जनरल कोच जोड़े गए।
२. अमृत भारत और नमो भारत जैसी आधुनिक ट्रेनें शुरू की गईं।
३. रेल यात्रा का किराया पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों से कम रखा गया है।
सुरक्षा के क्षेत्र में:
१. पहले हर साल औसतन 170 पटरी से उतरने की घटनाएं होती थीं, जो अब घटकर 30 से भी कम हो गई हैं।
२. रेल दुर्घटनाओं में 80% तक कमी आई है।
३. उन्नत ट्रैक, सिग्नलिंग सिस्टम और सुरक्षा समीक्षा से यह संभव हुआ है।
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