• Radio Play
  • Nominate Now

    अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स का जोड़ा बनाया, अब ‘तलाक’ ISRO……

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

    इसरो ने अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट्स को जोड़ने की तकनीक में सफलता हासिल कर ली है. अब उसे उन सैटेलाइट्स को अलग करके दिखाना है.

    SpaDex Mission: भारत ने 16 जनवरी को अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट्स को जोड़ने में सफलता हासिल की थी. अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट्स को ‘डॉक‘ करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बना. ‘डॉकिंग‘ प्रक्रिया सफल रहने के बाद, अब उस जोड़ी को एक-दूसरे से फिर अलग करने की तैयारी है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिक सोमवार (20 जनवरी 2025) को ‘अनडॉकिंग‘ की कोशिश कर सकते हैं. उसके बाद दोनों सैटेलाइट्स के बीच पावर ट्रांसफर की क्षमता को परखा जाएगा. फिर ISRO का प्लान एक बार फिर से ‘डॉकिंग’ करने का है ताकि इसमें महारत हासिल की जा सके.

    16 जनवरी 2025 का दिन ISRO और भारत के लिए ऐतिहासिक रहा. अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग‘ को अंजाम देने वाला चौथा देश बन गया. इससे पहले, 7 जनवरी और 9 जनवरी को प्रस्तावित डॉकिंग टालनी पड़ी थी क्योंकि दोनों सैटेलाइट्स मैनूवर्स के दौरान उम्मीद से कहीं ज्यादा ड्रिफ्ट हो गए थे. ISRO को सब दुरुस्त रखने के लिए सिमुलेशंस रन करने पड़े.

    स्पेस में डॉकिंग: ISRO की ऐतिहासिक उपलब्धि
    डॉकिंग‘ वह प्रक्रिया है जिसके जरिए दो सैटेलाइट्स या स्पेसक्राफ्ट्स को अंतरिक्ष में ही जोड़ा जाता है. यह तकनीक भविष्य के मिशनों के लिहाज से बेहद जरूरी है जहां लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने की जरूरत होगी. चूंकि बड़े मिशनों के लिए पेलोड्स को एक ही बार में लॉन्च नहीं किया जा सकता, उन्हें टुकड़ों में लॉन्च किया जाता है. फिर ‘डॉकिंग’ के जरिए अंतरिक्ष में जोड़ दिया जाता है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) इसी तकनीक से बना है.

    ISRO ने 16 जनवरी को SpaDeX (सैटेलाइट डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) के तहत, ‘डॉकिंग’ करके दिखाई. दो छोटे 220 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट्स को एक-दूसरे के पास 3 मीटर की दूरी तक लाया गया. फिर उनके एक्सटेंडेड रिंग्स एक-दूसरे से जुड़वाए गए. ISRO ने दोनों सैटेलाइट्स को एक स्पेसक्राफ्ट की तरह कमांड भेजकर भी दिखाया.

    भारत के लिए बेहद अहम तकनीक
    ISRO को चंद्रयान-4 मिशनों के लिए ‘डॉकिंग’ क्षमता की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि हमें चंद्रमा से सैंपल लेकर आने हैं. भारत के अपने स्पेस स्टेशन- भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को विकसित करने में भी डॉकिंग काम आएगी. यही नहीं, 2040s तक किसी भारतीय को चंद्रमा पर भेजने के मिशन में भी डॉकिंग की जरूरत महसूस होगी.

    न्यूज़ शेयर करने के लिए क्लिक करें .
    Advertisement Space

    Related Posts

    IIT कानपुर ने जारी किया एडमिट कार्ड, 18 मई को होगी परीक्षा, यहां पढ़ें डिटेल्स।

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। IIT कानपुर की तरफ से JEE Advanced 2025 परीक्षा के एडमिट कार्ड जारी किए गए हैं. जिन्हें कैंडिडेट्स आधिकारिक वेबसाइट…

    Continue reading
    बिना इंटरनेट कैसे चलाएं यूट्यूब, यहां जानिए तरीका।

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। यूट्यूब वीडियो को बताये गए कुछ स्टेप्स को फॉलो करके आप ऑफलाइन मोड में बिना इंटरनेट के भी देख सकते…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *